लॉक डाउन: बिहार के अरवल जिले की जमीनी रिपोर्ट

लॉक डाउन: बिहार के अरवल जिले की जमीनी रिपोर्ट


22 मार्च 2020 को जनता कर्फ्यू की एक दिवसीय घोषणा व 24 मार्च के बाद 14 अप्रैल तक लॉकडाउन की घोषणा ने प्रवासी मजदूरों के लिए बड़ी परेशानी खड़ा कर दी. इधर ग्रामीण क्षेत्रों में वैसे गरीबों की हालत भी खराब होने लगी है जो रोज मजदूरी पर जिंदा रहते हैं. कई गांवों में विधवा, लाचार, विकलांग व रोज की कमाई से चूल्हा जलाने वालों की स्थिति भयावह होती जा रही है. इस मामले में सरकार की तरफ से अभी तक किसी तरह की पहल नहीं की गई है. 


राशनकार्ड विहीन गरीब :


पिछले कई वर्षों से नए राशन कार्ड बनाने के बजाय भारी पैमाने पर राशन कार्डों की कटौती की गई है. 2017 में नए कार्ड के लिए अरवल जिले में लगभग एक लाख से ज्यादा आवेदन दिए गए थे, जिसमें मात्र 5000 राशन कार्ड ही बनाए गए थे. शेष सभी को रद्द कर दिया गया है. सरकार के आदेश के अनुसार 2017 के रद्द किए गए आवेदनों पर पुनर्विचार करने और उसी के आधार से राशन कार्ड बनाने की बात कही गई है. नए राशन कार्ड तो नहीं मिले, उल्टे अभी तक हजारों राशन कार्ड की कटौती भी कर दी गई है. 
नगर परिषद क्षेत्रों में भारी पैमाने पर राशन कार्ड की कटौती की गई  है. वार्ड पांच में तो करीब 200 गरीबों के राशन कार्ड की कटौती की गई है, जिसमें ज्यादातर दलित-पिछड़ों का कार्ड था.  जनकपुर धाम डोमटोली में भी महादलितों के कार्डों में कटौती की गई है. इसी तरह से ग्रामीण क्षेत्रों में भी आंख मूंदकर भारी पैमाने पर राशनकार्ड की कटौती की गई है. ऐसी स्थित में जहां गरीबों को राहत मिलनी चाहिए थी, भारी पैमाने पर गरीब राशन कार्ड के अभाव में सभी सरकारी सुविधा से वंचत हो गए. अब नए फार्म लेने के बजाय पुराने खारिज किए गए आवेदनों में से ही कुछेक का कार्ड बनवाया जा रहा है.  कोई-कोई गांवों में मार्च माह का राशन नहीं दिया गया है.  सरकार की पहले से ही लचर व भ्रष्ट व्यवस्था ऐसे संकट के समय दुरुस्त हो जाएगी यह उम्मीद करना कहीं से उचित नहीं होगा.


राशन कार्ड धारियों को राशन देने के लिए कई डीलरों पर दबाव बनाया गया और राशन वितरण करवाया गया. अभी तक निशुल्क राशन नहीं दिया  गया है. राशन कार्ड विहीन गरीबों के लिए अभी तक सरकार के तरफ से अनाज नहीं आया है. केवल वैसे गरीबों के लिए आधार कार्ड और बैंक खाता नंबर मांगा गया है. जिले में यह काम बहुत ही गुप्त तरीके से प्रशासन अपने बिचौलियों के जरिए कुछ लोगों के आधार कार्ड, बैंक खाता की मांग किया है. लेकिन इनके नीचे काम करने वाले कर्मचारी हैं वे लोग अभी तक उसे जमा नहीं कर पाए हैं. इधर गांवों में भाकपा (माले) पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा जरूरतमंद वैसे कार्ड विहीन गरीबों की सूची तैयार की जा रही है जिसे सरकारी पदाधिकारी को सुपुर्द किया जाएगा और उन्हें राशन एवं अन्य सुविधा के लिए दबाव बनाया जाएगा.


