कश्मीर से लौटे मजदूरों को सरकार रोजगार देने की गारंटी करे

"कश्मीर में धारा 370 का खत्मा और चंपारण के मजदूरों की रोजी-रोटी का संकट" विषय पर जनसंवाद का आयोजन


सुनील कुमार राव



चंपारण के दसियों हजार मजदूरों के करोड़ों रूपये जो काश्मीर मे फंस गयें है, उसे सरकार भरपाई करे!




 – भाकपा माले

कश्मीर से लौटे मजदूरों को भाजपा-जदयू सरकार रोजगार देने की गारंटी करें – निर्माण मजदूर यूनियन(ऐक्टू)


बेतिया। 30 सितंबर 2019 को केन्द्रीय पुस्तकालय बेतिया के नेपाली कक्ष में कश्मीर से लौटे मजदूरों के साथ जनसंवाद का आयोजन भाकपा माले, खेग्रामस, निर्माण मजदूर यूनियन के बैनर से किया गया, जनसंवाद में कश्मीर से लौटे जैनूललह खॉ कोलूहवा चौतरफा बगहा, नैमूलाह बसंतपुर बगहा, जितेंद्र महतो रजपुरा मैनाटांड़, मोहम्मद अब्दुल्ला बंसनपुर बगहा, अजय महतो खाप टोला नौतन, सरवन राम रजपुरा बगहा, जयराम पटेल रजपुरवा मैनाटांड़, जफर इमाम सिसवां हसनपुर बगहा सहित दर्जनों मजदूरों ने कश्मीर में 370 धारा का खत्मा और आपातकाल की दर्दभरी कहानी को बयान किया।


इन लोगों ने बताया कि कश्मीर की जनता की तरफ से हम लोगों को कोई दिकत नहीं थी, बल्कि भारतीय सेना के जवानों ने गुलामों जैसा सलूक किया। भूखे रहकर 6-7 दिन में घर लौटे। दस हजार से लेकर दो लाख रूपया वहां इनकी मजदूरी का बाकी है। लाखों लाख के औजार और समान को छोड़ कर सेना द्वारा हमें जबरन भगाया गया है। इस प्रकार चंपारण से करीब दस हजार मजदूरों को कश्मीर से लौटना पड़ा हैं और हमारे दसियों करोड़ रूपये वहा फंसे हैं।


भाकपा माले राज्य कमिटी सदस्य सुनील कुमार यादव ने जनसंवाद को संबोधित करते हुए कहा कि सरकारी आकड़ों के मुताबिक जम्मू कश्मीर में चार लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूर देश के अलग अलग हिस्सों से जाकर काम कर रहे थेेे, लेकिन इस आपातकाल जैसी स्थिति में उन्हें किये हुए काम का पैसे और काम के औजार छोड़कर भागना पड़ा है। यानि सरकार रोजगार देने के बजाय लोगों के पेट पर लात मार रही है।


उन्होंने आगे कहा कि कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने का मतलब क्या है? कहा जा रहा है कि अब कश्मीर में हर भारतीय प्लाट खरीद सकेगा। हालत ये है कि आम हिंदुस्तानी अपने पुराने घर और मकान नहीं बचा पा रहे हैं, वे छोटे शहरों के अपने खेत और घर बेच कर बैंकों से लोन लेकर किसी महानगरों में प्लैट ले रहे हैं। वे अपना दूसरा प्लाट कश्मीर में लेंगे, यह हास्यास्पद खयाल बस एक लचर दलील से ज्यादा कुछ नहीं बनता, बेशक इसका फायदा कुछ पुंजीपतियों को मिलेगा लेकिन इसकी कीमत कश्मीर और पूरे देश को चुकानी होगी।


खेग्रामस के जिला संयोजक संजय राम ने कहा कि भाजपा
सरकार बस इस विशेष दर्जे को खत्म कर देने भर से विकास की सुबहा आ जाने का दवा कर रही है। उससे पूछा जाना चाहिए कि जिन इलाकों में उसे कहीं भी जाने- जमीन खरीदने, स्कूल बनाने, उद्योग लगाने की छूट है वहां विकास का सच क्या है? किसान आत्महत्या को क्यों मजबूर है, नौजवान बेरोजगार क्यों है, बच्चे कुपोषण से मरने का मजबूर क्यों है?


अखिल भारतीय किसान महासभा के नेता सुनील कुमार राव ने कहा कि लोकतंत्र के इतने सारे बरस बीत जाने के बाद भी आप नहीं समझ पाए हैं कि देश कैसे बनते है और राष्ट्र कैसे मजबूत होते हैं। वे कानून की धाराओं से नहीं, जनता के सपनों से बनते हैं। जम्मू कश्मीर में पिछले कुछ दिनों में जिस तरह का सरकारी तंत्र चला, उसे लगता है जैसे हम अपने ही देश के बराबरी वाले हिस्से के साथ नहीं, किसी उपनिवेश के साथ पेश आ रहे हैं।


एक्टू नेता जवाहर प्रसाद ने कहा कि सौ साल पहले जैसे ब्रिटिश सरकार भारतीयों से पेश आती थी, उसी तरह भारत सरकार भारतीयों के साथ पेश नहीं आ सकती। एक राज्य के नेताओं को नजरबंद करके, बिना किसी उकसावे के राज्य में धारा 144 लागू करके, राज्य के एक हिस्से में स्कूल, कॉलेज बंद कराकर अगर आप कोई फैसला करते हैं, तो इसलिए आपको पता होता है कि वह फैसला जनता के गले उतरने वाला नहीं है।


माले नेता सीताराम राम ने कहा कि भाजपा सरकार लोगों को समझाने, अपने साथ जोड़ने की कोशिश नहीं करती, उन पर अपना फैसला थोपने की कोशिश करती है। कुछ इस तरह करते हैं कि इस पर बाकी भारत इठलाता- खिलखिलाता है, ऐसा करके दरअसल आप कश्मीर को कुछ और दूर ही कर रहे होते हैं। जनसंवाद का संचालन खेग्रामस के जिला सचिर मुख्तार मियां ने किया। अंत में जनसंवाद से दो प्रस्ताव पास हुआ।