किसान विरोधी अध्यादेश वापस लो-एआइकेएससीसी

*अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति*


*प्रेसनोट | 1 अगस्त, 2020*


*अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति किसान विरोधी अध्यादेशों को वापस लेने के लिए 9 अगस्त को राष्ट्रव्यापी आंदोलन चलाएगी*


*किसान विरोधी अध्यादेशों का मकसद जमाखोरी चालू करो मंडी खत्म करो और खेती कंपनियों को सौंपो*


अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के ऑनलाइन फेसबुक कार्यक्रम के तीसरे दिन


*"किसान विरोधी अध्यादेशों को वापस लो"* विषय पर चर्चा की गयी । जिसे अब तक विभिन्न फेसबुक पेजों पर 65000 किसानों और समर्थकों द्वारा देखा गया। ए.आई.के.एस.सी.सी के वर्किंग ग्रुप के सदस्य एवम जय किसान आंदोलन के संस्थापक योगेन्द्र यादव ने कहा कि केंद्र सरकार ने कोरोना काल में तीन किसान विरोधी अध्यादेश लाए हैं जिनका असली नाम जमाखोरी चालू करो कानून, मंडी खत्म करो कानून और खेती कंपनियों को सौंपा कानून होना चाहिए क्योंकि इन अध्यादेशों का यही असली मकसद है।


व्यापारी कृषि उत्पाद खरीद कर जमा खोरी करके अपनी मनमर्जी से रेट तय करके बेचता है। जिससे किसान और उपभोक्ता दोनों को नुकसान होता है। एपीएमसी की कमियों के कारण किसानों का शोषण होता है ।उसे दूर किया जा सकता था ।लेकिन कंपनियों को फायदा पंहुचाने के लिए खरीद का अधिकार निजी हाथों में दिया जा रहा है। जिसमें किसान अपनी उपज बेचने का अधिकार खो देगा। ठेका खेती कानून में कहने को किसान खेत का मालिक होगा लेकिन खेती करने और उत्पाद बेचने का अधिकार कंपनी का होगा। उन्होने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा खेती किसानी की बुनियादी व्यवस्था बदलने की साजिश की जा रही है ।हमें पंजाब और हरियाणा के किसानों के आंदोलन जैसा आंदोलन 9 अगस्त को देशव्यापी स्तर अपनी ताकत दिखानी होगी।


अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री,वर्किंग ग्रुप सदस्य एवम पूर्व विधायक कॉमरेड राजाराम ने कहा कि कृषि उपज वाणिज्य एवं व्यापार संवर्धन कहने को तो किसान हितैषी है लेकिन ऐसा है नहीं । एमएसपी से सरकार बचना चाहती है व्यापारियों के जरिए किसानों को बंधक बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि खेती से बेदखल हुए किसान क्या करेंगे? उन्होंने कहा कि देश की धरती से सिर्फ किसान ही जुड़ा है व्यापारी या कंपनियां नहीं। देश के करोड़ों लोगों को भोजन की गारंटी भी किसान ही देता है। राज्य सरकारें जो बोनस देती थी उसे केंद्र सरकार ने बंद कर दिया है।


अखिल भारतीय किसान सभा के बीजू कृष्णन ने कहा कि इस वर्ष 11 प्रतिशतअधिक गेहूं की बुआई के बावजूद कोरोना के चलते 55 लाख टन गेंहू मंडीयों में कम आया, समर्थन मूल्य पर गेहूं नहीं खरीदा गया। उन्होंने कहा कि तीन किसान विरोधी अध्यादेश मेहनतकश किसानों पर हमला है तथा किसानो को बंधुआ बनाने की शुरुआत है। उन्होंने बताया कि केरल सरकार ने एम एस पी से 800 रुपये अधिक पर 2695 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर धान की खरीद की है।लेकिन अन्य सरकारें एम एस पी पर भी धान खरीदने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने बताया कि केरल सरकार ने 87 लाख नागरिकों और 25 लाख बच्चों को अनाज के अलावा दो किस्म का खाने का तेल, आटा, तेल, शक्कर, नमक, मूंग, अरहर, उरद, चना दाल, सूजी, चाय, मसाले, सांभर पॉवडर के पैकेट दिये गए। 55 लाख लोगों को 1300 रुपये प्रति माह की पेंशन 6 महीने दी जा रही है लेकिन अन्य सरकारें कोरोना काल मे भी केवल खानापूर्ति कर रही हैं।


आशा संगठन के प्रमुख एवम वर्किंग ग्रुप सदस्य हैदराबाद के किरण विस्सा ने कहा कि सरकार द्वारा कहा गया है कि किसानों को आजादी मिल गई है लेकिन यह आजादी कारपोरेट को किसानों को लूटने की मिली है । संसद और विधान सभाओं को बिना विश्वास में लिए अध्यादेशों को लागू करने का काम किया गया है। उनका मकसद मंडी को दरकिनार करना, ध्वस्त करना है। व्यापारियों को मजबूती देने के लिए किसान को कमजोर कर दिया गया है ।उन्होंने कहा कि राज्यों के अधिकार छीनने का काम केंद्र सरकार ने किया है लेकिन किसान भी चुप बैठने वाले नहीं है।


कार्यक्रम का संचालन एआईकेएससीसी के वर्किंग ग्रुप के सदस्य डॉ सुनीलम ने किया। उन्होंने कहा कि जिस तरह किसानों ने सरकार को भूमि अधिग्रहण कानून और आर सी ई पी समझौते आदि मुद्दों पर पीछे धकेला है । संसद में तीन किसान विरोधी बिल पेश होने के पूर्व ही लॉक डाउन खत्म होने के बाद अपनी ताकत दिखलाएंगे।


कार्यक्रम में प्रकाशम जिले के किसान नेता रंगाराव भी उपस्थित रहे। कल एआईकेएससीसी के फेस बुक पेज पर *"डीजल का मूल्य आधा करो"* ऑनलाइन कार्यक्रम सुबह 11 बजे से 1 बजे के बीच देखा जा सकेगा।


आशुतोष - मिडिया सेल अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति