विभाजनकारी राजनीति और बड़ी पूंजी की सेवा का छुपा एजेंडा -
गतांक से आगे जारी
पुरुषोत्तम शर्मा
भारत में कृषि, डेयरी, बूचड़खाना, बीफ और चमड़ा उद्योग एक दूसरे के पूरक
हमें याद रखना चाहिए कि सन् 2007-8 के दौर में जब पूरी दुनिया भयंकर आर्थिक मंदी की मार झेल रही थी, तब हमारी ग्रामींण अर्थव्यवस्था के यही मजबूत क्षेत्र थे जो भारत की अर्थव्यवस्था को उस मंदी से बचाए थे. क्योंकि उस आर्थिक मंदी में जब दुनिया की सरकारों को अपनी बड़ी आबादी के लिए रियायतें देनी पड़ रही थी, तब भारत सरकार को इस 70 प्रतिशत आबादी के लिए कुछ भी करते नहीं देखा गया.
भारत में कृषि, डेयरी, बूचड़खाना, बीफ और चमड़ा उद्योग एक दूसरे के पूरक हैं. यह हमारी आबादी के लगभग 70 प्रतिशत हिस्से की आजीविका का आज भी सबसे भरोसेमंद साधन हैं. इसमें से कोई भी एक क्षेत्र संकट में होगा तो वह बाक़ी सब को भी संकट में डाल देगा. आज भाजपा के नेतृत्व में चल रही केंद्र की मोदी सरकार ने अपने चहेते बड़े उद्यमियों और कारपोरेट पूंजी की सेवा के लिए देश में रोजगार के इस सबसे बड़े क्षेत्र को संकट में डाल दिया है. असल में भाजपा–आरएसएस का गौ रक्षा का नारा अपनी साम्प्रदायिक और विभाजनकारी राजनीति को आगे बढाने और कारपोरेट पूंजी की सेवा का छुपा एजेंडा है. इसका गौरक्षा से दूर-दूर तक का भी रिश्ता नहीं है. गौरक्षा कानून पूरी तरह किसान विरोधी और विभाजन कारी राजनीति को बढाने का कानून है. इस लिए किसान हित और देश हित में इस कानून को तत्काल प्रभाव से समाप्त करने की मांग किसान आन्दोलन के ऐजेंडे में शामिल होनी चाहिए.
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