एसकेएम के आह्वान पर राज्यों की राजधानियों में सड़क पर उतरे लाखों किसान

केंद्र की वादाखिलाफी के खिलाफ राष्ट्रपति के नाम सौंपे ज्ञापन

पुरुषोत्तम शर्मा

किसानों के ऐतिहासिक दिल्ली मोर्चा लगाने की दूसरी बरसी पर 26 नवम्बर 2022 को ज्यादातर प्रदेशों की राजधानियों में लाखों किसानों ने सड़कों पर उतर कर जोरदार प्रदर्शन किए। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर आयोजित इन प्रदर्शनों में किसानों की व्यापक भागीदारी ने यह साबित कर दिया है कि एसकेएम पर देश के किसानों का अटूट विश्वास बना हुआ है। राज्यों की राजधानियों के अलावा भी कई कमिश्नरियों/सैकड़ों जिलों/तहसीलों पर भी किसानों ने प्रदर्शन किए और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपे।

पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ के पास मोहाली में किसानों का सबसे बड़ा प्रदर्शन हुआ। यहां संयुक्त किसान मोर्चा पंजाब से जुड़े 31 संगठनों ने 40 हजार की गोलबंदी का लक्ष्य लिया था, पर उम्मीद से ज्यादा लगभग 60 हजार किसान इस प्रदर्शन में पहुंच गए। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी 15 से 20 हजार किसान प्रदर्शन में पहुंचे। जबकि मुरादाबाद सहित प्रदेश के कई जिलों व तहसीलों में भी प्रदर्शन हुए और ज्ञापन सौंपे गए। 

लखनऊ

हरियाणा में पंचायत चुनावों के कारण कोई बड़ी गोलबंदी नहीं हुई। फिर भी हज़ारों किसानों ने पंचकूला से चंडीगढ़ की ओर मार्च किया। पटना, कोलकाता, भुवनेश्वर, हैदराबाद, चेन्नई, भोपाल, जयपुर, देहरादून, शिमला, पुणे, अहमदनगर, नंदूरबाड़, नासिक सहित महाराष्ट्र के तमाम जिलों सहित देश के तमाम जगहों पर लाखों किसान सड़कों पर उतरे।

अखिल भारतीय किसान महासभा ने भी इन प्रदर्शनों को आयोजित करने में देश भर में बड़ी भूमिका निभाई। किसान महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कामरेड रुलदू सिंह मानसा मोहाली में, राष्ट्रीय महासचिव कामरेड राजा राम सिंह पटना में, एआइकेएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक ढावले, केकेएस के दर्शन पाल ने मोहाली में, डॉ सुनीलम ने भोपाल में, राकेश टिकैत ने लखनऊ में आयोजित प्रदर्शनों को संबोधित किया। 

कोलकाता

 इस अवसर पर राष्ट्रपति महोदया के नाम राज्यों के राज्यपालों को सौंपे गए स्मार पत्र में निम्नलिखित मांगों को उठाया गया है।

1) सभी कृषि उपजों के लिए स्वामीनाथन आयोग के आधार पर सी2+50% के फॉर्मूला से न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी। 2) किसानों/ग्रामीण मजदूरों के लिए एक व्यापक ऋण माफी योजना के माध्यम से कर्ज मुक्ति। 3) बिजली संशोधन विधेयक 2022 की वापसी। 4) लखीमपुर खीरी में किसानों व पत्रकारों के जनसंहार के आरोपी केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी एवं उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई। 

5) प्राकृतिक आपदाओं के कारण किसानों की फसल बर्बाद होने पर शीघ्र क्षतिपूर्ति के लिए व्यापक एवं प्रभावी फसल बीमा योजना। 6) सभी मध्यम, छोटे और सीमांत किसानों और कृषि श्रमिकों को 5,000 रुपये प्रति माह की किसान पेंशन। 7) किसान आन्दोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज सभी झूठे मामलों की वापसी। 8) किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए सभी किसानों के परिवारों को मुआवजे का भुगतान और शहीदों किसानों के लिए सिंघु मोर्चा पर स्मारक बनाने के लिए भूमि का आवंटन। 9) तेल और ईंधन की कीमत में कमी। 10)अनाज पर लगाए गए कर की वापसी जैसी मांग प्रमुख है।

चेन्नई