भारतीय कृषि के सम्मुख चुनौतियां -1

पुरुषोत्तम शर्मा, राष्ट्रीय सचिव-अखिल भारतीय किसान महासभा


 10,11,12 मार्च 2019 को काठमांडू में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में दिया वक्तव्य


इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के सम्मानित अध्यक्ष और दुनिया के तमाम देशों से आए हमारे संघर्षशील साथियों! 


मैं अपने संगठन आल इंडिया किसान महासभा की ओर से आप सब का क्रांतिकारी अभिवादन करता हूँ. मैं नेपाल के कामरेडों व वर्तमान सरकार की इस बात के लिए प्रशंसा करता करता हूँ कि उन्होंने अपने देश में “राष्ट्रीय किसान आयोग” का गठन कर अपनी कृषि और किसानों के सवालों को समझने और हल करने की एक आवश्यक पहल ली है. नेपाल के राष्ट्रीय किसान आयोग को भी धन्यवाद, जिसने हम सब को एक जगह पर अपने अनुभवों और समस्याओं को साझा करने और समाधान के लिए सामूहिक विमर्श करने का मौक़ा दिया है. 


मित्रों! भारत और नेपाल सदियों से आपस में न सिर्फ सबसे विश्वसनीय पड़ोसी मित्र हैं, बल्कि हमारी भौगोलिक परिस्थितियां, समस्याएं और संस्कृति भी एक जैसी है. हम दोनों कृषि प्रधान देश हैं. हमारी आबादी के बड़े हिस्से की आजीविका आज भी खेती और उससे जुड़े सहायक रोजगार पर ही टिकी है. इसलिए नेपाल की इस पहल से भारत में हमको भी जरूर सीखने को मिलेगा.  


भारतीय कृषि के सम्मुख चुनौतियां – (भाग–एक)


जीडीपी में कृषि का हिस्सा


भारत जब 1947 में आजाद हुआ तो उस वक्त हमारी जीडीपी में कृषि का हिस्सा 52 प्रतिशत था. हमारी आबादी का 70 प्रतिशत हिस्सा तब सीधे कृषि से जुड़ा था. जबकि आज भी हमारी आबादी का 55 प्रतिशत हिस्सा सीधे कृषि से सीधे जुड़ा है और जीडीपी में कृषि का हिस्सा लगभग 14 प्रतिशत बचा है.


कृषि में सार्वजनिक निवेश में कमी


1960-65 में भारत की कुल योजना मद का 12.16 प्रतिशत कृषि पर खर्च हुआ. जबकि 2007 की ग्यारहवीं योजना में कृषि के लिए सार्वजनिक निवेश की यह राशि घटकर 3.7 प्रतिशत रह गई. खाद्य एवं कृषि संगठन के अनुसार अभी भारत की कृषि में बोया गया कुल क्षेत्र 140.8 मिलियन हैक्टेयर है. आजादी के 72 साल बाद भी इसमें से 78 मिलियन हैक्टेयर यानी 64 प्रतिशत क्षेत्रफल अभी भी वर्षा आधारित है. पर्वतीय क्षेत्रों की स्थिति और भी बुरी है. उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में 10 प्रतिशत के करीब ही सिंचित क्षेत्र है. 1990 के बाद सिंचाई बजट में कमी की जाने लगी. मोदी सरकार के हाल में पेश अंतिम बजट में तो सिंचाई बजट में लगभग 65 प्रतिशत की कटौती की गई है.


क्रमशः जारी