किसान आंदोलन की सफलता के लिए बिहार को उठ खड़ा होना होगा-दीपंकर
18 मार्च को पटना में भाकपा माले और अखिल भारतीय किसान महासभा के बैनर तले एक किसान मजदूर महापंचायत सम्पन्न हुई। इसे भाकपा माले महासचिव कामरेड दीपंकर भट्टाचार्य, किसान महासभा के महासचिव कामरेड राजा राम सिंह, टीकरी बॉर्डर पर आंदोलन के नेता और पंजाब किसान यूनियन के सचिव कामरेड गुरुनाम सिंह, किसान आंदोलन का अखबार ट्राली टाइम्स की संपादक नव किरन नत्त ने संबोधित किया।
महापंचायत को संबोधित करते हुए भाकपा माले महासचिव कामरेड दीपंकर भट्टाचार्य ने वर्तमान किसान आंदोलन को ऐतिहासिक बताते हुए बिहार के किसानों मजदूरों को इस आंदोलन में उठ खड़े होने का आह्वान किया। उन्होंने कहा भारत का कोई भी राष्ट्रव्यापी आंदोलन जीत तक तभी पहुंचता है जब बिहार उठ खड़ा होता।
कामरेड दीपंकर ने कहा "एमएसपी का सवाल केवल बड़े किसानों का मुद्दा नहीं है, बल्कि इसका खामियाजा छोटे किसानों को भी भुगतना होगा. बिहार के किसानों को सबसे कम कीमत मिलती है. देश के हरेक हिस्से में किसानों को एमएसपी मिलनी चाहिए.
उन्होंने कहा शहीद-ए-आजम भगत सिंह के पंजाब से उठ खड़ा किसान आंदोलन स्वामी सहजानंद सरस्वती और रामनरेश राम जैसे किसान नेताओं की सरजमीं बिहार में नया आवेग व विस्तार पा रहा है. आज की महापंचायत घर-घर व गांव-गांव तक इस आंदोलन को फैला देने का आह्वान कर रही है.
कामरेड दीपंकर ने संयुक्त किसान मोर्चे द्वारा आहूत 26 मार्च के भारत बंद में पूरे बिहार को बंद रखने के लिए पूरी ताकत से उतरने की अपील की। उन्होंने अपील की कि बिहार में महागठबंधन की पार्टियां इस बंद को सफल बनाने के लिए पूरी ताकत लगाएं। उन्होंने कहा विभिन्न राज्यों में होेने वाले चुनावों में किसानों का ही मुद्दा प्रधान मुद्दा होगा. लिहाजा एक-एक वोट भाजपा के खिलाफ दें और उसे हराएं."
अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव कामरेड राजा राम सिंह ने कहा कि खेती किसानी की गुलामी के इन तीन कानूनों को मोदी सरकार तत्काल वापस ले और एमएसपी को कानूनी दर्ज दे। उन्होंने कहा यह लड़ाई केवल देश के किसानों की नहीं बल्कि 135 करोड़ आबादी की खाद्य सुरक्षा की है। अगर देश का अनाज कारपोरेट कम्पनी के गोदाम में चला जाएगा तो वह उसे अति मुनाफे में बदलेगा।
उन्होंने कहा अगर कारपोरेट को गरीब की थाली में भोजन देने से ज्यादा मुनाफा शराब व इथिनाल बनाने में होगा तो वह पूरे अन्न का शराब और इथिनाल बना देगा। इस लिए इस देश के किसानों मजदूरों को यह लड़ाई मिल कर लड़नी होगी। उन्होंने कहा हमारे पास पीछे लौटने का कोई रास्ता नहीं बचा है। हमें हर हाल में इस लड़ाई को जीत तक जारी रखना है।
दिल्ली के टीकरी बॉर्डर पर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे पंजाब किसान यूनियन के प्रांतीय सचिव कामरेड गुरुनाम सिंह भिखी ने कहा "मोदी सरकार द्वारा लगाए गए तमाम बंदिशों को ध्वस्त करते हुए हम 26-27 नवंबर से दिल्ली के बाॅर्डरों पर जमे हुए हैं. हम आपसे कहने आए हैं कि तीन कृषि कानून के खिलाफ लड़ाई केवल पंजाब-हरियाणा के किसानों की नहीं है. यदि हमारी खेती व हमारी जमीन काॅरपोरेटों के हवाले हो जाएगी, तो फिर हम खायेंगे क्या? ये कानून पूरे देश में खाद्यान्न संकट पैदा करेंगे और गरीबों के मुंह से रोटी छीन जाएगी. यह जीने-मरने की लड़ाई है. आज वक्त है कि देश के सभी किसान एकजुट हो जाएं."
दिल्ली के टीकरी बॉर्डर से किसान आंदोलन के लिए निकलने वाले चर्चित अखबार ट्राली टाइम्स की संपादक कामरेड नव किरन नत्त ने कहा "यह लड़ाई हम सबकी है, पेट भरने की है. पेट का कोई धर्म नहीं होता. जिस प्रकार से जीने के लिए रोज-रोज खेती करना है, उसी प्रकार अब हर दिन आंदोलन भी करना है."
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{ तस्वीरें : किसान-मज़दूर महापंचायत, पटना, बिहार }