आईसीएमआर की रिपोर्ट ने खिसकाई मोदी सरकार के पैरों तले जमीन

अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे


पुरुषोत्तम शर्मा


आईसीएमआर की रिपोर्ट ने खिसकाई सरकार के पैरों तले की जमीन


अब तक तो 21 दिन में कोरोना को नियंत्रित करने की पहली घोषणा करने वाले, और भुज भूकम्प से कुशलता पूर्वक निपटने की दक्षता रखने की दूसरी घोषणा करने वाले नरेंद्र मोदी के कौशल पर, कोरोना से निपटने की शेखी बघारते रहे। यही नहीं, मोदी के करिश्मे की दुनिया तारीफ कर रही है की झूठी चिल्ल पौं मचाते हुए असलियत पर पर्दा डालते रहे।


विपक्ष के गम्भीर सुझावों का मजाक बना रहे थे। विपक्ष की अपीलों को अच्छे कामों में भी अड़ंगा और देश को बदनाम करने वाला कृत्य बता रहे थे। अब जब संकट नई ऊंचाइयों पर पहुंच अनियंत्रित हो गया है, तब तीन राज्यों के विपक्ष के साथ साझा बैठक कर दिल्ली में अपने बचाव का रास्ता तलास रहे हैं? अगर विपक्ष के साथ इस संकट पर समाधान का साझा रास्ता खोजना है तो टुकड़ों में क्यों? राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी बैठक का आयोजन क्यों नहीं?


आखिर विपक्ष को हमेशा पाकिस्तान व चीन की भाषा बोलने वाला बताने वाली, अपनी सनक से हर निर्णय लेने वाली मोदी सरकार और उसके फायर ब्रांड गृह मंत्री को कोरोना संकट पर आज साढ़े चार माह बाद विपक्ष के साथ बैठक करने की जरूरत क्यों आन पड़ी? कोरोना संकट और आर्थिक तबाही तक पहुंचे देश के आर्थिक संकट से निपटने के लिए एक राष्ट्रीय सहमति के रास्ते की तरफ मोदी सरकार ने अब तक पहल क्यों नहीं ली?


जाहिर है खुद को चमत्कारिक और किस्मत वाला साबित करने के फेर में ही नरेंद्र मोदी अब तक देश को हर संकट में धकेलते रहे हैं। आखिर अब ऐसा क्या घटित हुआ कि घमंडी मोदी-शाह को विपक्ष से भी सलाह लेने को मजबूर होना पड़ा है?


असल में इंडियन कॉंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने हाल में कोरोना के संक्रमण विस्तार को लेकर पूरे देश से नमूने लिए थे। इसमें कोरोना के हाट स्पाट बने बड़े शहरी केंद्रों के अलावा देश के 69 जिलों से भी नमूने एकत्रित किए गए। इस पर विस्तार से जानकारी स्वराज अभियान के फेसबुक लाईव और एक लेख में कल योगेंद्र यादव ने दी है।


जिलों से लिए गए नमूनों में ऐसे सभी जिलों को शामिल किया गया जहां कोरोना है या अभी नहीं भी है। जो जानकारी सामने आ रही है उसके अनुसार मई मध्य के बाद खून के ये नमूने लिए गए थे। क्योंकि जिसे भी किसी स्तर का संक्रमण हुआ हो, अगर वह ठीक भी हो गया तो विशेषज्ञों के अनुसार उसके खून में 15 दिन बाद संक्रमण की पहचान हो सकती है।


जानकारी जे अनुसार 69 जिलों के नमूनों का नतीजा आईसीएमआर ने घोषित कर दिया है। इसके अनुसार संक्रमण का औसत स्तर 0.73 प्रतिशत निकाला। अभी दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, अहमदाबाद जैसे हॉट स्पाट केंद्रों की रिपोर्ट जारी नहीं हुई है। पर लीक हुई जानकारी के अनुसार इन केंद्रों में में संक्रमण का औसत स्तर 15 प्रतिशत है। इस हिसाब से देखें तो इन बड़े शहरी केन्दों की आबादी 5 करोड़ भी मानें तो 75 लाख संक्रमित यहां मौजूद हैं। इसी तरह बची 130 करोड़ की आबादी में फैले 0.73 प्रतिशत संक्रमण का औसत लगभग 95 लाख हो जाती है।


आईसीएमआर की इस जांच रिपोर्ट के अनुसार यह रिपोर्ट 30 अप्रैल की स्थिति पर है। यानी 30 अप्रैल तक देश में लगभग 1.70 करोड़ लोग संक्रमित हो चुके थे। जब कि उसके बाद संक्रमण में लगभग ढाई गुना की बढ़ोतरी हो चुकी है। अभी अगस्त से सितंबर तक भारत में संक्रमण के बढ़ते जाने की भविष्यवाणी विशेषज्ञ कर रहे हैं।यानी भारत अमेरिका को भी पीछे छोड़ दुनिया का नम्बर एक संक्रमित देश बन रहा है।


इन आंकड़ों पर भरोषा करना का आधार कहड़ भाजपा की मॉडल गुजरात सरकार दे चुकी है। अहमदाबाद में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों और जनरल जनरल अस्पताल की दुर्दशा पर जब गुजरात हाई कोर्ट ने फटकार लगाते गुजरात सरकार से ज्यादा टेस्ट करने को कहा, तो गुजरात सरकार ने कोर्ट को बताया था कि अहमदाबाद में ज्यादा टेस्ट करने से 70 प्रतिशत लोगों के कोरोना पोजेटिव निकल के का अंदेशा है। सर्वविदित है कि दो दिन बाद हाई कोर्ट की उक्त बैंच को ही बदल दिया गया।


अब आईसीएमआर के इन नतीजों ने मोदी सरकार के पैरों के नीचे की जमीन खिसका दी है। यही वह मुख्य बात है जिसके कारण ऊंट पहाड़ के नीचे आ रहा है।