जिन्हें लगा हो व्यापम का स्वाद वो भूखों के राशन में लूट क्यों न करे

जिन्हें लगा हो व्यापम का स्वाद वो भूखों के राशन में लूट क्यों न करे


पंकज चतुर्वेदी


हर दस किलो में दो से ढाई किलो कम . अकेले ग्वालियर जिले में ग्यारह हजार क्विंटल गेंहू का आटा  बना और उसे जरुरतमंदों तक पहुँचाया गया . दस  किलो में औसत दो किलो कम . सौ किलो अर्थात एक क्विंटल में बीस किलो-- अब छःह हज़ार क्विंटल का हिसाब लगा लें-- यह केवल एक जिले की कहानी है . यह खेल हो रहा है मध्य प्रदेश में, कोरोना बंदी के कारण जरुरतमंदों को दस किलो  कह कर आटा दिया जा रहा है लेकिन उसमें आठ किलो से ज्यादा है ही नहीं कोरोना संक्रमण के समय में लॉकडाउन की स्थिति में यह आटा वितरण सिर्फ गरीब और जरूरतमंद लोगों को कराया जा रहा है। यह वितरण पीडीएस दुकानों के माध्यम से कराया जा रहा है। ग्वालियर जिले को 11 हजार क्विंटल गेहूं मिला है जिससे आटा पिसवाकर यह वितरण कराया जा रहा है। गांवों में गेंहू दिया जा रहा है और शहर में 6000 क्विंटल गेंहू का आटा विभाग पिसवा रहा। आटे के पैकेट का वजन 10 किलो है।
आटा पिसाई का काम विभाग ने तीन कंपनियों को दिया है। इसमें बीपी फूड प्रोडक्ट,शुभलाभ एग्रोटेक और अनमोल आटा कंपनी है। फूड कंट्रोलर ने बताया कि देसी च्वाइस ब्रांड के जिस बैग में आटा कम निकला है वह शुभलाभ कंपनी के हैं. फ्लोर मिल वालों का कहना है कि वह 100 किलो गेंहू के बदले 90 किलो आटा देते हैं। क्योंकि दस किलो भूसी निकल जाती है , सवाल यह है कि पेकेट पर छपा हुआ है दस किलो, लोगों से दस्तखत ले रहे हैं दस किलो के फिर उसमे नो नहीं आठ किलो ही माल निकल रहा हैं 
ग्वालियर में कल दौलतगंज सहित आसपास के क्षेत्रों में राशन की दुकानों से आटा का वितरण किया जा रहा था। स्थानीय लोगों ने जब आटे के पैकेट को तौला तो उसमें दो से तीन किलो आटा कम निकलने के मामले सामने आने लगे। इसके बाद तत्काल मौके पर एसडीएम से लेकर विधायक प्रवीण पाठक को सूचना दी। मौके पर विधायक पहुंचे और अपने सामने भी पैकेट तुलवाए तो आठ किलो 600 ग्राम,7 किलो 200 से लेकर ढ़ाई किलो तक आटा पैकेट पर शॉर्ट निकला। विधायक ने तत्काल कलेक्टर,जिला आपूर्ति अधिकारी को फोन किया जिसके बाद विभाग का अमला पहुंचा तो आटा कम निकला। विदित ही प्रवीन पाठक भी किसी भी दिन महाराज के साथ जाने को उतावले हैं . विधायक प्रवीण पाठक ने बताया कि लगभग 70 लाख आटा पैकेट प्रशासन द्वारा बांटे जाना है, इस लिहाज से लगभग 18000 टन आटे की हेराफेरी से करोड़ों रुपये का घोटाला किया जा रहा है।
नाप तौल अधिनियम  तथा उपभोक्ता अधिनियम में दो बात स्पष्ट हैं --
1. भोज्य पदार्थों की खुली बिक्री नहीं के जा सकती 
2. प्रत्येक पेकेट पर उसका वजन, पेक करने की तिथि होना जरुरी है और इसमें गडबडी करना अपराध है 
ऐसे में यह बात कानून सम्मत नहीं है कि नए थैले नहीं थे और पुराने में ही माल दे  दिया  
यह तो केवल एक जिले का मामला सामने आया है , अनुमान है कि राज्य के सभी  पचपन जिलों में यह खेल चल अहा है और यह करोड़ों का नए किस्म का "व्यापम" है