कृषि संबंधी 3 अध्यादेशों का 9 अगस्त को बिहार के किसान करेंगे विरोध

*प्रेस विज्ञप्ति* *प्रकाशनार्थ*


*अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की बिहार इकाई की ऑनलाइन बैठक सम्पन्न*


*9अगस्त को बिहार के सभी जिलों में होगा कॉर्पोरेट भगाओ ,किसानी बचाओ आंदोलन*


* मोदी सरकार के किसान विरोधी तीन अध्यादेशों की वापसी के साथ 9 मुद्दों पर केंद्रित होगा आंदोलन*


*बाढ़ के स्थायी समाधान और इंद्रपुरी जलाशय के निर्माण की मांग*


29जुलाई 2020: 250 किसान संगठनों के मंच अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की बिहार इकाई की ऑनलाइन बैठक संपन्न हुई । बैठक में श्री वी एम सिंह (संयोजक एआईकेएससीसी); राजाराम सिंह, डॉ आशीष मित्तल एवं डॉ सुनीलम (एआईकेएससीसी, वर्किंग ग्रुप मेम्बर) रामाधार सिंह प्रदेश सचिव, अखिल भारतीय किसान महासभा, अशोक कुमार सिंह प्रदेश सचिव, अखिल भारतीय किसान खेत मजदूर सभा, लल्लन चौधरी अध्यक्ष, अखिल भारतीय किसान सभा , रामवृक्ष राम प्रदेश अध्यक्ष, अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा, प्रो. आनंद किशोर संयुक्त किसान संघर्ष मोर्चा आदि साथियों ने गूगल मीट के दौरान अपने विचार व्यक्त किए ।


सभी वक्ताओं ने किसान नेता अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय महासचिव अतुल अनजान तथा सीपीआई के बिहार के सचिव सत्यनारायण सिंह के स्वस्थ्य को लेकर चिंता व्यक्त की और उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। राष्ट्रीय संयोजक वी एम सिंह ने कार्पोरेट भगाओ, किसानी बचाओ आंदोलन के सभी नौ मुद्दों की जानकारी देते हुए कहा कि हमें 'वन नेशन वन मार्केट' की जगह 'वन नेशन वन एमएसपी' चाहिए ।


उन्होंने ठेका खेती के खतरों के प्रति किसानों को आगाह करते हुए कहा कि जिस तरह पंजाब के किसानों ने 27 जुलाई को किसानों की ताकत सरकार को दिखाई है उसी तरह बिहार के किसान भी पूरी ताकत दिखाएंगे। उन्होंने कहा कि हमारा संघर्ष खेती को फिर से जिंदा करने का है।


राजा राम सिंह ने कहा कि अध्यादेशों के माध्यम से सरकार ने मूल्यों पर अपना नियंत्रण समाप्त कर सब कुछ बाजार के हवाले कर दिया है। उन्होंने कहा कि कोरोना के बावजूद किसान संगठनों का प्रयास होगा कि गांव एवं प्रखंड स्तर पर कार्यक्रम करें तथा जहां कहीं भी संभव होगा वहां जिला स्तर पर कार्यक्रम किए जाएंगे । उन्होंने कहा कि जहां कहीं भी शहीद स्तम्भ हो वहां 1942 के शहीदों को याद करते हुए कार्यक्रम आयोजित किये जाने चाहिए।


राजा राम सिंह ने बैठक का संचालन करते हुए कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री द्वारा प्रवासी श्रमिकों को प्रदेश की सीमाओं पर रोका जाना और ये कहना कि हम उन्हें बिहार में घुसने नही देंगे तथा कर्नाटक में जहां भाजपा की सरकार है, बिहारियों को कोरोना बम बतलाया जाना ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें कोई भी बिहारी कभी भुला नहीं सकता ।उन्होंने जन स्वास्थ्य व्यवस्था ध्वस्त होने का मुद्दा भी उठाया।


