हमें समाजवाद चाहिए, क्यूबा जैसा

हमें समाजवाद चाहिए, क्यूबा जैसा


क्यूबा एक छोटा सा देश है। कैरेबियन द्वीप समूह में एक छोटा सा टापू। चे ग्वेरा, फिदेल कास्त्रो और राउल कास्त्रो के नेतृत्व में यहाँ क्रांति हुई थी।
डॉ अर्नेस्टो चे ग्वेरा व महान क्रांतिकारी फिदेल के नेतृत्व में यहां क्रांतिकारी चिकित्सा सेवाएं शुरू की गई।
क्रांति के बाद क्यूबा में हेल्थ केयर के क्षेत्र में कैसे काम किया गया, एक बानगी देखिये। क्यूबा के डॉक्टरों को ट्रेनिंग देने वाले एक सोवियत डॉक्टर लिखते हैं:-


हमें यहाँ (क्यूबा में) जिस चीज ने हैरान किया वह थी बच्चों में रिकेट्स (विटामिन डी की कमी से होने वाली हड्डियों की एक बीमारी) और टीबी नामक बीमारियों का स्तर। अधिकतर मामलों में यह कुपोषण की वजह से होता था। आपको गलियों में घूमते किशोर मिल सकते थे जिनकी टाँगें बचपन में हुए रिकेट्स की वजह से नकारा हो चुकी होती थी। फिर भी, बच्चों की अगली पीढ़ी में, यानि 1970 के शुरुआती वर्षों के बाद से, रिकेट्स और टीबी मुश्किल से ही ढूंढने को मिल रही थी। और यह सिर्फ डॉक्टरों की वजह से इतना नहीं हुआ था बल्कि इसका श्रेय दुग्ध वितरण के सामाजिक कार्यक्रम को जाता है। देश के हर बच्चे के घर के बाहर एक लीटर दूध हर सुबह रख दिया जाता था।


बहरहाल तब से लेकर क्यूबा के डॉक्टर पूरी दुनिया को सेवाएं देते आ रहे हैं। यहां तक कि समाजवाद को कोसने वाली सरकार के अधीन इटली जैसे देश को भी कोरोना वायरस एपिडेमिक के दौरान क्यूबा के स्वास्थ्य कर्मी सेवाएं देने पहुंचे हैं।


अब एक लेटेस्ट न्यूज और सुन लीजिए।
ब्रिटेन का एक क्रूज शिप है। यह कई दिनों से कैरेबियन सागर में घूम रहा था लेकिन किसी भी देश ने इसे बंदरगाह पर उतरने की इजाजत नहीं दी। क्योंकि शिप में कुछ लोगों को कोरोना वायरस का संक्रमण हो गया है। यह कोई न्यूज नहीं है। सभी देश ऐसा ही कर रहे हैं। न्यूज यह है कि क्यूबा ने इस शिप को बंदरगाह पर लगाने की इजाजत दी है, इसके यात्रियों का इलाज करने की सहमति दी है और फिर इन्हें ब्रिटेन भेजने की व्यवस्था करने पर सहमति दी है।


लेकिन समाजवाद तो फेल बताया जा रहा है। पूंजीवाद पास बताया जा रहा है।


क्यों? 


हमें समाजवाद चाहिए। उससे कम कुछ भी नहीं। अगर यह फेलियर है तो फेलियर बहुत अच्छी चीज है।
नवमीत नव की वाल से साभार.....