तुर्की में इब्रू फातमा की शहादत आसमान से ऊंची


तुर्की में इब्रू फातमा की शहादत पहाड़ से भी ऊंची

 

238 दिन की भूख हड़ताल के बाद तुर्की की एक क्रांतिकारी योद्धा इब्रू फातमा ने इंस्ताबुल के एक अस्पताल में अपने जीवन की अंतिम सांस ली। उसने एक समाजवादी तुर्की के निर्माण के लिए अपना बलिदान दिया। एक बेहतर तुर्की और बेहतर दुनियां के निर्माण के उसके सपने आसमान जितने ऊंचे थे। इसी लिए आज इब्रू फातमा की शहादत भी आसमान से ऊंची हो गई है। उसने अपनी जनता की बेहतरी के लिए पहाड़ से भारी मौत को चुना, इसीलिए वो अब पूरी दुनियां की बेहतरी चाहने वाले लोगों के दिलों में बस गई है। इब्रू फातमा को अंतिम विदाई देने गए लोगों ने उसके काले कोट को उसकी कब्र पर ऊपर से ओढ़ा दिया।

2 जनवरी 2020 से वह तुर्की की दमनकारी सरकार के खिलाफ भूख हड़ताल पर बैठ गई थी। उसके साथ देश की कवि, शिक्षक, छात्र, गायक सहित कई सामाजिक कार्यकर्ता इस आंदोलन में थे। इब्रू फातमा तुर्की की प्रोग्रेसिव वकील एशोसिएशन के एक समूह की कार्यकर्ता थी। इस संगठन ने महिलाओं और गरीबों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई। सरकार ने 2017 में इब्रू और उनके साथियों पर कूर्द क्रांतिकारी मोर्चे के सदस्य होने का आरोप लगाया और दमन किया। ठीक वैसे ही जैसे आजकल भारत में भीमा कोरेगांव और दिल्ली दंगों के साजिशकर्ता के नाम पर आंदोलनकारियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और नागरिक अधिकार आंदोलन के कार्यकर्ताओं को फसाया जा रहा है।

तुर्क वीरांगना इब्रू फातमा को लाल सलाम!