विभाजनकारी राजनीति और बड़ी पूंजी की सेवा का छुपा एजेंडा - गतांक से आगे जारी

विभाजनकारी राजनीति और बड़ी पूंजी की सेवा का छुपा एजेंडा -


गतांक से आगे जारी...


पुरुषोत्तम शर्मा


 


आवारा गायों से आतंकित ग्रामीण और शहरी


किसान मुक्ति यात्रा के दौरान मैंने मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार, झारखंड, उडीसा, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा में जगह-जगह सड़कों और शहरों में आवारा गायों व सांडों के झुण्ड के झुण्ड देखे हैं. सबसे बुरा हाल पंजाब का है. किसानों और शहरी लोगों ने बताया कि गायों/सांडों के ये झुण्ड न सिर्फ उनकी फसलों को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं, बल्कि सड़कों और राष्ट्रीय राजमार्गों पर दुर्घटनाओं के भी बड़े कारण बन गए हैं.


पंजाब में चर्चित किसान नेता और अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कामरेड रुलदू सिंह और पंजाब किसान यूनियन के सचिव कामरेड गुरुनाम सिंह का कहना है कि आवारा गायों/सांडों से फसलों की रक्षा किसानों का सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है. यही नहीं इन आवारा पशुओं से शहरों/कस्बों में लोगों की जान की हिफाजत का सवाल पंजाब का बहुत बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है. उनका कहना है कि गौरक्षा कानून लागू होने के बाद पजाब में बछड़ों और गायों की बिक्री पर लगी रोक से किसान अब ज्यादा जानवर पालने में असमर्थ है. उन्होंने सवाल किया कि सरकार बताए पंजाब में लाखों की संख्या में घूम रहे अमरीकी नस्ल के सांड आखिर क्यों नहीं बेचे जाने चाहिए? यही कहानी किसान नेता रामचंद्र कुलहरि और सामाजिक कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव ने राजस्थान के गांवों की भी बयान की. राजस्थान, गुजरात, झारखंड और मध्य प्रदेश में हर वर्ष हजारों गायें उन गौशालाओं में दम तोड़ रही हैं जिन्हें उनके बचाव और सुरक्षा के नाम पर चलाया जा रहा है. जबकि इन गायों को पालने के नाम पर संघ परिवार से जुड़े गौशालाओं के संचालक भारी भरकम अनुदान और चन्दा वसूलते रहते हैं. मध्य प्रदेश में गौ सेवा आयोग के बावजूद राज्य के दुर्ग की एक गौशाला में 200 गायों की मौत और भाजपा के एक कार्यकर्ता की गौशाला को 94 लाख रूपए का अनुदान देने की मीडिया ख़बरों से तो पूरा देश ही अवगत है. पंजाब में इन गौशालाओं को प्रति पशु 300 रूपये और छत्तीसगढ़ में 25 रुपया प्रतिदिन के हिसाब से अनुदान मिलता है. किसान नेताओं का कहना है अगर गौशालाओं को दिया जा रहा यह 300 रुपया प्रति पशु अनुदान सरकार सीधे किसान को दे तो आवारा पशु की समस्या काफी हद तक कम हो जाएगी.


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