शिवराज सरकार के दमन से पीड़ित बटाईदार किसान दम्पत्ति ने पिया जहर

किसान विरोधी शिवराज सरकार के दमन से पीड़ित बटाईदार पति पत्नी ने खाया जहर।


पुलिस ने जीवन व मौत से जूझ रहे पीड़ितों के खिलाफ ही दर्ज किया मुकदमा।


पुरुषोत्तम शर्मा


मंदसौर में 6 किसानों की पुलिस गोली से हत्या, लॉक डाउन के दौर में खेत से लौट रहे एक किसान की पुलिस द्वारा पीट-पीट कर हत्या, और अब गुना में एक दलित बटाईदार किसान परिवार की फसल जोतने व बर्बर पुलिस दमन के बीच उनके जहर खाने की घटना मध्य प्रदेश में किसानों पर शिवराज की भाजपा सरकार की कुछ मुख्य मिसाल हैं। सत्ता द्वारा किसानों की बर्बर हत्या और दमन मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार की विशिष्ट पहचान बन गई है। जनता की सेवा करने के नाम पर भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया की नजर में किसान जनता की श्रेणी से बाहर हैं। इसी लिए वे चुपचाप दमनकारियों की सेवा में लगे हैं।


14 जुलाई को मध्य प्रदेश के गुना में अपनी मेहनत से खड़ी की गई फसल पर आंखों के सामने जेसीबी चलता देख दलित परिवार के बटाईदार किसान पति-पत्नी ने पुलिस प्रशासन के सामने ही जहर खाकर खुदकुशी करने की कोशिश की। दोनों को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां उनकी हालात स्थिर बताई जा रही है। यह मामला गुना जिले के कैंट थाने के जगनपुर चक का है। अधिकारियों से गुहार लगाने के बाद भी जब पुलिस ने लाठियों से इन पर बर्बर हमला किया तो उन्होंने जगार पी लिया। माता-पिता के जहर खाकर गिरने के बाद मासूम बच्चे बिलख-बिलख कर रो पड़े, जिसे देखकर सभी के रोंगटे खड़े हो गए। पर पुलिस फिर भी पीड़ितों और बच्चों पर अपनी क्रूरता का प्रदर्शन करती रही। पुलिस की मारपीट में पीड़ित महिला सावित्री के कपड़े तक फट गए।


जिस जमीन से अतिक्रमण हटाया जाना था वो मॉडल कॉलेज के लिए चयनित है। इस जमीन पर लम्बे समय से क्षेत्र के एक दबंग गब्बू परदी का कब्जा है। जिसने इस जमीन को एक दलित परिवार के बटाईदार किसान राजकुमार अहीरवाल को 2 लाख रुपये में बटाई पर दिया है। एक लाख रुपए कर्ज लेकर राजकुमार ने इस जमीन पर मक्का की फसल बोई है। प्रशासन से परिवार ने हाथ जोड़कर गुहार लगाई कि फसल कट जाने तक कार्रवाई न करें क्योंकि उन पर तीन लाख का कर्ज है जो फसल होने पर ही चुकता होगा।लेकिन जब प्रशासनिक टीम नहीं मानी तो दलित पति-पत्नी ने खेत ही में बनी अपनी घर की झोपड़ी में रखा कीटनाशक पी लिया।


अतिक्रमण की हुई इस जमीन को दलित परिवार राजकुमार और उसकी पत्नी सावित्री ने बटाई पर लिया है और खेत में झोपड़ी बनाकर अपने छोटे छोटे 6 बच्चों के साथ रहते हैं। प्रशासन की टीम जैसे ही कार्रवाई करने के लिए पहुंची तो पहले तो राजकुमार और पत्नी सावित्री ने अधिकारियों के हाथ-पैर जोड़े, लेकिन जब अधिकारी नहीं माने और खड़ी फसल पर जेसीबी चलवाने लगे तो दोनों भागकर झोपड़ी में पहुंचे और वहां रखी कीटनाशक पी ली। कीटनाशक पीने के कारण पत्नी सावित्री मौके पर ही बेसुध होकर गिर गई। मां की हालत देख मासूम बच्चे बिलख उठे और उसकी छाती से लिपट गए।


मासूम बच्चों की चीख पुकार से हर किसी की रूह कांप गई। कुछ ही देर बाद पति राजकुमार ने भी कीटनाशक पी लिया। माता-पिता के जहर पीकर बेसुध होने के बाद एक मासूम बच्ची मां की छाती पर बैठ गई और जोर जोर से रो उठी। पास ही बेसुध पड़े पिता राजू से भी मासूम बच्चे लिपट गए और रोते रोते पिता को होश में लाने का प्रयास करने लगे। प्रशासन के गुहार न सुनने से दुखी राजकुमार ने अपने मासूम बच्चों को भी जहर पिलाने की कोशिश की हालांकि राजकुमार बच्चों को जहर पिला पाता इससे पहले ही मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने उसे रोक दिया।


