विभाजनकारी राजनीति और बड़ी पूंजी की सेवा का छुपा एजेंडा - गतांक से आगे जारी

विभाजनकारी राजनीति और बड़ी पूंजी की सेवा का छुपा एजेंडा -


गतांक से आगे जारी


पुरुषोत्तम शर्मा


 


कम आय के कारण भारत में मांस की खपत काफी कम


संयुक्त राष्ट्र की एक संस्था एफएओ है जो दुनिया भर में मांस खाने वालों का लेखा-जोखा रखती है. उसकी सन् 2007 में जारी रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष मांस की खपत औसतन 43 किलो है. पर भारत में यह मात्र 3.2 किलो प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष बैठती है. इसका कारण भारत में आम आदमी की क्रय शक्ति का कम होना है. जबकि ज्यादातर बाक़ी दुनिया में शहरीकरण के साथ ही लोगों की क्रय शक्ति बढी है. भारत जैसे देश में जहां महिलाओं और बच्चों में कुपोषण और एनीमिया की शिकायत आम होती है, वहां बीफ और बफैलो (गाय और भैंसा का मांस) ही सबसे सस्ता प्रोटीन और फैट का श्रोत हो सकता है.


जारी....