मोदी ने शहीद भगत सिंह को जानबूझ कर भुलाया
पुरुषोत्तम शर्मा
प्रधान मंत्री जी,
आज पालम एयर पोर्ट पर आपने अपने भाषण में 28 सितंबर को सर्जिकल स्ट्राइक के दिन के रूप में याद किया। आपको पता तो होगा ही कि आज ही के दिन 112 साल पहले भारत के एक महान सपूत शहीदे आजम भगत सिंह का भी जन्म हुआ था, जिन्होंने 23 साल की उम्र में देश की आजादी के लिए फांसी पर चढ़ना अपना गौरव समझा था। पर आपने अपने भाषण में शहीदे आजम भगतसिंह का नाम नहीं लिया।
आपके आज द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक को याद करना और शहीदे आजम भगत सिंह को याद न करना कोई संयोग नहीं, बल्कि आपकी राजनीति का सोचा समझा हिस्सा है। आप देश में जिस साम्राज्यवाद परस्त, कारपोरेट परस्त, नफरत, घृणा, युद्धोन्माद की राजनीति का प्रतिनिधित्व करते हैं, आपकी हजार कोशिशों के बाद भी शहीदे आजम भगत सिंह कहीं से भी उसमें फिट नहीं हो पाते हैं।
यही नहीं जब अंग्रेजों से माफी मांग जेल से बाहर आए सावरकर आपके मार्ग दर्शक हों, और गांधी के हत्यारे गोडसे आपकी मंडली के लिए देश भक्त, तब शहीद भगत सिंह को उनके जन्म दिन पर पूरी तरह भुलाना भी आपकी और आरएसएस की राजनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
खुद को स्थापित करने के लिए अंग्रेजी साम्राज्यवाद के खिलाफ राष्ट्रीय आजादी की लड़ाई का नेतृत्व करने वाले गांधी और नेहरू की चरित्र हत्या का जो अभियान आपके नेतृत्व में आरएसएस इस देश में चला रहा है, ऐसा अभियान शहीदे आजम भगत सिंह के खिलाफ चलाने का साहस आपकी मण्डली नहीं कर पा रही है। इसलिए भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, असफाक उल्ला खां, चंद्रशेखर जैसे आजादी के वीर नायकों को भुला देना भी आपकी उसी कुत्सित घृणित राजनीति का हिस्सा है। कुछ दिन नेताजी सुभाष चन्द्र बोष को भी भुनाने की आपकी कुत्सित चेस्टा भी आगे नहीं बढ़ पाई, क्योंकि आपके आदर्शों के मुंह पर वे भी एक तमाचा ही साबित हुए।
पर देश देख रहा है। देश समझ रहा है। आजादी के 72 साल में भी देशवासियों में सर्वाधिक लोकप्रिय शहीदे आजम भगत सिंह को आप और आपका संगठन आरएसएस देश वासियों के दिलों से नहीं निकाल पाएगा।
अपनी शहादत के 88 साल बाद भी शहीदे आजम की यही लोकप्रियता माफी मांगने वाले सावरकर और आजादी की लड़ाई का विरोध करने वाले गोलवरकर को राष्ट्रनायक के रूप में थोपने की आपकी साजिशों को कभी भी कामयाब नहीं होने देगी।