सत्य शोधक शेतकारी सभा का जत्था महाराष्ट्र से दिल्ली को कूच किया

 *सत्यशोधक किसान सभा का जत्था महाराष्ट्र से दिल्ली को कूच किया*

किशोर धमाल

           3 जनवरी : सावित्रीबाई फुले की जयंती पर नंदुरबार महाराष्ट्रसे सत्यशोधक किसान सभा के नेतृत्व में कॉ. करणसिंह कोकणी, कॉ. किशोर ढमाले, कॉ. दिलीप गावित, कॉ. रणजित गावित, कॉ. आर टी गावित,  कॉ.  लीलाताई वलवी,  कॉ.  जमुनताई ठाकरे सहित सैकड़ों किसान दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं।

             इस समय नंदुरबार शहर के नेहरू चौक से एक स्वागत रैली निकाली गई। कॉ. विक्रम गावित की अध्यक्षता में हुई बैठक में भारिप बहुजन संघ के नाना ठाकरे, आदिवासी सेवा समिति के कार्यकर्ता मिलींद वळवी और सत्यशोधक किसान सभा - सत्यशोधक ग्रामीण कष्टकारी सभा के कार्यकताओंने दिल्ली जानेवाले समूह को विदाई दी। उसके बाद, धुले के मालेगाँव रोड पर इस ङ्क डेरा डालो-घेरा डालो ङ्खआंदोलन के लिए निकलपडे सत्यशोधक किसानोंका स्वागत किया गया।

             धुलिया  जिले के दहिवेल गावसे भी एक जथ्था कॉ. यशवंत मालचे, कॉ.लालाबाई भोये, कॉ. मंसाराम पवार, कॉ. जितेंद्र पवार, कॉ.अशफाक कुरेशी, कॉ.पोपट मालचे इनके नेतृत्व में निकला है। नाशिक शहरसे भी दो जथ्थे कॉ. जगन सोनावणे इनकी नेतृत्वमें शामील हुए । श्रमिक संगठन के नेता कॉ. सुभाष काकुस्ते, पत्रकार तथा  काँग्रेस तेहसिल अध्यक्ष भानुदास गांगुर्डे और उनके सहयोगियों ने दहिवेल, नासिक और पिंपलनेर यहांसे आये किसान जथ्थोंका स्वागत किया । सभी जथ्थे  लढेंगे-जितेंगे, किसान आंदोलन झिंदाबाद, किसानविरोधी कानून खारीज करो आदी नारे बुलंद करते हुए धुलिया शहर की वोर रवाना हुए। धुलिया में, नंदुरबार, नासिक और अहमदनगर आदी जिलों के आये सभी जथ्थे एक साथ आए और उनका स्वागत धुलियास्थीत गुरुद्वारा के ग्रंथी साहब ने किया।       

               


             वहां से, शिवाजी महाराज की मूर्ति के पास, जिला कांग्रेस अध्यक्ष शामभाऊ सनेर, एनसीपी नेता और वरिष्ठ संपादक हेमंत मदाने, शिवसेना नेता हिरणअन्ना माली, बहुजन गठबंधन के नेता सत्यप्रकाश बोरसे, पूर्व विधायक प्रा शरद पाटिल, रिपब्लिकन नेता एम. जी. धिवरे, जमात-ए-उलेमा हिंद के नेता अब्दुल असद साहब, प्रहार, सत्यशोधक जनआंदोलन आदी संगठन के नेताओं  ने सभी का स्वागत किया।

     इस समय छत्रपति शिवाजी महाराज, डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की प्रतिमाओं की पुष्पमाला अर्पण कि गयी. जथ्था पुराना आगरा रोड से होते हुए शहर की मुख्य बाजार - पाचकंदिल चौक मे आ पहुंचा. वहाँ महात्मा जोतीराव फुले, म. गांधी  प्रतिमा को पुष्पमाला अर्पण की गयी. फिर पांजरा नदी के तट पर काकासाहेब बर्वे स्मारक कार्यालय के नजदीक  सार्वजनिक सभा संपन्न हुई । काकासाहेब बर्वे स्मृति छात्रावास के निदेशक मधुभाऊ शिरसाट, एनसीपी नेता महेंद्र शिरसाट और वरिष्ठ पत्रकार रमेश दाने ने समूह का स्वागत किया। इस समय सत्यशोधक शेतकरी सभा की ओर से कॉ. करणसिंग कोकणी और लीलाताई वळवी ने आंदोलन के बारे अपनी भूमिकाएँ रखी। कहॉ के - हम दिल्ली के किसान आंदोलन में आपना समर्थन देने जा रहे हैं। हम चाहते हैं कि एमएसपी गारंटी कानून बनाया जाय, ना की किसान विरोधी कानून। बल्की वह नए तीन कृषि कानूनों को निरस्त किया जाना चाहिए । हम इस लड़ाई को तब तक जारी रखेंगे, जब तक सरकार हमारी माँगे मंजूर नही करती और हमे लिखित स्वरूप में नहीं दे देती।  वेणूताई बोरसे स्मृति प्रतिष्ठान की ओर से ठिठुरते ठंड में दिल्ली जानेवाले आंदोलनकारीयों को दस कंबल वितरित किए गए। अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति महाराष्ट्र के कार्यकारी अध्यक्ष अविनाश पाटिल ने मुख्य भाषण दिया। हेमंत मदने ने परिचयात्मक भाषण दिया जबकि महेंद्र शिरसाट ने दर्शकों और आंदोलकोंके प्रति आभार प्रकट किया। इसके बाद, महात्मा फुले द्वारा रचित सत्य के अखंड का गायन करके सभा समाप्त हुई ।

