डॉ कफील खान की रिहाई के लिए देश भर में धरना-प्रदर्शन

* विरोध दिवस* *डॉ. कफिल खान को रिहा करो!*


आज डॉ कफील खान को रिहाई के सवाल पर भाकपा (माले), आइसा, इनौस और ऐपवा के कार्यकर्ताओं ने बिहार, यूपी, उत्तराखंड, पंजाब सहित देश के विभिन्न भागों में प्रदर्शन किया।


हाथों में बैनर, पोस्टर के साथ सैकड़ों जगहों पर यह विरोध कार्यक्रम किया गया। डॉ कफील खान पर लगाए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) वापस लेने और उन्हें तत्काल रिहा करने की मांग की गई । ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा फर्जी मुकदमे लगाने के बाद तीसरी बार गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. कफिल खान को जेल में डाला गया है।


हम सभी जानते हैं कि 2017 में गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में योगी सरकार की आपराधिक लापरवाही के कारण ऑक्सीजन के अभाव में 60 से ज्यादा बच्चों की मौत हुई थी। डॉ. कफिल ने इसके लिए सरकार की आलोचना की थी। इसी वजह से उनके पीछे उत्तर प्रदेश की योगी सरकार हाथ धोकर पड़ी हुई है। ऑक्सीजन की कमी का जिम्मेवार सरकार थी, लेकिन उल्टे अगस्त 2017 में डॉ. कफिल पर ही बच्चों की मृत्यु के लिए जिम्मेवार ठहराकर उन्हें जेल भेज दिया गया।


महीनों जेल में गुजारने के बाद आखिर वे जमानत पर बाहर आए और खुद सरकार द्वारा गठित जांच दल ने 2 साल बाद सितम्बर 2019 में उन्हें दोषमुक्त घोषित कर दिया। लेकिन जांच दल ने उन्हें योगी जी से माफी मांगने को भी कहा। डॉ. कफिल ने माफी नहीं मांगी और वे फिर योगी जी के निशाने पर आ गए।


12 दिसम्बर 2019 को उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में सीएए के खिलाफ आयोजित सभा को संबोधित किया था। उक्त सभा में उत्तेजक भाषण देने के झूठे आरोप में 29 जनवरी 2020 को पुनः उन्हें मुंबई हवाई अड्डे से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। 10 फरवरी 2020 को उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट से जमानत मिल गई। लेकिन जेल से रिहा करने में जानबूझकर 3 दिन देर की गई। 13 फरवरी को कोर्ट ने उन्हें रिहा करने का आदेश फिर से जारी किया। लेकिन रिहाई की बजाय 14 फरवरी को उन पर 3 महीने के लिए रासुका लगा कर फिर डिटेन कर दिया गया। डिटेंशन की अवधि खत्म होने से पहले फिर 12 मई 2020 को रासुका की अवधि के 3 महीने के लिए बढ़ा दी गई है।


सरकार की नीतियों - फैसलों का विरोध करने के कारण डॉ. कफिल पर रासुका लगाना एकदम नाजायज है। यह विरोध की आवाज दबाने का फासीवादी कदम है। पूरा देश सरकार के रवैए की आलोचना कर रहा है और डॉ. कफिल की रिहाई की मांग कर रहा है।


डॉ. कफिल गोरखपुर के होने के कारण बिहार से सजीव रूप से जुड़े रहे हैं। जब चमकी बुखार से मुजफ्फरपुर में हाहाकार मचा हुआ था, उन्होंने यहां कैम्प लगाकर बच्चों का मुफ्त इलाज किया। विगत वर्ष की बाढ़ और पटना के जल जमाव के समय भी उन्होंने पटना सहित कई जगह लोगों का मुफ्त इलाज किया। सीएए के खिलाफ चल रहे आंदोलन में भी उन्होंने भाग लिया।


आज दिनांक 19 जुलाई 2020 को भाकपा (माले), आइसा, इनौस और ऐपवा के बैनर से डॉ. कफिल की रिहाई के लिए आवाज उठाई गई।