विभाजनकारी राजनीति और बड़ी पूंजी की सेवा का छुपा एजेंडा - गतांक से आगे जारी .....

विभाजनकारी राजनीति और बड़ी पूंजी की सेवा का छुपा एजेंडा -


पुरुषोत्तम शर्मा


गतांक से आगे जारी .....


 


ग्रामीण आय का 26 %, फिर भी घट रहा है पालतू गौवंश


सन् 2012 की पशु गणना के अनुसार भारत में लगभग 30 करोड़ पशुधन लोगों के पास था. देश के कृषि क्षेत्र की कुल आय में इसका हिस्सा 26 प्रतिशत है. यही नहीं एक अनुमान के अनुसार देश के डेयरी उद्योग की आय का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा गाय-भैंसों की खरीद-बिक्री से आता है. अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो सन् 1951 की पशु गणना में पालतू पशुओं में गौवंश का प्रतिशत 53.04 था जो सन् 2012 में 37.28 प्रतिशत तक गिर गया था. सन् 2012 के बाद पिछले 6 वर्षों में पालतू गौवंश की संख्या में तेजी से गिरावट आई है. गौ रक्षा कानून और मई 2017 में आए पशु क्रूरता से सम्बंधित मोदी सरकार के आदेश ने ग्रामीण ग़रीबों और किसानों की आजीविका के इस दूसरे सबसे बड़े श्रोत पर भी हमला कर दिया है. देश के जिन राज्यों में भी गौ रक्षा कानून लागू किया गया है, मेरे खुद के सर्वे के अनुसार उन राज्यों में पालतू गौ-वंश की संख्या दो तिहाई तक कम हो गयी है. इससे देश भर में घाटे की खेती की मार झेल रहे छोटे व मध्यम किसानों के साथ ही ग्रामीण ग़रीबों के सामने आर्थिक संकट ज्यादा गहरा गया है.


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