"संगठित हो! प्रतिरोध करो! नारा गूंजा कोलकाता में


इंद्रेश मैखुरी


कलकत्ता के नेताजी इंडोर स्टेडियम में भाकपा(माले) द्वारा आयोजित "एकजुट रहो,मुकाबला करो" राष्ट्रीय कंवेंशन में भाकपा(माले) के महासचिव कॉमरेड दीपंकर भट्टाचार्य के वक्तव्य का सार :


"विविधता और बहुलता का ही नाम हिंदुस्तान है, और हम उसे मजबूत करना चाहते हैं। जबकि भाजपा-आरएसएस देश को एक संकीर्ण खाँचे में बंद करना चाहते हैं।
यह सही है हम अलग-अलग हैं, भाषा में, खानपान में, धर्म में, जाति में और विविध ढंग में पर हम एक दूसरे के खिलाफ नहीं है। भाजपा-आरएसएस हमारी विविधता को हमें आपस में लड़ाने के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं, जिसे हम नहीं होने देंगे।
आज़ादी के आंदोलन में मजदूर-किसान-दलित-आदिवासी देश को आजाद कराने निकले थे,
आज़ादी के उसी आंदोलन में साम्प्रदायिक बीज भी पनपा जिसने आज़ादी के आंदोलन को कमजोर किया और देश का विभाजन हुआ।इसलिए आजादी के आंदोलन का सबसे बड़ा सबक यही है कि साम्प्रदायिकता के बीज को नहीं पनपने देना है।
संघ-भाजपा ने सचेत तरीके से राष्ट्रवाद की चर्चा तेज़ की है पर इसी राष्ट्रवाद की चर्चा के बीच में ही निजीकरण में तेजी ले आई जा रही है। ये कैसा विद्रूप है कि, राष्ट्रवाद के सबसे बड़े पैरोकार देश के संसाधनों और संस्थाओं के राष्ट्रीयकरण के खिलाफ खड़े हैं।
सत्ता के बुलडोजर की निरंकुशता के सामने, फासीवाद की चीख पुकार के आगे लोकतंत्र की आवाज, सच की आवाज खामोश नहीं होगी। "एकजुट रहो, मुकाबला करो" कन्वेंशन के संदेश को पूरे देश में पहुचायें। फासीवाद के खिलाफ़ लड़ाई में इस संदेश को हर हाल में लागू करना फासीवाद को पीछे धकेलने और लोकशाही को मजबूत करने के लिए जरूरी है।"