चर्चित ट्रेड यूनियन नेता कॉमरेड हरी सिंह का निधन
विजय कुमार
कामरेेेड हरि सिंह गोंडा जिले की बभनान तहसील के गाँव शुकुलपुर में जन्मे . 60 के दशक में कानपुर में आये तथा लक्ष्मी रतन कॉटन मिल्स में बाइंडिंग विभाग में मजदूर के बतौर नौकरी की . वर्ष 1966 की हड़ताल में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी -मिल बंद - काफी संघर्ष के बाद मिल खुली .
1978 में पार्टी से संपर्क -1980 में HMKP यूनियन में रहकर , फ्रेक्शनल कार्य -1982 में टेक्सटाइल मजदूर एकता मंच निर्माण ( यह राष्ट्रीय स्तर पर हमारी पहली पहली रजिस्टर यूनियन थी. शहर में होने वाले प्रत्येक संघर्ष में चाहे वे नयी आर्थिक नीति से सम्बंधित रहे हों या स्थानीय स्तर पर किसी फैक्ट्री का संघर्ष हो - शहर में आज के दौर में एक पुरानी साइकिल लिए संघर्ष के हर मोर्चे पर आगे कॉमरेड हरी सिंह की यह पहचान , शहर के अन्दर चाहे वे उनके समर्थक हों या विरोधी - वे भी उनका सम्मान करते थे.
कॉमरेड हरी सिंह ऐक्टू के कार्यवाहक अध्यक्ष 2002 में बने, अगले सम्मलेन में उन्हें प्रदेश अध्यक्ष चुना गया . तब से लेकर वर्तमान तक वे प्रदेश के अध्यक्ष रहे . एक कक्षा 8 तक की शिक्षा प्राप्त एक मजदूर का जिला कमेटी- राज्य कमेटी - ट्रेड यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष का सफ़र, एक मजदूर के राजनीतिक विकास का एक उदहारण है .
एक्टू के प्रदेश अध्यक्ष के बतौर - विलोपवादियो द्वारा छोड़े गये शून्य को भरकर एक्टू की सदस्य संख्या में वृद्धि करने एवं नयी -२ यूनियनों को एक्टू के साथ सम्बद्ध करने के लिए उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता . गैर-सर्वहारा विचारों तथा विरोधियों यहाँ तक भाजपा समर्थक मजदूरों-कर्मचारियों के बीच -ट्रेड यूनियन खड़ी करना एवं गतिशील करना - उनके व्यक्तित्व के कुछ ऐसे पहलू हैं - जिनसे सीखने की जरुरत है .
80 के दशक में दो व्यक्तियों से शुरू करके पार्टी निर्माण , ट्रेड यूनियन , किसान सभा, महिला संगठन, छात्र संगठन को कानपुर में खड़ा करने व उसका विस्तार करने में अपने अंतिम समय तक जिस मेहनत, लगन और त्याग से कॉमरेड हरी सिंह काम करते थे उनके उस योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकेगा .
सन 2000 में लक्ष्मी रतन कॉटन मिल्स से रिटायर होने के बाद अनवरत पार्टी द्वारा सौंपे गए कार्य को बीमार होने से पहले तक अंजाम देते रहे .
सन 2017 में पत्नी कॉमरेड शारदा की मृत्यु ने उन्हें विचलित अवश्य किया लेकिन उन्होंने अपनी गतिशीलता से उस विचलन को ख़त्म किया .
कामरेड हरी सिंह करीब 3 महीने बिस्तर पर रहे . तमाम कोशिशों के बावजूद कॉमरेड हरी सिंह को बचाया न जा सका . दिनांक 25/9/19 को सुबह 11 बजे मंगलम हॉस्पिटल में कॉमरेड हरी सिंह ने अंतिम साँस ली .
कॉमरेड हरी सिंह को लाल सलाम .
अम्बरीष राय
कामरेड हरी सिंह नहीं रहे.
एक बहादुर,कर्मठ,और मजदूरों के लिए जीवन-पर्यन्त संघर्ष करने वाले साथी की जीवन यात्रा समाप्त हो गयी. वे कानपूर के कपडा मिल मजदूरों के ईमानदार और जुझारू नेता के रूप में मशहूर थे. भाकपा (माले) और एक्टू के नेतृत्वकारी लोगों में से एक थे. उनसे मेरी मुलाकात उत्तर प्रदेश के कताई मिल मजदूरों के आंदोलन के दौरान हुई थी. १९९० के शुरूआती दिनों की बात है उत्तर प्रदेश के कताई मिलों के हजारों मजदूरों ने बढ़ते औद्योगिक संकट और कपड़ा मजदूरों के शोषण के विरूद्ध संघर्ष छेड़ दिया था. यह संघर्ष राज्यव्यापी था. मउ, रसड़ा, बहादुरगंज, रायबरेली, बाराबंकी, काशीपुर, बाँदा की मिलों के मजदूर नेता अगुवाई में थे इसके अलावा अन्य मिलें भी इस संघर्ष के समर्थन में बाद में जुड़ीं. कामरेड हरी सिंह इस संघर्ष को समर्थन देने और साथ ही कानपूर के नेशनल टेक्सटाइल कारपोरेशन के मजदूरों की जारी लड़ाई के लिए सहयोग मांगने आये थे. उन दिनों मै उत्तर प्रदेश कताई मिल मजदूर महासंघ का अध्यछ था और रायबरेली के लोकप्रिय और जुझारू नेता कामरेड Vijay B Singh (Vijay Vidrohi) महासंघ के महामंत्री. हमारे अलावा मउ के कामरेड धनराज सेठी, जिन्हे संगठन बनाने में महारत हासिल है,और अकबरपुर के कामरेड रामबहाल सिंह नेतृत्वकारी टीम के साथी थे. हार-जीत की परवाह किये बगैर लोगों को संगठित बनाये रखना और सरकार के हर दमनकारी हथकंडे का जबाब देने की रणनीति बनाने की व्यस्तता में कई साल गुजर गए और पता ही नहीं चला. पुलिस की लाठियां, मैनेजमेंट के गुंडों का मुकाबला, मजदूरों का निष्कासन और जेल भेजने की कार्यवाहियां आये दिनों की बातें थीं.
उसके बाद तो हम कामरेड हरी सिंह से लगातार मिलते रहे और साथ साथ प्रदेश का दौरा भी करते रहे. जब भी हम कानपूर गए उनके घर पर ही रुके. पूरा परिवार साथियों के आवाभगत में जुट जाता था. मैंने अपने जीवन में विरले ही ऐसा परिवार देखा है जो वैचारिक रूप से एक हो और जनता के संघर्ष के साथ किसी न किसी रूप में जुड़ा हो. उनकी पत्नी और महिला आंदोलन की नेता स्व. कामरेड शारदा जी का भी इसमें बड़ा योगदान रहा है
कामरेड हरी सिंह हमेशा याद आते रहेंगे और उनके संघर्ष मजदुर नेताओं को हमेशा प्रेरणा देते रहेंगे.