82 हजार करोड़ के अडानी-होलसिम सीमेंट सौदे में सरकार को कोई टैक्स नहीं


श्याम सिंह रावत

स्वघोषित राष्ट्रवादियों द्वारा देश को किस तरह चूना लगाया जा रहा है, इसका प्रत्यक्ष प्रमाण सामने आया है अडाणी-होल्सिम सीमेंट (अंबुजा सीमेंट्स और एसीसी) सौदे में हुई घपलेबाजी में। कल सम्पन्न हुए 82 हज़ार करोड़ रुपए के इस सौदे में भारत सरकार को कर के रूप में एक फूटी कौड़ी भी नहीं दी जाएगी, जैसा कि होल्सिम के सीईओ जॉन जेनिश का कहना था।

स्विट्जरलैंड की कंपनी होल्सिम के सीईओ जॉन जेनिश ने अडाणी समूह के साथ सौदा सम्पन्न होने के बाद निवेशकों को संबोधित करते हुए कहा, ''हमारे विश्लेषण के अनुसार यह एक करमुक्त लेनदेन है।''  

सौदे पर लागू करों के भुगतान के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ''ऐसा नहीं लगता कि कोई जटिलता पैदा होगी। हम मानते हैं कि हमें 6.4 अरब स्विस फ़्रैंक शुद्ध आय के रूप में मिलेंगे।''

यानी अंबुजा सीमेंट और एसीसी में अपनी हिस्सेदारी अडाणी समूह को बेचने के 6.4 अरब डॉलर के इस सौदे में होल्सिम समूह किसी भी नुकसान या कर की देनदारी के लिए उत्तरदायी नहीं है।

आपको याद होगा कि जब 2018 में अमेरिकी कंपनी वॉलमार्ट और फ्लिपकार्ट के बीच 1600 करोड़ डॉलर (1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा) का सौदा हुआ था तो फ्लिपकार्ट में हिस्सेदारी खरीदने के लिए वॉलमार्ट ने भारत सरकार को 7,439 करोड़ रुपये का टैक्स दिया था। इस पर भी भारतीय कर अधिकारियों ने कहा था कि टैक्स का कम भुगतान किया गया है और वॉलमार्ट को अभी भी टैक्स देना है।

इसी तरह Hutch-Vodafone के सौदे में भी कुल 11,000 करोड़ रुपए के टैक्स की देनदारी आई थी लेकिन इस सौदे में ऐसा कैसे हो गया कि मामला एकदम मुफ्त में निपट गया?

क्या यह आश्चर्यजनक नहीं है कि कुल 82 हज़ार करोड़ रुपए के इस सौदे में अपनी हिस्सेदारी बेचने वाले होल्सिम समूह ने किसी भी कर की देनदारी से साफ इंकार किया है।

यही नहीं होल्सिम के सीईओ जॉन जेनिश ने इस लेन-देन को लेकर एक महत्वपूर्ण बात यह भी बताई कि बिक्री के बाद अंबुजा सीमेंट्स और एसीसी पर प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआइ) द्वारा लगाए गए जुर्माने के लिए नया मालिक जिम्मेदार होगा। उन्होंने कहा, ''हमने कंपनी बेच दी है... हमारी तरफ से कोई क्षतिपूर्ति नहीं की जायेगी।''

दरअसल, 2016 में प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआइ) ने कुल 11 सीमेंट कंपनियों पर 6,300 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। जुर्माने की इस रकम में से अंबुजा सीमेंट्स पर 1,164 करोड़ रुपए और एसीसी पर 1,148 करोड़ रुपए बकाया हैं। इन दोनों कंपनियों ने अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष जुर्माने को चुनौती दी थी और मामला अभी भी उच्चतम न्यायालय में लंबित है। 

इस सौदे की शर्तें क्या हैं, यह तो नहीं मालूम लेकिन इन दोनों कंपनियों की तरफ जुर्माने की कुल देय धनराशि 2,312 करोड़ रुपए का भुगतान करने से होल्सिम कंपनी ने इन्कार कर दिया है। तो क्या भारत सरकार स्थिति को स्पष्ट करेगी!

इस मामले में कम से कम एक बात यह तो अच्छी हुई कि विदेशों में प्रैस स्वतंत्रता के कारण होलसिम के सीईओ से पत्रकारों ने सवाल पूछ भी लिया, यहां के पत्रकारों ने तो जैसे कसम ही खा ली है कि वे न तो मोदी सरकार से और न ही अडाणी से इस सौदे में सरकार को टैक्स के रूप में मिलने वाली रकम के बारे में कोई सवाल पूछेंगे।

क्या केन्द्र सरकार बताएगी कि उसे 82 हज़ार करोड़ रुपए के इस सौदे में कितनी रकम टैक्स के रूप में मिलने वाली है और अंबुजा सीमेंट्स तथा एसीसी पर लगाये गये जुर्माने में से 2,312 करोड़ रुपए की बकाया राशि का भुगतान किससे वसूला जाएगा? ■