उन्होंने किसान संगठनो द्वारा 3 अगस्त तक जिले स्तर की बैठक करने तथा गांव गांव में मिटिंग कर पर्चे बांटे जाने की जानकारी साझा की । उन्होंने किसान संगठनों को सोशल मीडिया के माध्यम से अपने 9 मुद्दे पहुंचाने ,अधिक से अधिक गांव ,प्रखंड और जिला स्तर तक पहुंचाने की अपील की।


डॉ आशीष मित्तल ने कहा कि जिस तरह अंग्रेज देश में नील की खेती कराते थे उसी तरह की ठेका खेती नरेंद्र मोदी देश के किसानों से कराना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि अध्यादेशों के माध्यम से समर्थन मूल्य पद्धति को खत्म करने की साजिश सरकार द्वारा की जा रही है । उन्होंने कहा कि वे कार्पोरेट का विकास कराना चाहते हैं, हम देश के गांव का विकास चाहते हैं।


डॉ सुनीलम ने कहा कि मोदी सरकार किसान- किसानी और गांव को नष्ट कर सब कुछ कार्पोरेट को सौंप देना चाहती है । उन्होंने कहा कि 1942 के आंदोलन में देश का नेतृत्व बिहार ने किया था , किसान आंदोलन का नेतृत्व स्वामी सहजानंद सरस्वती ने आजादी के आंदोलन में किया था तथा इमरजेंसी के खिलाफ 1974 में युवा छात्र आंदोलन का नेतृत्व जेपी ने किया था। उसी तरह वर्तमान किसान आंदोलन के साथी भी देश के किसान आंदोलन का नेतृत्व करेंगे। उन्होंने बताया कि 9 दिन में 9 विषयों पर एआईकेएससीसी द्वारा फेसबुक लाइव कार्यक्रम किया जा रहा है जिसमें किसान नेताओं के विचार सुने जा सकेंगे।


लल्लन चौधरी ने कहा कि दरभंगा में जिला मुख्यालय पर कार्यक्रम किया जाएगा ।उन्होंने मुख्यमंत्री द्वारा की गई तमाम खोखली घोषणाओं का खुलासा किया। उन्होंने दरभंगा के खस्ता अस्पताल की हालत का भी जिक्र किया। रामवृक्ष राम ने सभी नौ मुद्दों का समर्थन करते हुए कहा कि कोरोना के कारण किसान संगठनों का आंदोलन नहीं रुकेगा।


सीतामढ़ी के प्रो आनंद किशोर सिंह ने कहा कि उनकी अनेक किसान संगठनों से बात हुई है तथा सभी ने सीतामढ़ी में कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय लिया है। उन्होंने किसान विरोधी अध्यादेशों को कार्यक्रम के दौरान जलाने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि एम एस पी तो कभी बिहार में दिया ही नहीं गया है ,वह कागजों तक ही सीमित रहा है। उन्होंने बाढ़ की समस्या के स्थाई हल, पुनर्वास के मुद्दे के साथ-साथ रीगा चीनी मील पर किसानों के 200 करोड़ रूपये के बकाया के मुद्दे को भी उठाया ।


अशोक कुमार सिंह ने कहा कि आज बाढ़ अबसे अहम मुद्दा है , हर वर्ष सम्मेलन होते रहते हैं। भोगेंद्र झा जी द्वारा बड़ा संघर्ष किया गया लेकिन कोई स्थाई समाधान नहीं मिला, इसलिए बाढ़ के मुद्दे को गंभीरता से लेकर किसान संगठनों को स्थाई हल निकालने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि उनका संगठन अधिक से अधिक स्थानों पर कार्यक्रम करने का प्रयास करेगा।


रामाधार सिंह ने कहा कि उन्होंने 25 जुलाई को अपने संगठन के प्रदेश के साथियों के साथ बैठक कर कार्यक्रम को प्रभावशाली ढंग से आयोजित करने का निर्णय लिया है। उन्होंने इंद्रपुरी परियोजना का मुद्दा भी उठाया।


राजा राम सिंह द्वारा अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की ओर से जारी