विनोद मिश्र के सपनों का भारत

विनोद मिश्र के सपनों का भारत


1998 में आज ही के दिन हमारे प्रिय नेता और नए भारत के स्वप्न दृष्ट्रा कामरेड विनोद मिश्र ने इस दुनियां से विदा ली। 


कामरेड विनोद मिश्र को लाल सलाम!


देश में आज के हालात के मद्देनजर भाकपा (माले) के पूर्व महासचिव दिवंगत कामरेड विनोद मिश्र के सपनों का भारत के ये अंश पढ़ें!
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"मेरे सपनों का भारत निस्संदेह एक अखंड भारत है जहां एक पाकिस्तानी मुसलमान को अपने विवर्तन की जड़ें तलाशने के लिए किसी 'वीसा' (ठहरने का अनुमति पत्र) की आवश्यकता नहीं होगी; जहां,  इसी तरह, किसी भारतीय के लिए महान सिंधुघाटी सभ्यता विदेश में स्थित नहीं होगी; और जहां बंगाली हिंदू शरणार्थी अंततः ढाका की कड़वी स्मृतियों के आंसू पोंछ लेंगे और बांग्लादेशी मुसलमानों को भारत में विदेशी कहकर चूहों की तरह नहीं खदेड़ा जाएगा.
क्या मेरी आवाज भाजपा की आवाज से मिलती-जुलती लगती है? लेकिन भाजपा तो भारत के मुस्लिम पाकिस्तान और हिंदू भारत - अलबत्ता उतना 'विशुद्ध' नहीं - में महाविभाजन पर फली-फूली. चूंकि भाजपा इस विभाजन को तमाम विनाशकारी नतीजों के साथ चरम बिंदु तक पहुंचा रही है इसलिए इन तीनों देशों में महान विचारक यकीनन पैदा होंगे और वे इन तीनों के भ्रातृत्वपूर्ण पुनरेकीकरण के लिए जनमत तैयार करेंगे. निश्चिंत रहिए, वो दिन भाजपा जैसी ताकतों के लिए कयामत का दिन होगा....,"