“गौ रक्षा कानून”- विभाजनकारी राजनीति और बड़ी पूंजी की सेवा का छुपा एजेंडा पुरुषोत्तम शर्मा

“गौ रक्षा कानून”-


विभाजनकारी राजनीति और बड़ी पूंजी की सेवा का छुपा एजेंडा


पुरुषोत्तम शर्मा


 


गरीब किसान व ग्रामीण मजदूर का सहायक रोजगार


हमारे देश की कृषि में छोटी व माध्यम जोतों की संख्या 80 प्रतिशत के करीब है. इसमें भी बहुतायत एक हैक्टेयर से कम की छोटी जोतों की है. यही कारण है कि यहां छोटी खेती या ग्रामीण मजदूरी पर निर्भर हर परिवार की आर्थिक आय का दूसरा बड़ा साधन पशुपालन है. यह देश भर में फैली “हल बैल” पर आधारित हमारी छोटी जोत की खेती का सहायक कारोबार है और मजदूरी पर निर्भर हर ग्रामीण गरीब का स्थाई सहायक रोजगार भी. औसतन एक गाय या भैंस एक साल में 1200 लीटर दूध देती है. इससे ही इन्हें पालने वाले गरीब किसानों या ग्रामीण मजदूरों को कम से कम 24 हजार रुपया वार्षिक की आय हो जाती है. यह आय साल भर में 40 दिन भी रोजगार न पाने वाले ग्रामीण मजदूरों का बड़ा सहारा होती है. इन्हीं के बल पर हमारे देश में 400 से ज्यादा डेयरी संयंत्र लगे हैं.


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