भाकपा माले द्वारा भी राशन वितरण :


अरवल प्रखंड के खभैनी  पंचायत के आकोपुर गांव में 8 परिवार के पास खाने का संकट था. खबर मिलते ही भाकपा (माले) पार्टी राज्य कमेटी सदस्य कॉमरेड रविंद्र यादव, खभैनी मुखिया विजय पासवान एवं बादशाह प्रसाद ने चावल, दाल, आलू, मसाला, तेल इकट्ठा करके उक्त परिवारों के बीच वितरण किया. प्रसादी इंग्लिश गांव में कॉमरेड उमर अंसारी द्वारा अपने महल्ले में संकट ग्रस्त परिवारों को राशन, आलू, दाल, मसाला, तेल का इंतजाम किया गया. कलेर के जलवैया चौकी के 6 घरों के मांझी परिवारों के बीच कामरेड जितेंद्र यादव ने चावल, आलू,  मसाला, तेल और दाल का वितरण किया.  जबकि चौरम गांव में 4 परिवारों में खाने को कुछ नहीं था. उन्हें कामरेड राहुल कुमार के नेतृत्व में चावल, गेहूं, दाल, मसाला, आलू एवं तेल वितरण किया गया. और जहां कहीं भी इस तरह की समस्या आ रही है वहां के पार्टी कार्यकर्ताओं या राशन डीलर से बात करके उन्हें राशन देने के लिए दबाव बनाया जा रहा है.


सांप्रदायिक तनाव बनाने की साजिशें:


तबलीगी जमात पर एक साजिश के तहत कोरोना बीमारी को फैलाने का आरोप लगाने की अपवाह और प्रचार गांव-गांव तक फैलाने में गोदी मीडिया और भाजपा के सामंती लोग सफल हो रहे हैं. गांव-गांव तक इन बातों को लेकर अफवाह फैलाई जा रही है. अरवल जिले के दो गांवों में सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिश की गई. वही कुछेक जगहों पर मुस्लिम परिवारों को तबलीगी जमात से जुड़ा होने का आरोप लगा कर प्रताड़ित किया गया.
 
महुआरी टांड़ी :  
6 अप्रैल 2020 को अरवल जिला मुख्यालय से सटे महुआरी टांड़ी गांव में लड़का-लड़की के संबंध को लेकर विवाद पैदा किया गया और मारपीट की गई. जिसमें दोनों तरफ से तनाव पैदा हो गया. पुलिस की पहलकदमी से मामला शांत हुआ. यहां मुस्लिम लड़की और कुशवाहा जाति के लड़के के बीच प्रेम प्रसंग था. कुछ मुस्लिम लड़कों ने कुशवाहा जाति के लड़के सुकेश कुमार उर्फ कारा की पिटाई कर दी. पिटाई करते ही हिंदू पक्ष की तरफ से भी जमात बनाकर मुस्लिम लड़कों के ऊपर हमला बोल दिया गया. दोनों तरफ से झगड़ा शुरू हुआ. समय पर तुरंत पुलिस आई. तब मामला शांत हुआ. यहां बहुत बड़ी घटना घटने से बच गई. इस घटना को आरएसएस/बीजेपी वाले लोग "बत्ती नहीं बुझाने और कैंडल नहीं जलाने" के नारे के साथ जोड़कर विवाद का प्रचार कर रहे हैं. इतना ही नहीं, यह झूठा प्रचार कि मुस्लिमों के बीच मरकज जमात के कुछ लोग छुपे हुए हैं. जिसका विरोध करने के कारण झगड़ा हुआ, यह भी फैलाया जा रहा है. अभी मामला शांत है और पुलिस प्रशासन को असलियत बात बता दी गई है ताकि सही दिशा में जांच हो सके. पुलिस पर पार्टी द्वारा दबाव बनाया जा रहा है ताकि निर्दोष लोगों की पिटाई न हो या उन्हें झूठे मुकदमे में न फंसाया जाए. 


मूसेपुर : 
6 अप्रैल 2020 को शाम में कलेर प्रखंड के मूसेपुर गांव में साम्प्रदायिक तनाव पैदा कर दिया गया. वहां बरसों से मदरसा में अजान देने की परंपरा रही है. इधर कुछ यादव व अति पिछड़ा व दलित लोगों द्वारा मुश्लिम को अजान देने से रोका गया और अजान देने गए मुर्शीद, जुबेर एवं इरफान की पिटाई करने लगे. देखते-देखते लोगों की भीड़ जुट गई और दोनों तरफ से तनाव का माहौल बन गया. घटना की खबर पुलिस को दी गई. भाकपा (माले) पार्टी नेता कामरेड जितेंद्र यादव की पहलकदमी पर मामला शांत हुआ. जितेंद्र यादव ने दोनों तरफ गरीबों को समझाते हुए इस लॉकडाउन के दौरान गरीबों पर संकट के समाधान के लिए एकजुट रहने का आह्वान किया. उन गरीबों को सामंती ताकतों व आरएसएस के बहकावे में नहीं आने की भी अपील की. गांव में गरीबों को राशन मिले, उन्हें किसी तरह की दिक्कत न हो, भूख से लोग मरने के कगार पर न पहुंचे, इसको लेकर मिलजुल कर सहयोग करने को कहा गया. 


