सिख करें कश्मीर की महिलाओं और बच्चियों के सम्मान की रक्षा "अकाल तख़्त"

सिखों की महान धार्मिक पीठ अकाल तख्त को सलाम


पुरुषोत्तम शर्मा


सिख गुरुओं की सीख पर चलते हुए कश्मीरी लड़कियों, महिलाओं की सुरक्षा के लिए सिखों से अकाल तख्त के आह्वान का स्वागत किया जाना चाहिए. आज यह उम्मीद हम हिंदू धर्म से जुड़ी संस्थाओं और मठों से नहीं कर सकते, जिनकी सोच और चरित्र को संघ-भाजपा ने पतित कर दिया है. जिनके अंदर मानवता का बोध खत्म हो गया है. फिर उस सत्ता से तो ऐसी उम्मीद कतई नहीं की जा सकती, जिसे चलाने वाले संवैधानिक पदों पर बैठ कर कश्मीरी लड़कियों और महिलाओं पर असहनीय टिप्पणी कर रहे हैं. असल में संघ-भाजपा ने सत्ता और हिंदू धार्मिक संस्थाओं/संगठनों का लम्पटीकरण कर दिया है. यह फासीवादियों का मूल चरित्र है. भीषण दमन और असुरक्षा के इस दौर में कश्मीरी आवाम का साथ दें. लोकतंत्र और संविधान द्वारा प्रदत्त संघीय ढांचे की हिफाजत करें.



 


पढ़ें अकाल तख़्त ने क्या कहा है.



नई दिल्ली। जब हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से लेकर भाजपा के सांसद-विधायक तक कश्मीरी लड़कियों और महिलाओं को लेकर अश्लील और बेहद जाहिलाना किस्म के बयान जारी कर रहे हैं तब सिखों की एक धार्मिक संस्था की ओर से बेहद सुकूनभरा बयान आया है।
अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने सिख समुदाय के लोगों से कश्मीर की महिलाओं और बच्चियों के सम्मान की रक्षा के लिए आगे आने की अपील की है। आपको बता दें कि अकाल तख्त सिख समुदाय की सबसे बड़ी पीठ होती है।


हरप्रीति सिंह ने कहा कि “ईश्वर ने सभी इंसानों को बराबर का अधिकार दिया है और लिंग, जाति और धर्म के आधार पर किसी के साथ मतभेद करना एक अपराध है। सेक्शन 370 के खात्मे के बाद चुने गए प्रतिनिधियों द्वारा कश्मीरी लड़कियों के खिलाफ जिस तरह की घोषणाएं की जा रही हैं वह न केवल अपमानजनक है बल्कि माफी के काबिल भी नहीं है।”
बगैर किसी का नाम लिए जत्थेदार ने कहा कि “जिस तरह से कुछ लोग कश्मीरी बेटियों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहे हैं उसने भारत की छवि को चोट पहुंचाया है। इस तरह की टिप्पणियां महिलाओं को निशाना बनाती हैं। ठीक उसी समय ये लोग यह भूल जाते हैं कि एक महिला मां, बेटी, बहन और पत्नी भी है। ये महिलाएं ही हैं जो सृजन की क्षमता रखती हैं।”
एक बार फिर किसी शख्स या समुदाय का सीधे नाम लेने से बचते हुए उन्होंने कहा कि यही भीड़ जो अब कश्मीरी महिलाओं को निशाना बना रही है “ठीक इसी तरह से प्रतिक्रिया दी थी और 1984 के दंगों के दौरान सिख महिलाओं पर हमले किए थे।”