विभाजनकारी राजनीति और बड़ी पूंजी की सेवा का छुपा एजेंडा - गतांक से आगे जारी पुरुषोत्तम शर्मा

विभाजनकारी राजनीति और बड़ी पूंजी की सेवा का छुपा एजेंडा -  


गतांक से आगे जारी  


पुरुषोत्तम शर्मा


 


बड़ी पूंजी और साम्राज्यवाद की सेवा का मंशूबा 


गौ रक्षा के नाम पर अपने चहेते बड़ी पूंजी के आकाओं के लिए कारपोरेट फार्मिग जिसमें विशाल डेयरी फार्मिंग भी शामिल है का रास्ता खोलना इस सरकार का असली छुपा ऐजेंडा है. अभी हाल में हमने देखा कि मोदी सरकार “व्यापक क्षेत्रीय आर्थिक साझेदारी”  (आरसीईपी) मंच के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करने जा रही थी. इस मंच में 16 देश शामिल हैं. जिसमें चीन, जापान, भारत, आस्ट्रेलिया, साउथ कोरिया, न्यूजीलेंड के अलावा आसियान के दस देश ब्रुनेई, कम्बोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलिपीन्स, सिंगापुर, थाईलेंड और वियतनाम शामिल हैं. देश के किसानों के भारी विरोध के कारण मोदी सरकार अंतिम समय में इस समझौते पर हस्ताक्षर करने से रुक गयी.


देश के किसानों के विरोध का कारण यह था कि इस संधि के अनुसार इसमें शामिल देश अपने दुग्ध उत्पादों, लघु उद्योग के उत्पादों का एक दूसरे के देश में बेरोकटोक व्यापार कर सकेंगे. इनमें कुछ देश पशुपालन पर अपने किसानों या डेयरी फार्मों को भारी सब्सिडी देते हैं. जबकि भारत में पशुपालकों को कोई ऐसी सब्सिडी नहीं दी जाती है. ऐसे में हमारे दुग्ध उत्पादकों का उनके साथ प्रतिस्पर्धा में टिकना उसम्भव था. कृषि उत्पादों के बेरोकटोक व्यापार का समझौता डब्ल्यू टी ओ के साथ करके हम अपने किसानों को पहले ही आत्महत्या में धकेल चुके हैं.


संघ और भाजपा जानती हैं कि कारपोरेट खेती और कारपोरेट डेयरी फार्मिंग के लिए छोटी खेती और छोटे स्तर का पशुपालन बाधा है. इस लिए आज भाजपा सरकार द्वारा अपनाई जा रही नीतियों का पूरा जोर हमारे देश में छोटी जोत की खेती और उससे जुड़े छोटे स्तर के पशुपालन से ग्रामीण क्षेत्र की बड़ी आबादी को बाहर करने पर है.


जारी....