परासी बाजार :
डॉक्टर कयामुद्दीन अंसारी की बेटी जो मकदुमाबाद में शिक्षक है, उसकी शादी तरार (दाउदनगर) में हुई है. उसके पति इंजीनियर हैं जो दिल्ली में रहते हैं. वहां इनका अपना फ्लैट है. वे होली के बाद 12 मार्च को दिल्ली से फ्लाइट द्वारा पटना आए और अपने घर दाउदनगर तरार चले गए.  इस बीच में पराना परवीन परासी गांव अपने पिता डॉक्टर अंसारी के घर आई. 1 मार्च से अभी तक दिल्ली से आने वाले लोगों की जांच की जा रही है और उनको मेडिकल चेकअप करवाया जा रहा है. उन्हें मेडिकल निगरानी में रखा जा रहा है. पराना परवीन का भी मेडिकल चेकअप हुआ है और पदाधिकारी के संपर्क में भी है और हमेशा रह रही है. लेकिन इस बीच परासी के कुछ अफवाह फैलाने वाले लोगों ने उनके मरकज जमात से आने की बात कह कर गांव में दहशत पैदा करने की कोशिश की. पार्टी को खबर मिलते ही तुरंत इस पर पहल लिया गया और असलियत सबको बताई गई.


आइसोलेशन कैम्प की व्यवस्था :


खंभैनी पंचायत के विभिन्न गांव के मजदूर बाहर रहते हैं. अभी गांव लौटे मजदूरों की संख्या 19 है. यहां आए मजदूरों को आइसोलेशन कैंप (खंभैनी स्कूल) में रखा गया है. खंभैनी गांव के ही 10 लोग हैं जो वहां के यादव बहुल परिवार से आते हैं. वे लोग भाकपा (माले) मुखिया (ग्राम प्रधान) द्वारा राशन व अन्य सामान दिए जाने पर भी हल्ला करते रहे. वहां का चौकीदार उन उदंड लोगों का राशन उनके घर पर पहुंचा देता था और पदाधिकारी को मुखिया की शिकायत करता था. रात में वे लोग कैम्प से घर भी चले जाते थे. इधर उनसे व्यवस्था करने वाले लोग परेशान थे. डीएम और बीडियो को स्पष्ट रूप से पार्टी के मुखिया विजय पासवान ने कह दिया कि ऐसे लोगों की देखरेख हम लोगों से नहीं होगी. यहां झगड़ा हो जाएगा. क्योंकि वे गाली गलौज करते हैं. इसलिए इस पर पहल आप लोग करें. अन्यथा हम लोग कुछ करने वाले नहीं हैं. तुरंत थाना प्रभारी और वीडियो आ कर मामले को हल किए और उनकी व्यवस्था के लिए मुखिया को कहा गया. हालांकि सरकार के तरफ से ग्राम पंचायत को कोई वित्तीय सहायता भी नहीं दिया गया है. मुखिया को घर से खर्च करना है और पंचम वित्तीय राशि से उसे मेकअप करना है. लेकिन अभी तक इस मामले में किसी तरह का कोई सरकारी फंड नहीं आया है. 
बम्भइ पंचायत में भी पार्टी मुखिया द्वारा बाहर से आए मजदूरों की देखरेख इसी तरह हो रही है. उन्हें हर तरह की सुविधा दी जा रही है.


इलाज की व्यवस्था : 


अरवल जिले में एक सदर अस्पताल, 5 पीएचसी एवं 8 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है. अरवल सदर अस्पताल में 25 डॉक्टर एवं 50 नर्सेज के स्थान पर मात्र 9 डॉक्टर एवं 16 नर्सेज ही हैं. यहां डॉक्टर एवं स्वास्थ्य कर्मियों के लिए पीपीई किट मुहैया नहीं कराया गया है. न ही कोरोना के लिए किसी तरह की विशेष दवा का इंतजाम है. अभी अस्पताल में ओपीडी बंद है. मरीजों को देखने के लिए केवल इमरजेंसी सेवा के नाम पर इलाज किया जा रहा है. कई जगहों से परेशान आए मरीजों को डॉक्टर पर दबाव देकर इलाज करवाया जा रहा है. 


गेहूं की फसल कटाई


किसानों के खेतों में गेहूं की कटनी शुरू हो गई है. रबी फसलों की कटाई हो रही है. रबी फसल काटने वाले मजदूरों को पुलिस द्वारा तंग नहीं किया जा रहा है. अभी कहीं से भी ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली है.


भाकपा माले, अरवल जिला कमेटी की रिपोर्ट