विभाजनकारी राजनीति और बड़ी पूंजी की सेवा का छुपा एजेंडा - गतांक से आगे जारी

विभाजनकारी राजनीति और बड़ी पूंजी की सेवा का छुपा एजेंडा -


पुरुषोत्तम शर्मा


गतांक से आगे जारी


 


गौ रक्षा कानून बाद घट रहा है पालतू गौ वंश


तो क्या सचमुच गौ रक्षा कानून गायों की रक्षा कर रहा है? आंकड़े तो ठीक उलटी तस्वीर पेश कर रहे हैं. केंद्र सहित आज देश के ज्यादातर राज्यों में भाजपा या भाजपा की साझा सरकारें काम कर रही हैं. इनमें से कई राज्यों में तो पिछले 15–20 वर्षों से गौ रक्षा कानून लागू है. भाजपा शाषित मध्य व उत्तर भारत के ज्यादातर राज्यों में संघ परिवार की छत्रछाया में गौ रक्षा दलों के नाम पर समाज के तमाम आवारा और अपराधी तत्वों के उन्मादी लुटेरे गिरोह काम कर रहे हैं. इन गिरोहों को भाजपा सरकारों का खुला संरक्षण मिलने के कारण पुलिस के साथ भी इनका गठजोड़ बना है. यह रिपोर्ट समाचार पत्रों और टीवी चैनलों पर लगातार आती रही हैं कि कैसे हर थाना और हर राज्य से गौ वंश की निकासी के लिए इन गिरोहों ने रेट बांधे हैं. आखिर इस सवाल का जवाब कौन देगा कि जब गाएं बेची नहीं गयी और खाई भी नहीं गयी, फिर इतने कड़े कानून और चप्पे–चप्पे पर सत्ता के संरक्षण में पल रहे गौ रक्षा दलों के बावजूद ये दो तिहाई गौ वंश कहां चला गया? दरअसल इस कानून की आड़ लेकर संघ परिवार की छत्रछाया में गौ रक्षा दलों के नाम पर बनाए गए इन लुटेरे गिरोहों का कारोबार खूब फल-फूल रहा है. गौ तस्कर के नाम पर निर्दोष पशुपालक किसानों की भीड़ हत्या के ज्यादातर मामलों में भी इन्हीं गिरोहों का हाथ रहता है.


 


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