सार्वजनिक-सरकारी संस्थानों व देश के संशाधनों की लूट का पैकेज

सार्वजनिक व सरकारी क्षेत्र के संस्थानों व देश के संशाधनों की नीलामी का पैकेज


पुरुषोत्तम शर्मा


अपने बीस लाख के आर्थिक पैकेज में मोदी सरकार देश के मजदूरों, गरीबों, किसानों और छोटे व्यवसायों व छोटे उद्योगों को क्या दे रही है, यह तो किसी को भी समझ में नहीं आया। पर सरकार बड़ी कारपोरेट कम्पनियों व बड़े उद्योगपतियों को क्या दे रही है, यह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की चौथे दिन की घोषणाओं से साफ हो गया। कोरोना संकट की आड़ में मोदी सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम कोल इंडिया को नीलम करने की तरफ बढ़ रही है।


सरकार ने घोषणा की है कि अब देश में कमर्शियल माइनिंग होगी। उसके अलावा 50 नए कोल ब्लाकों का नीलाम होगा। इन कारपोरेट कंपनियों की सुविधा के लिए कोल क्षेत्र को रेल से जोड़ने के लिए 18 करोड़ रुपए खर्च होंगे। 500 खनिज ब्लाक भी निजी क्षेत्र को नीलाम होंगे। अब कानूनों में बदलाव कर माइनिंग क्षेत्र के पट्टे का स्थानांतरण भी हो सकेगा ताकि कम्पनियां व सत्ताधारी लोग बिना कार्य के कमाई कर सकें।


आर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड का निगमीकरण किया जाएगा। मेक इन इंडिया के नाम पर सरकारी रक्षा उपकरणों के उत्पादन क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत कर दिया गया है। आर्डिनेन्स निगम को शेयर बाजार में भी पंजीकृत कराया जाएगा।


6 और एयरपोर्टों का निजीकरण किया जाएगा। इसके साथ ही बचे हुए 40 प्रतिशत एयर स्पेस को भी निजी क्षेत्र के लिए खोल जाएगा। सभी केंद्र शासित प्रदेशों में बिजली वितरण का काम निजी क्षेत्र को सौंपा जाएगा। अंतरिक्ष अभियान के क्षेत्र में निजी कंपनियों को उतारा जाएगा और उन्हें इसरो के ढांचे के इस्तेमाल की छूट होगी।


इस तरह अपने चौथे पैकेज एपिसोड में वित्तमन्त्री निर्मला सीतारमन ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के वक्तव्य "हम आपदा को अवसर में बदलेंगे" को साफ कर दिया। ऊपर घोषित कदमों से साफ है कि मोदी सरकार कोरोना संकट का पूरा बोझ गरीबों, मजदूरों, किसानों व छोटे व्यवसायों पर डाल रही है और इस संकट को कारपोरेट लूट के लिए अवसरों में बदल रही है।