रेलवे परीक्षा में धांधली के खिलाफ 28 जनवरी को बिहार बंद का आह्वान

*रेलवे परीक्षा में धांधली के खिलाफ 28 जनवरी को बिहार बंद का आह्वान*

*युवा आंदोलन को रेलवे बेचने पर आमदा मोदी सरकार के खिलाफ मोड़ देने का आइसा–इनौस ने किया आह्वान*

पटना ,25 जनवरी 2022

छात्र संगठन आइसा व नौजवान संगठन इंकलाबी नौजवान सभा ने आरआरबी एनटीपीसी की परीक्षा के रिजल्ट में धांधली तथा ग्रुप डी की परीक्षा में तुगलकी फरमान के खिलाफ आंदोलनरत अभ्यर्थियों पर बर्बर दमन, लाठीचार्ज, आंसू गैस के गोले, मुकदमा व गिरफ्तारी के खिलाफ मोदी सरकार द्वारा रेलवे की नौकरियों को खत्म कर उसे प्राइवेट सेक्टर के हवाले करने के खिलाफ उठ खड़े हुए व्यापक छात्र-युवा आंदोलन के समर्थन में आगामी 28 जनवरी को बिहार बंद का आह्वान किया है.

इससे पहले कल गणतंत्र दिवस के अवसर पर ‘हम हैं इसके मालिक - हिंदुस्तान हमारा’ , ‘ हमारा देश-हमारी रेल-हमारा रोजगार-हमारा अधिकार’ तथा ‘हकमारी और दमन क्यों? मोदी-नीतीश जवाब दो’, नारे के साथ पूरे राज्य में युवाओं से तिरंगा मार्च में शामिल होकर छात्र-युवा अधिकारों तथा गणतंत्र की रक्षा करने का आह्वान भी किया है.

इनौस के राष्ट्रीय अध्यक्ष व विधायक मनोज मंजिल, आइसा के महासचिव व विधायक संदीप सौरभ, इनौस के मानद प्रदेश अध्यक्ष व विधायक अजीत कुशवाहा,  इनौस के राज्य अध्यक्ष आफताब आलम, आइसा के राज्य अध्यक्ष विकास यादव, इनौस के राज्य सचिव शिवप्रकाश रंजन व आइसा के राज्य सचिव सबीर कुमार ने संयुक्त प्रेस बयान जारी करके कहा कि आंदोलनरत छात्र-युवा अपने आक्रोश को मोदी-नीतीश सरकार के खिलाफ मोड़ दें तथा चरणबद्ध आंदोलन खड़ा करते हुए रेलवे बेचने व नौकरियां खत्म करने पर आमदा मोदी सरकार को पीछे हटने पर मजबूर कर दें. 

प्रत्येक साल 2 करोड़ रोजगार देने का वादा करने वाली मोदी सरकार और 19 लाख रोजगार देने का वादा करने वाली नीतीश सरकार बताए कि उसने छात्र-युवाओं के लिए अबतक क्या किया है? रोजगार के नए सृजन की बजाए उसमें लगातार हो रही कटौती ने आज छात्र-युवाओं की जिंदगी व भविष्य को पूरी तरह से अधर में लटका दिया है. उन्होंने कहा कि आइसा–इनौस इस आंदोलन का हर तरह से समर्थन करती है और सरकार से आग्रह करती है कि वह इन अभ्यर्थियों की मांगों पर अविलंब सुनवाई करे.

छात्रा-युवा नेताओं ने कहा कि 2019 में रेल मंत्रालय द्वारा जारी 35281 पदों के लिए हुई स्नातक स्तरीय परीक्षा का पीटी रिजल्ट 14 जनवरी 2022 को आया. पीटी के रिजल्ट में पदों के 20 गुना रिजल्ट जारी करने की बात थी. इस लिहाज से 7 लाख रिजल्ट आने चाहिए थे. रेलवे ने रिजल्ट भी इतना ही जारी किया, लेकिन इसमें तकरीबन 4 लाख रिजल्ट ऐसे हैं जिनमें कोई एक अभ्यर्थी दो से अधिक, यहां तक कि 7 पदों पर सफल हुआ है. इस तरह वास्तविकता में महज 2 लाख 76 हजार रिजल्ट ही जारी हुआ है. अभ्यर्थियों की मांग एकदम जायज है कि एक पद के लिए एक अभ्यर्थी का ही रिजल्ट देना चाहिए. इससे साफ प्रतीत होता है कि रेलवे ने जितनी वैकेंसी निकाली थी, उतनी बहाली नहीं कर रही है. अभ्यर्थी सरकार के इस खेल को समझ रहे हैं.

दूसरा मामला ग्रुप डी की परीक्षा की है. इसमें 1 लाख 3 हजार पदों पर बहाली होनी है, जिसपर तकरीबन 1 करोड़ आवेदन आए हैं. यह अपने आप में देश में बढ़ती बेरोजगारी की दर को दिखला रहा है, जहां ग्रुप डी के पदों के लिए भी भारी मारामारी है. पहले के नोटिफिकेशन में इस परीक्षा में केवल पीटी परीक्षा लेने की बात कही गई थी, लेकिन अब एक तुगलकी फरमान निकालकर दो परीक्षाओं को आयोजित करने की बात कही जा रही है.

ऐसा कहते हुए बिहार के व्यापक छात्र–नौजवानों से 26 जनवरी के युवाओं के तिरंगा मार्च व 28 जनवरी को बिहार बंद को सफल करने की अपील की गई है. 

सबीर कुमार , राज्य सचिव ,आइसा, बिहार

शिवप्रकाश रंजन , सचिव, इंकलाबी नौजवान सभा, बिहार