ईको सिस्टम की रक्षा में किसानों का परम्परागत ज्ञान ज्यादा समृद्ध-
गतांक से आगे
पुरुषोत्तम शर्मा
इससे साफ़ हो जाता है कि ग्रीन बोनस की यह राजनीति किसके हित में की जा रही है. किसी भी हाल में “इको संसिटिव जोन” के गठन व विस्तार पर रोक लगनी चाहिए. हिमालय के ईको सिस्टम को बचाए रखने के लिए हिमालय वासियों को खदेड़ने के बजाय हिमालय क्षेत्र में बाहरी मानव गतिविधियों को सीमित किया जाना चाहिए. जिसके तहत निम्न कदम उठाये जाने चाहिए –
1 – उच्च हिमालयी क्षेत्र में सभी तरह की यात्राओं को सरकार हरिद्वार से आगे स्वयं आयोजित करे और उसमें जाने वाले लोगों की संख्या सुनिश्चित करे.
2 – हरिद्वार से आगे कांवड़ यात्रा पर पूर्ण प्रतिबंध लगे.
3 - पर्यटन विकास के नाम पर सभी उच्च हिमालयी क्षेत्रों, राष्ट्रीय पार्कों और सेंचुँरीज में बड़े होटलों, रिसोर्टों और बड़ी धर्मशालाओं को पूर्णत: प्रतिबंधित कर ग्राम पर्यटन (विलेज ट्यूरिज्म) को विकसित किया जाय और इसके लिए आधारभूत ढाचा तैयार करने के लिए स्थानीय ग्रामीणों को राजकीय सहायता मिले.
4 – इन क्षेत्रों में जमीनों की बिक्री पर तुरंत रोक लगाई जाय और पूर्व में हुए सभी भूमि सौदों को रद्द् कर सरकार उन जमीनों का अधिग्रहण करे.
5 – उच्च हिमालयी क्षेत्रों में सड़कों के बजाय रज्जू मार्गों (ट्राली) को प्राथमिकता दी जाय और स्थानीय निवासियों को उसके किराए में 70 प्रतिशत छूट दी जाय.
6 – नदी किनारे हुए सभी तरह के अतिक्रमणों को हटाते हुए नदी की चपेट में आई जमीनों में भवन पुनर्निर्माण पर पूर्णत: रोक लगे और खतरे की जद में आ चुके भवनों को भी मुआवजा देकर अन्यत्र स्थानान्तरित करने के आदेश जारी हों.
7 – सभी स्वीकृत जल विद्युत परियोजनाओं की पुनः समीक्षा हो और समीक्षा पूरी होने तक इन परियोजनाओं के निर्माण पर रोक लगे.
8 – सुरंगों का मलवा नियम विरुद्ध नदी में गिरा कर तबाही को बढाने वाली विद्युत कंपनियों और ऐसा करने वाली सड़क निर्माण से जुड़ी संस्थाओं से नुकसान की भरपाई कराई जाय.
9 – पहाड़ के लोगों को अपने खेतों में बृक्षों के व्यावसायिक उत्पादन का अधिकार मिले.
10 – पहाड़ के ग्रामीणों को अपने खेतों और वन पंचायतों में तैयार किए गए पेड़ों की एवज में सीधे ग्रीन बोनस का अपना हिस्सा मिले. वन पंचायतों को मिलने वाले ग्रीन बोनस का 50 प्रतिशत गांववासियों को नकद वितरित हो और 50 प्रतिशत गाँव के सामुदायिक कार्य और वन पंचायत के संवर्धन में खर्च हो.
11 – पहाड़ों में अपनी खेती करने वाले सभी किसानों को कृषि कार्य में लगे दिवसों का मनरेगा योजना से मजदूरी भुगतान हो. तथा जंगली जानवरों से फसल की रक्षा के लिए उनकी कृषि भूमि को पत्थर की चारदीवारी कर सौर ऊर्जा करंट से घेरा जाए. पहाड़ की खेती को बचाए रखने के लिए यह उपाय जरूरी हैं.
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