क्या सरकार सिर्फ इतना बताने के लिए ही होती है मोदी जी! 

क्या सरकार सिर्फ इतना बताने के लिए ही होती है मोदी जी! 


पुरुषोत्तम शर्मा


कोरोना से लड़ने के लिए पूरे देश में 21 दिन का लॉक डाउन का फैसला सही है। पर क्या सरकार सिर्फ इतना बताने के लिए ही होती है मोदी जी! 


क्या इस लॉक डाउन में देश के गरीबों, दैनिक मजदूरों, निजी क्षेत्र के नौकरी पेशा कर्मचारियों और मजदूरों के लिए जिंदा रहने की पहली शर्त, उनके राशन और दवा खरीदने की शक्ति के लिए कोई घोषणा नहीं होनी चाहिए थी? 


आप जरूरी चीजों की आपूर्ति करने की बात कर रहे हैं, पर देश के ये करोड़ों लोग बिना पैसे उसे खरीदेंगे कैसे? निजी क्षेत्र के नियोक्ता अपने कर्मियों का वेतन जारी करें और सरकार दैनिक मजदूरों व गरीबों के लिए मुफ्त राशन की व्यवस्था करेगी, क्या यह घोषणा नहीं होनी चाहिए थी?


15 हजार करोड़ का पैकेज स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए इतने बड़े देश में कितना होता है, जबकि अभी भी देश के ज्यादातर डॉक्टर्स व स्वास्थ्य कर्मी बिना सुरक्षा उपकरणों के अपना जीवन जोखिम में डाले हुए हैं। हमारे आधे से ज्यादा जिलों में आईसीयू और वेंटिलेटर की कोई सुविधा नहीं है। अस्पताल बिना डॉक्टर्स और बिना स्टाफ के हैं। कई राज्यों में तो कोरोना की जांच की कोई प्रयोगशाला है ही नहीं। क्या सरकार को जिला स्तर तक कोरोना की मुफ्त जांच और संक्रमित लोगों के मुफ्त इलाज की घोषणा नहीं करनी चाहिए थी? इसके लिए रिक्त पड़े स्वास्थ्य विभाग के तमाम पदों जो तत्काल भरने की घोषणा नहीं करनी चाहिए?


दिन में केंद्रीय वित्त मंत्री ने जीएसटी का रिटर्न 30 जून तक भरने की घोषणा की है उसमें नया क्या है? यह तारीख तो हर साल बढ़ती है।


इस संकट की घड़ी में देश में धार्मिक स्थलों के बंद कपाटों की तरह ही केंद्र सरकार के दरवाजे भी जनता के लिए बंद कर आपने यह तो जता ही दिया है कि भारत के गरीबों को इस संकट से निकलने में अपनी राह खुद तलासनी होगी। यह तय है कि यह रास्ता संघर्ष से ही निकलेगा।