पटेल का नाम मिटाकर खुद को स्थापित करते मोदी
क्या ये खुद को सरदार पटेल से ऊपर मानने की मानसिकता का नतीजा है? या फिर प्रधानमंत्री मोदी रैंक के आधार पर खुद को देश के प्रथम गृह मंत्री सरदार पटेल से श्रेष्ठ माने बैठे हैं? क्या वो ये सोचते हैं कि वो प्रधानमंत्री हैं तो गृह मंत्री (दूसरा रैंक) से श्रेष्ठ है?
ये क्या कम शर्मनाक है कि 562 रियासतों को जोड़ कर देश को एकसूत्र में बांधने वाले यूनिटी मैन के नाम को हटाकर सरकार ने स्टेडियम का नाम देश और समाज को बांटने वाले ‘चीफ ऑफ डिवाइडर’ के नाम पर कर लिया।
आखिर इतनी भी क्या जल्दबाजी है जो प्रधानमंत्री मोदी इमारतों के नाम अपने नाम पर रखने लगे हैं? क्या उन्हें इस बात का अंदेशा है कि आने वाली पीढ़ियां उन्हें इस लायक नहीं समझेंगी कि उनके नाम पर किसी इमारत का नाम रखें? क्या खुद का नाम अमर बनाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी अब खुद के नाम को जबर्दस्ती जनमानस पर थोप रहे हैं?
(जनचौक से साभार, शीर्षक हमारा)