कुछ भक्त कम्युनिस्टों और कोरोना के संबंध पर बात करना चाहते हैं!

कुछ भक्त कम्युनिस्टों और कोरोना के संबंध पर बात करना चाहते हैं, तो भक्तों, लो जान लो!


पुरुषोत्तम शर्मा


बिल्कुल! कोरोना से कम्युनिस्टों का वैसा ही सम्बन्ध है जैसा भारत में आरएसएस से। जैसा दूसरे विश्वयुद्ध के दौर में स्टालिन का हिटलर से। 


जब आपके आका अमेरिका, इंग्लैंड और यूरोप पस्त हैं, तब कम्युनिस्ट चीन ही है जिसने जनता की संगठित ताकत और अपने स्वास्थ्य व वितरण प्रवन्ध से कोरोना के पैरों को लगभग बांध दिया है।


जब इंग्लैंड अपने संक्रमित लोगों से भरे अपने सिप को अपनी जमीन पर खड़ा होने की इजाजत नहीं दे रहा था, तब कम्युनिस्ट क्यूबा ही है, जिसने न सिर्फ इंग्लैंड के उस सिप को अपने देश में जगह दी, बल्कि उन संक्रमित अंग्रेजों का इलाज भी कर रहा है।


आज पूरी दुनिया को कोरोना से लड़ने के लिए चीन और क्यूबा मदद कर रहे हैं। क्यूबा के डॉक्टर्स अपनी जान जोखिम में डाल कर दुनियां के कई देशों में मानवता पर आए इस संकट में अपनी सेवा दे रहे हैं।


हमारे देश में जब भाजपा व केंद्र सरकार लोगों की जन्दगी से खिलवाड़ कर मध्य प्रदेश में सरकार बनाने के लिए खरीद फरोख्त में व्यस्त थे, तब हमारी पार्टी भाकपा (माले) ही देश की पहली राजनीतिक पार्टी है, जिससे 14 मार्च को ही देश में बड़े जनजुटाव के कार्यक्रमों को पूरी तरह से रद्द कर दिया। 


हमने अपनी पूरी पार्टी कतारों को कोरोना से लड़ने के लिए जनता को जागरूक करने और सरकारों से इस संघर्ष में स्वास्थ्य संशाधन जुटाने, लॉक डाउन करने और इस दौर में देश के गरीबों व कामगारों को राशन सहित आर्थिक पैकेज देने की मांग की।


देश में केरल की कम्युनिस्ट सरकार ही थी जिसने कोरोना के खिलाफ लड़ने के लिए सबसे पहले आर्थिक पैकेज जारी किया।


आज जब देश भर में भूखे प्यासे फंसे मजदूरों पर पुलिस क्रूरता की हदें पार हो रही हैं, तब हमारे कार्यकर्ता आज देश भर में भूखे फंसे मजदूरों और गरीबों को यथा संभव मदद के लिए जी जान से जुटे हैं।


अब समझ गए न कोरोना से कम्युनिस्टों का सम्बंध।