कानून वापस नहीं तो घर वापस नहीं- आंदोलनकारी किसान

कानून वापस नहीं तो घर वापस नहीं- आंदोलनकारी किसान

पुरुषोत्तम शर्मा


किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच आज नवें दौर की बातचीत टूट गई। किसान संगठनों ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग दोहराई। कृषि मंत्री और सरकार के प्रतिनिधि यह कह कर बैठक से चले गए कि सरकार कानूनों को वापस नहीं लेगी। किसान संगठानों ने किसानों का संकल्प सरकार को बता दिया है कि "कानून वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं"!

वहीं किसानों का विरोध देश भर में फैलता जा रहा है। अखिल भारतीय किसान महासभा के बैनर तले तीन कृषि क़ानूनों के खिलाफ बिहार में पटना, भोजपुर, जहानाबाद सहित दो दर्जन स्थानों पर चल रहे किसानों के अनिश्चितकालीन धरने आज चौथे दिन भी जारी रहे। 

आज बिहार के गया में 5 जनवरी से चल रहे किसान धरने को अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश सचिव कामरेड राम आधार सिंह ने संबोधित किया। आज जमुई में भी किसानों का अनिश्चितकालीन धरना शुरू हो गया है। जमुई में धरने को किसान महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष  कामरेड शिव सागर शर्मा ने संबोधित किया। 


उधर उत्तर प्रदेश के पलिया जिला खीरी में भी तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अखिल भारतीय किसान महासभा के बैनर तले किसानों-ग्रामीण मजदूरों का विशाल जुलूस निकाला। जुलूस का नेतृत्व ऐपवा की प्रदेश अध्यक्ष कामरेड कृष्णा अधिकारी, किसान महासभा नेता कमलेश राय और आरती राय ने किया। 

उत्तराखंड के लालकुुुआ में शहीद स्मारक पर अखिल भारतीय किसान महासभा के बैनर तले किसानों ने धरना दिया। धरने में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने और बिजली सुधार बिल को वापस लेने की मांग की गई। धरना कार्यक्रम में बड़ी संख्या में किसानों ने हिस्सा लिया। धरने को कामरेड राजा बहुगुणा, बहादुरसिंह सिंह जंगी, कैलाश पांडेय, विमला रौथाण, भुवन जोशी, आनन्द सिंह सिजवाली, ललित मटियाली आदि नेताओं ने संबोधित किया।

दिल्ली के पास पांचों बार्डरों पर डेढ़ माह से जमे किसानों के जत्थों में अखिल भारतीय किसान महासभा और उससे जुड़े पंजाब किसान यूनियन और सत्य शोधक शेतकारी सभा के कार्यकर्ता भारी संख्या में डटे हैं।


पश्चिम बंगाल एआइकेएससीसी के सचिव कामरेड कार्तिक पाल ने बताया कि 9 जनवरी से कोलकाता में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले किसानों का अनिश्चितकालीन धरना शुरू हो रहा है। तमिलनाडु सहित देश के विभिन्न भागों में किसानों के अनिश्चितकालीन धरने लगातार जारी हैं।