डीजल पेट्रोल में मूल्य बृद्धि के खिलाफ 27 जून को राष्ट्र व्यापी प्रतिवाद दिवस

*डीजल-पेट्रोल के बढ़े दाम के खिलाफ 27 जून, देशव्यापी प्रतिवाद दिवस


पुरुषोत्तम शर्मा


अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल सस्ता होने के वावजूद भी पिछले 17 दिनों में 17 बार डीजल-पेट्रोल के दाम में वृद्धि कर मोदी सरकार ने लॉकडाउन की मार झेल रही जनता के प्रति संवेदनहीनता का परिचय दिया है। यह लगातार 17वां दिन है जब पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़े हैं। इन 17 दिनों में पेट्रोल 8.50 रुपये प्रति लीटर महंगा हुआ है वहीं डीजल की कीमत भी 10 रुपये प्रति लीटर बढ़ गई है।


कोरोना संकट काल में जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम गिर रहे थे तब केंद्र सरकार ने 14 मार्च को पेट्रोल, डीजल दोनों पर उत्पाद शुल्क में तीन रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की थी। इसके बाद पांच मई को फिर से पेट्रोल पर रिकार्ड 10 रुपये और डीजल पर 13 रुपये उत्पाद शुल्क बढ़ाया गया।


डीजल-पेट्रोल के बढ़े हुए दाम के कारण किसानों को लगभग 1000 रुपया प्रति एकड़ खर्च बढ़ेगा और साथ ही साथ जरूरी सामानों के दाम बढ़ने के कारण आम गरीब जनता जो पहले से ही लॉकडाउन की मार झेल रही है उनपर बहुत बड़ा बोझ, सरकार के इस फैसले के कारण पड़ेगा।


अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 2014 मई की कीमतों से एक तिहाई कम हुई हैं। पर मोदी सरकार के आने के बाद पैट्रोल डीजल की कुल कीमतों में आज 69 प्रतिशत तक टैक्स और सेस लगा है। अभी वसूली जा रही कीमतों में लगभग 58 रुपया सरकारी टैक्स और विभिन्न सेस हैं। इसके साथ ही कंपनियों द्वारा रोजाना की जा रही मनमानी बढ़ोतरी पर किसी तरह की रोक-टोक नहीं है। यह मोदी सरकार द्वारा जनता की जेब में डाल जा रहा खुला डाका है।


मोदी सरकार ने एक देश एक टैक्स के नाम पर लाए गए जीएसटी के दायरे से इसी लिए पैट्रोलियम पदार्थों और शराब को बाहर रखा था, ताकि सरकार सबसे ज्यादा बिकने वाले पैट्रोलियम पदार्थों और शराब से मनमाना टैक्स वसूल सके। अगर अभी पैट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाया जाए और कोई अन्य सेस न लगाया जाए तो आज अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की गिरी कीमतों के हिसाब से देश में पेट्रोल की कीमत 25 रुपए प्रति लीटर के आसपास होंगी।


अखिल भारतीय किसान महासभा, अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा और इंकलाबी नौजवान सभा ने 27 जून को पूरे देश में इन बढ़ी कीमतों को वापस लेने की मांग पर प्रतिवाद दिवस मनाने का आह्वान किया है। तीनों संगठनों ने अपनी सभी इकाइयों का आह्वान किया है कि 27 जून को देश भर में गांव-गांव और नजदीकी शहरों-कस्बों में प्रधान मंत्री मोदी के पुतले जलाए जाएं और विरोध प्रदर्शन किए जाएं।