अफीम किसानों को तबाही से बचाए सरकार

अफीम किसानों को तबाही से बचाए सरकार


मांगीलाल मेघवाल बीलोट


राजस्थान और मध्यप्रदेश में औषधीय पौधे अफीम की खेती आजादी से आज तक होती है लेकिन नारकोटिक्स विभाग अपने ही अंग्रेजी नियम लगा लगा कर के विश्व प्रसिद्ध बढ़िया अफीम को भ्रष्टाचार करके घटिया स्तर तक पहुंचा दिया। वर्तमान में कुछ किसानों की अफीम फसल अभी भी खेतों में खड़ी है। हम किसान सरकार और प्रशासन के लॉक डाउन का पूर्णता पालन कर रहे हैं।नारकोटिक्स विभाग न तो भारत सरकार की सुनता है ना राजस्थान सरकार की। उल्टे नारकोटिक्स एक्ट का नाजायज फायदा उठा कर किसानों का शोषण करता है।


कोरोना से मानवता को बचाने के लिए भारत सरकार और राजस्थान सरकार दिन रात मेहनत कर रही है, वहीं खेतों में खड़ी फसल की रखवाली के लिए किसानों को जान जोखिम में डालकर संघर्ष करना पड़ रहा है। 
नारकोटिक्स विभाग के अधिकारी कहते हैं कि वे अफीम की पौध को सिर्फ अपनी उपस्थिति में नष्ट करेंगे। अभी लॉक डाउन में वे आ नहीं रहे हैं। ऐसे में आवारा पशुओं और जंगली जानवरों से नष्ट होने वाली फसल को बचाना कठिन है।फसल नहीं बची तो नारकोटिक्स विभाग किसानों को तस्करी का आरोप लगाकर जेल भेजता है या भारी जुर्माना वसूलता है। यह बड़े पैमाने के भ्रष्टाचार को भी जन्म देता है। जबकि ग्राम स्तर पर विद्यालय के प्रधानाध्यापक, पटवारी, पंचायत सचिव जैसे सरकारी कर्मचारी होते हैं, उनकी उपस्थिति में भी समय पर पौध नष्ट हो सकती है। जिससे किसानों को शोषण व उत्पीड़न से छुटकारा मिल सकता है।


भारतीय अफीम किसान विकास समिति ने देश के प्रधानमंत्री व राजस्थान के मुख्यमंत्री से निवेदन किया है की इस वैश्विक महामारी से जूझ रहे किसानों को नारकोटिक्स विभाग के उत्पीड़न से निजात दिलाएं। उन्होंने मांग की कि अति शीघ्र विद्यालय के प्रधानाध्यापक, पटवारी और पंचायत सचिव की उपस्थिति में अफीम फसल को नष्ट करने का आदेश दिया जाए। 


संगठन ने सभी किसानों का आह्वान किया कि लॉकडाउन के समय किसी किसी कार्यालय में नहीं जाए।   सिर्फ सोशल मीडिया के माध्यम से माननीय प्रधानमंत्री जी और माननीय मुख्यमंत्री जी को अफीम किसानों की पीड़ा अवगत कराएं।