दिल्ली दंगों के सबसे गरीब पीड़ितों की मदद में जुटा भाकपा (माले)

न्याय और मुआवजे के लिए भटकते दिल्ली दंगों के सबसे गरीब पीड़ितों की मदद में जुटा भाकपा (माले)


रवि राय


लॉक डाउन के बाद अपने राहत अभियान को फिर से शुरू करते हुए CPI-ML दिल्ली की टीम ने कल दिल्ली दंगों के पीड़ित कुछ परिवारों से मुलाकात की . दंगों में अपना सब कुछ गवां चुके मुस्तफाबाद व शिव विहार के इन परिवारों की मुश्किलों को लॉक डाउन ने और ज्यादा बढ़ा दिया है . न्याय और मुआवजे के लिए भटक रहे इन लोंगों के लिए आजीविका के साधनों को खड़ा करने में मदद की यह एक कोशिश है.


दिल्ली दंगों में इनके घर ही नहीं जले बल्कि रोजगार के साधन भी बर्बाद हो गए. इतने मुश्किल हालात से गुजर रहे ये परिवार अपने हौसले को जोड़ कर आजीविका के नए साधन खड़ा कर रहें हैं . किसी ने ठेला खरीद कर दुकान लगाने का सोचा है , किसी ने सिलाई मशीन खरीद कर . कोई प्रेस खरीद कर रोजगार शुरू करना चाहता है , कोई e रिक्शा लेना चाहता है . एक बुजुर्ग दंपत्ति अपने जले मकान में ही परचून की दुकान शुरू करना चाहते हैं . कुछ युवक अपने कारीगरी के औजार खरीद कर पेंटिंग व निर्माण काम मे रोजगार तलाशना चाहते हैं . उनकी इन कोशिशों में हम लोग यथासंभव मदद कर रहें हैं .


दंगों की जांच के नाम पर जिस तरह caa विरोधी कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया जा रहा है और स्थानीय युवकों की धर पकड़ की जा रही है उसका खौफ भी साफ दिखाई दिया . फिर भी न्याय का सवाल हर आंख में तैर रहा है. सरकारी मुआवजे का पूरा पैकेज तो मजाक बन कर रह गया है ,


ज्यादातर लोंगों को मुआवजा मिला भी नहीं है, और कुछ मिला भी है तो शुरू में जो मिला उसके बाद अगली कोई किश्त नही आई. मकान मालिकों को थोड़ा मुआवजा मिला भी पर उसमें रह रहे किरायदारों को कुछ भी नहीं मिला . जले हुए मकानों में ही कुछ लोग अपनी दुनिया फिर से आबाद करने की कोशिश कर रहे हैं .


आईये हाथ बढ़ाएं हम भी! क्योंकि सब याद रक्खा जाएगा !


पेश हैं वामिक जौनपुरी के बोल-


"किस ने बसाया था उनको और किस ने यूँ बर्बाद किया,


अपने लहू की बू आती है इन उजड़े बाज़ारों से"