पुलिस राजकुमार को पकड़ने का प्रयास कर रही थी, इसी दौरान उसने दौड़ लगा दी और खुद भी कीटनाशक पी लिया। जिससे वो भी बेहोश हो गया। ये सब देख अधिकारियों और पुलिसकर्मियों के होश उड़ गए। राजकुमार की पत्नी सावित्री के कीटनाशक पीने के बाद बेहोश होने और बच्चों को बिलखते देख राजू का छोटा भाई अपना आपा खो बैठा। सावित्री को बेहोशी की हालत में टांग कर ले जा रहे पुलिसकर्मियों को राजकुमार के छोटे भाई ने धक्का दे दिया, जिससे पुलिसकर्मी भड़क गए और जमकर लाठियां भांजी।


छोटे भाई को बचाने आई एक महिला को भी पुलिस ने नहीं बख्शा और जमकर लाठियां चलाईं। पुलिस की लाठियां खाने से राजकुमार का छोटा भाई भी मौके पर ही बेहोश हो गया। दलित बटाईदार परिवार के पति पत्नी के जहर खाने और बेहोश हो जाने, मासूम बच्चों के बिलखने का मंजर देखने के बाद मौके पर मौजूद अधिकारियों के भी हाथ-पैर फूल गए। अधिकारियों ने तुरंत एंबुलेंस को सूचना दी और फिर बेहोशी की हालत में ही राजकुमार और उसकी पत्नी सावित्री को टांगकर पुलिसकर्मी वाहन तक ले गए। दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज किया जा रहा है।


बटाईदार दलित राजकुमार ने अतिक्रमण हटाने पहुंचे अधिकारियों से गुहार लगाते हुए कहा कि साहब मैं गरीब आदमी हूं, मुझ पर तीन लाख रुपए का कर्जा है, 6 छोटे-छोटे बच्चे हैं, कर्ज को पटाने के लिए मैं बटाई पर जमीन लेकर खेती कर रहा हूं। मुझे खेती कर लेने दीजिए, नहीं तो मेरे परिवार को जहर दे दीजिए।


दरअसल जिस जमीन को लेकर ये सारा हंगामा हुआ वो जमीन मॉडल कॉलेज के लिए चयनित है। जिस पर जल्द काम शुरू होना है। मॉडल कॉलेज का निर्माण करने वाली एजेन्सी का कहना था कि प्रशासन उनको जमीन खाली करके दे। इसी आशय से एसडीएम शिवानी रायकवार के निर्देश पर नायब तहसीलदार निर्मल राठौर के नेतृत्व में पटवारियों और पूरे नगर पालिका के अतिक्रमण हटाओ अमले के साथ जमीन को खाली कराने पहुंचे थे। इधर खबर मिली है कि शिवराज सरकार की पुलिस ने अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहे पीड़ित दम्पत्ति के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कर दिया है।


मुख्यमंत्री शिवराज ने इस घटना के लिए जिले के डीएम और एसपी का तबादला करने की घोषणा कर पूरे मामले पर लीपापोती की कोशिश की है। जबकि दूसरी तरफ पीड़ित किसान को किसी भी तरह के राहत की घोषणा नहीं की है। इस पूरे मामले में जमीन को बटाई पर देने वाले असली कब्जावर गब्बू परदी के राजनीतिक संपर्कों की जांच होनी चाहिए। आखिर किसकी राजनीतिक छत्रछाया में यह भूमाफिया इतने लंबे समय से इस सरकारी भूमि को कब्जे में लेकर बटाई पर दे रहा था। निश्चय ही पिछले 17 वर्षों में एक वर्ष छोड़ दें तो बाकी पूरे समय सत्ता शिवराज चौहान के हाथ में रही है।


कहीं गुना का गब्बू परदी कानपुर का विकास दूबे तो नहीं? जिसे बचाने के लिए सिर्फ डीएम एसपी का तबादला कर मामले में लीपापोती की जा रही हो? इस लिए इस पूरे मामले की जांच हाईकोर्ट के किसी जज से कराई जाए। पीड़ितों पर बर्बर लाठीचार्ज करने वाले मौके पर मौजूद अधिकारियों और पुलिस कर्मियों को भी दंडित किया जाय। पीड़ित दलित बटाईदार किसान की लागत का 3 लाख रुपया उसे मुआवजा दिया जाय। साथ ही उसकी आजीविका व पुनर्वास के लिए उसे तीन एकड़ कृषि भूमि और आवास का तुरन्त आवंटन किया जाए। जब तक ऐसा न हो, उन्हें मौजूद जमीन से न हटाया जाए।