गांव में पसरता भूख का संकट और अपनी जै जै कार कराते प्रधानमंत्री 

गांव में पसरता भूख का संकट और अपनी जै जै कार कराते प्रधानमंत्री 


संजय


कोरोना काल में आज पंचायत दिवस के मौके पर देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ चुनिंदा पंचायत प्रतिनिधियों से सीधी बात की। गांव की समस्या जानने के बजाय प्रधान मंत्री का जोर इस बात पर था कि उनकी और उनके कार्यक्रमों की कितनी जै जै कार हो रही है। जिन प्रतिनिधियों को इस सीधी बातचीत का मौका दिया गया, वे गांव की ऐसी तस्वीर पेश कर रहे थे जैसे मोदी राज आने के बाद भारत के गांवों में अब कोई समस्या बची ही नहीं है।


आइए आपको कामरेड संजय द्वारा इस मौके पर भेजी गई भाजपा शासित राज्य बिहार में भारत के एक गांव की ताजा तस्वीर दिखाते हैं।


गांव खननी खुर्द ,पीरो, जिला भोजपुर, बिहार की संक्षिप्त रिपोर्ट


कोरोना रोकने के लिए किए गए लाँकडाउन में सरकार ने घर में कैद कर रख दिया है।
लगभग एक माह से जारी लॉक डाउन ने खननी खुर्द गांव में गरीबों के सामने गंभीर संकट पैदा कर दिया है। जो कुछ भी उनके पास था वह भी समाप्त हो गया है। मजबूर मजदूरों के सामने भूख की हालत से तड़प रहे परिवार की कहानियों का वर्णन करना मुश्किल है..........
क्या कहूँ, कैसे कहूँ, किससे कहूँ........


एक रोज मुझसे कहते कहते कुछ पासवान जाति और चमार जाति के नौजवान लडके रोने लगे। मैं बहुत बिचलित हो गया..। मुझे समझ में नही आ रहा था कि कैसे उनके अंदर साहस भरें।


भूख से लड़ने के लिए सहायता देने में निर्दयी हो चुकी सरकार और प्रशासन के हालत बदतर है। भूखे गरीबों की कोई सुन नही रहा है।गरीबों पर पुलिस सिर्फ लाठियां बरसा रही है, चूंकि सरकार का आदेश है.


गाँव में लाँकडाउन से उत्पन्न भूख कि स्थिति काफी भयभीत करने वाली है। जब हमारे संगठन ने यह तय किया कि इसको जाँच किया जाए कि गांवों में कितने लोग हैं जिनको लाँकडाउन में भोजन दिया जाना आवश्यक है।


इस गांव में जांच के बाद पता चला कि-


चामार जाति के कुल 60 घर में 20 घर का राशन कार्ड नहीं है।


पासवान जाति के -20 घर में 5 घर का राशन कार्ड नहीं है।


कानून जाति का 100 में से 2 घर का राशन कार्ड नहीं है।


यादव जाति के 150 घर में 32 घर का राशन कार्ड नहीं है।


ब्राह्मण जाति में 8 घर में 3 घर का राशन कार्ड नहीं है।


इन सभी जातियों के 62 घर के परिवार सदस्य कुुुल 496 होते हैं।
ये सभी परिवार राशन कार्ड के वास्तविक हकदार हैं। अपनी इन मजबूरियों के हल के लिए जब ये लोग प्रशासन के पास जाना चाहते हैं तो पुलिस इन्हें लाठी मारती है या बंद कर देती है। बाहर निकलने पर पूरी तरह पाबंदी है। घर में रहने पर भोजन कहाँ से मिलेगा? जबकि सरकार राशन व भोजन देने की घोषणा कर रही है। 


पीड़ित भूखे लोगों ने 20 अप्रैल को राशन डीलर से केंद्र सरकार द्वारा घोषित मुुफ्त राशन की मांग की कि सबको मुफ्त राशन दीजीए जिनका राशन कार्ड नहीं है उनको भी। तो पुलिस ने इन भूखे मजदूरों को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि बाद में छोड़ दिया।


एसडीओ से बात करके हल करने के आश्वासन पर -


दूसरे दिन सुबह हमारी एसडीओ से बात हुई। उन्होंने सीओ को जजांच कर देने का जिम्मा सौंपा। लेकिन सीओ आज तक जांच में नहीं गए। वहां जनता को एक मिनट एक वर्ष जैसा बीत रहा है। घर में कुछ है नहीं। भूख से परेशान परिवार जब प्रशासन से संपर्क कर रहे हैं तो सीओ,एसडीओ सबका मोबाइल नम्बर बंद आ रहा है।


बाध्य होकर सब अधिकारियों के पास कल चिठ्ठी भेजकर आज से ग्रामीण जनता धरने पर बैठ गई है। धरना पर बैठने के बाद थानाध्यक्ष और एक कर्मचारी गए थे। थानाध्यक्ष बोले कि खबर सबको कर दिए है न! लोगों ने कहा हाँ! कर्मचारी का पता नही चला आया और कहाँ चला गया।
आज की यही रिपोर्ट है ।


24/4/2020


(संजय जी भाकपा (माले) पीरो प्रखंड के सचिव और पार्टी की बिहार राज्य कमिटी के सदस्य हैं )