एक अच्छी खबर - कोरोना रुका - सलाम केरल
पर कोरोना से युद्ध में केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को सहायता नहीं।
पूरी दुनिया से आ रही बुरी खबरों के बीच एक सुकून देने वाली ख़बर आई है। आज केरल में वाम मोर्चे सरकार के मुख्यमंत्री और cpim के पोलित ब्यूरो सदस्य कामरेड पिनरायी विजयन ने पत्रकार वार्ता करके बताया कि केरल ने 16 मार्च को लॉक डाउन करके कोरोना की चैन ब्रेक करने का जो लक्ष्य बनाया था, उसमें बड़ी सफलता मिली है। केरल ने कोरोना को लगभग रोक दिया है।
उन्होंने बताया कि कोरोना के मामले में केरल को देश के सबसे संवेदनशील राज्य के तौर पर लिया जा रहा था। मार्च महीने में ही केरल में एक हज़ार मौत होने का अनुमान था। लेकिन हम इसको रोकने में कामयाब रहे।
केरल में कुल 296 मामले आए जिनमे 207 विदेश से आए और 7 विदेशी थे। इनमें से 14 लोग ठीक हो गए। जब एक तरफ देश में मोदी की सरकार अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के स्वागत में लगी थी, तो पहला केस आने के बाद से जनवरी महीने में ही केरल के अस्पतालों में isolation ward बनाने शुरू हो गए थे। देश में अब तक हुए कोरोना टेस्टों में केरल में सबसे ज्यादा टेस्ट किये गए। पूरे देश में किये औसत का 7 गुना ज्यादा टेस्ट केरल में किये जा रहे हैं। डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराई गई।
सबसे पहले केरल सरकार द्वारा 20,000 करोड़ रुपए का आर्थिक पैकेज घोषित किया गया। सबको 5000 रुपये उपलब्ध कराए। पूरे केरल में हर पंचायत स्तर पर सामुदायिक रसाई के माध्यम से हर एक को खाना उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया गया और लोगों के बीच 17 चीजों वाली फ़ूड किट वितरित की।
यहां यह भी बताना जरूरी है कि इस सब में केरल सरकार को केंद्र सरकार ने कोई मदद नही की। केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन को पत्र लिख कर कहा कि केरल के gst में उसके हिस्से का बकाया 4000 करोड़ रुपया और दूसरा बकाया 4000 करोड़ रुपया कुल 8000 करोड़ रुपया बकाए का केरल को तुरंत भुगतान किया जाए। साथ ही अगले साल के gst से .5 अतिरिक्त खर्च की अनुमति दी जाए जिससे केरल इस भयानक त्रासदी का मुकाबला कर सके। पर केंद्र सरकार ने इस पर भी कोई मदद नहीं की। केरल की कम्युनिस्ट सरकार इस चुनौती का मुकाबला करने में सफल रही है।
कोरोना के खिलाफ लड़ाई में केरल के बाद अग्रणी दूसरे राज्य दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी आज पत्रकारों को बताया कि केंद्र सरकार से राज्य को कोई सहयोग नहीं मिल रहा है।
भारत में संघीय ढांचे के कारण कई राज्य खुल पहल लेकर कोरोना के खिलाफ जंग में जुटे हैं। जबकि भाजपा-आरएसएस इसी संघीय ढांचे को खत्म करने पर तुले हैं।
केंद्र की मोदी सरकार और भाजपा-आरएसएस कोरोना को भी अपनी साम्प्रदायिक राजनीति का रथ बनाने और राजनीतिक फायदे के लिए उत्सव मनाने में व्यस्त है। ऐसी सरकार के भरोसे इस महायुद्ध को नहीं जीता जा सकता है।
रीना साक्य की रिपोर्ट को आधार बना कर