*अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति*
*किसान विरोधी अध्यादेशों का मकसद जमाखोरी चालू करो मंडी खत्म करो और खेती कंपनियों को सौंपो*
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के ऑनलाइन फेसबुक कार्यक्रम के तीसरे दिन
व्यापारी कृषि उत्पाद खरीद कर जमा खोरी करके अपनी मनमर्जी से रेट तय करके बेचता है। जिससे किसान और उपभोक्ता दोनों को नुकसान होता है। एपीएमसी की कमियों के कारण किसानों का शोषण होता है ।उसे दूर किया जा सकता था ।लेकिन कंपनियों को फायदा पंहुचाने के लिए खरीद का अधिकार निजी हाथों में दिया जा रहा है। जिसमें किसान अपनी उपज बेचने का अधिकार खो देगा। ठेका खेती कानून में कहने को किसान खेत का मालिक होगा लेकिन खेती करने और उत्पाद बेचने का अधिकार कंपनी का होगा। उन्होने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा खेती किसानी की बुनियादी व्यवस्था बदलने की साजिश की जा रही है ।हमें पंजाब और हरियाणा के किसानों के आंदोलन जैसा आंदोलन 9 अगस्त को देशव्यापी स्तर अपनी ताकत दिखानी होगी।
अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री,वर्किंग ग्रुप सदस्य एवम पूर्व विधायक कॉमरेड राजाराम ने कहा कि कृषि उपज वाणिज्य एवं व्यापार संवर्धन कहने को तो किसान हितैषी है लेकिन ऐसा है नहीं । एमएसपी से सरकार बचना चाहती है व्यापारियों के जरिए किसानों को बंधक बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि खेती से बेदखल हुए किसान क्या करेंगे? उन्होंने कहा कि देश की धरती से सिर्फ किसान ही जुड़ा है व्यापारी या कंपनियां नहीं। देश के करोड़ों लोगों को भोजन की गारंटी भी किसान ही देता है। राज्य सरकारें जो बोनस देती थी उसे केंद्र सरकार ने बंद कर दिया है।
आशुतोष - मिडिया सेल अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति