नई रस्म है चली - जनहित में फैसला दिया तो जजों को सजा तय

नई रस्म है चली-जनहित में फैसला दिया तो जजों का तबादला तय


पुरुषोत्तम शर्मा


वाह: माइ लॉर्ड! जनहित पर फैसला देने पर अब जजों को सजा देने का तो भाजपा शासन में जैसे रिवाज ही चल पड़ा है। "हम दिल्ली में दुबारा 1984 नहीं होने देंगे" दिल्ली में भड़काऊ भाषण वाले भाजपा नेताओं की गिरप्तारी क्यों नहीं? जैसा फैसला देने वाले जस्टिस मुरलीधरन का रात को तबादला कर दिया गया था। क्योंकि सत्ता के संरक्षण में दिल्ली में 1984 को दुहराने की तैयारी हो चुकी थी। इसे हमने उत्तर पूर्वी दिल्ली के ताजे दंगों में देख लिया है।


अब गुजरात के चीफ जस्टिस ने अहमदाबाद सिविल अस्पताल में गरीबों को सही इलाज न मिलने पर तल्ख टीप्पणी करने व वहां खुद छाप मारने का आदेश देने वाले जजों ज. जे बी परदीवाला और ज. इलेश जे बोरा की पीठ को ही खत्म कर दिया है। यही होना है तो फिर क्या इस देश में अब हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट सिर्फ दिखावा रह गई हैं? अगर कोर्ट को फैसले सत्ताधारियों के इशारे पर ही लेने हैं, तो सारे फैसले नागपुर और झंडेवालान से ही करा दिया कीजिए! न्याय पालिका का ढोंग क्यों ?