माई लॉर्ड! यह फैसला सुप्रीम कोर्ट की गरिमा के अनुकूल नहीं है!
प्रवासी मजदूरों पर सुप्रीम कोर्ट का कल का आदेश केंद्र सरकार को जिम्मेदारी से मुक्त कर क्लीन चिट देने की कवायद के सिवाय और कुछ नहीं है। इसी लिए इस फैसले को देश के नागरिको ने गम्भीरता से नहीं लिया।
अब जब ज्यादातर मजदूर लौट चुके हैं, तब उन्हें 15 दिन में पहुंचाने के आदेश का क्या मायने है?
पूरे देश में क्वारन्टीन सेंटरों की बदहाली को ठीक करने का आदेश क्यों नहीं दिया गया।
यह सर्वोच्च न्यायालय की गरिमा के अनुकूल नहीं है।