            अगले दिन सुबह 5:30 बजे उठकर महात्मा फुले द्वारा रचित सत्य के अखंड का गायन और सावित्रीबाई फुले की मुर्ति को माला अर्पण करके जथ्था शिरपूर की ओर रवाना हुआ। रास्ते में, विशाल माली और विक्रम देसले सहित कई कार्यकर्ताओं ने सोनगीर में उनका स्वागत किया। आगे नरडाणे गाँव में पुरे जल्लोष से किसानों ने इन आंदोलनकारीयों का स्वागत किया। शिरपूर में किसान सभा सभा के नेता कॉ. हिरालाल परदेशी, भा.क.प.चे मदन परदेशी, मोहन पाटील,  किसान फाऊंडेशन के मोहनभाऊ पाटील, काँग्रेसके नेता अभिमान भोई, मनोहरबापू,उत्तमराव माळी, राष्ट्रवादी काँग्रेस के रमेश करणकाल, हेमराज राजपूत, शशीकांत निकम, जे.यू.पाटील, शिवसेनाके जिला उपप्रमुख भारत राजपूत, प्रहार संघठन के ईश्वर बोरसे, सत्यशोधक जनआंदोलन के नेता कचरू अहिरे, दत्तू थोरात, भाकप के कांतीलाल परदेशी, अ‍ॅड. जितेंद्र देवरे, सत्यशोधक विद्यार्थी संघटन के राकेश अहिरे इन्होंने जथ्थे का स्वागत किया और क्रांतिकारी रचनाएँ प्रस्तुत की । महाराष्ट्र-मध्यप्रदेश सीमापर सांगवी में किसान सबा के डॉ. किशोर सुर्यवंशी और मोहन पावरा ने समूह का स्वागत किया।

              कासवा संगठन के नेताओं और प्रख्यात शिक्षकों, व्यापारियों और सामुदायिक संगठनों ने महाराष्ट्र-मध्यप्रदेश सीमा पर सेंधवा में समूह का स्वागत किया। हाजी कुरैशी, शेख भाई और अयूब भाई ने इसमें भाग लिया। बाद में मध्य प्रदेश, ठिकरी जिला बड़वानी में सेंचुरी मिल के कार्यकर्ताओं ने मार्च का स्वागत किया। कुमार मंगलम बिर्ला के स्वामित्व वाली यह मिल 17 अक्टूबर, 2017 को बिना किसी पूर्व सूचना के बंद कर दी गई थी। पिछले 40 महीनों से, मेधाताई पाटकर के नेतृत्व में, ये कार्यकर्ता मिल बंद करने के विरोध में भूख हडताल कर रहे हैं। सेंच्युरी मिल के कामगार नेता श्याम भदाणे, ज्योती भदाणे, दुर्गेश खावटे, नवीन मिश्रा, राजेश खेटे ने कॉ. दिलीप गावित और  कॉ. अर.टी. गावित ने किसान आन्दोलन के बारे में जानकारी दी और स्वागत के लिए धन्यवाद दिया । नवीन मिश्रा ने क्रांतिकारी गीतों की प्रस्तुति दी। इस समय इन लढवय्या कामगारोंने 8 जनवरी को दिल्ली जाने का ऐलान भी  किया। उसके बाद, सत्यशोधक शेतकरी सभा के कार्यकर्ता इंदौर के लिए रवाना हुए। सत्यशोधक शेतकरी सभा के कामरेड किशोर ढमाले ने कहा - मोदी सरकार द्वारा पारित नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान 40 दिनों से दिल्ली सीमा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। आंदोलन में 37 किसानों की मौत के बावजूद, मोदी सरकार अभी भी सोयी है। हम कृषि और किसानों के अस्तित्व के लिए केंद्र सरकार के खिलाफ यह लड़ाई लड़ रहे हैं ।

     सत्यशोधक शेतकरी सभा, श्रमिक शेतकरी संगठन और सेकड़ौं कार्यकर्ताओंने इंदोर पहूंच गए और वहा राजमोहल्ला चौराहे पर शहिद भगतसिंह की मूर्ति को माला अर्पण की। इस समय आम आदमी पक्ष के डॉ. पियुष जोशी, किसान संघर्ष समिती के राम स्वरूप मंत्री, सीटू के कॉ. एस. के. दुबे और विविध पक्ष और संगठन के कार्यकर्ताओंने जथ्थे का स्वागत किया। आम आदमी पक्ष के हरिश हातवळणे, दिवलकर इन्होंने समूह को शुभेच्छाएँ दी। सत्यशोधक शेतकरी सभा की ओर से विदर्भ प्रमुख प्रशांत सोनवणे और नंदुरबार जिल्हाध्यक्ष आर. टी. गावित ने भाषण किया। महात्मा फुले रचित सत्य के अखंड का गायन करके और लाल सलाम, सत्य की जय हो इन घोषणाएँ देकर कार्यकर्ताओंने शहिद भगतसिंह के प्रतिमा के पास दोन्हो ही वक्त का खाना शाम 6:30 बजे मिलकर खाया। इस तरह जनवरी के 4 तारीख का महाराष्ट्र-मध्य प्रदेश के सीमापर सेंधवा से शुरू हुआ सफर इंदोर में दाखील हुआ। रास्ते में किसान आंदोलन के मुद्दों पर समूह ने जनजागृती की और रात को इंदोर में गंगाबगीचा में विश्राम किया।