अगर आप पढ़ेंगे, तो लिखने की काबलियत आपमें खुद आ जाएगी
कुछ ही सप्ताह पहले हमारे स्कूल में नई-नई लाइब्रेरी बनी है। लाइब्रेरी भी ऐसी वैसी नहीं, बहुत ही लाजवाब। हर तरफ़ सुंदर पेंटिंग्स लगी हैं। कुछ किताबें तो जैसे हवा में उड़ रहे पक्षियों की तरह टंगी हुई है और नॉलेज देने वाली गेम्स भी हैं। जो बच्चे लाइब्रेरी में किताबें नहीं पढ़ते वो यह गेम खेलकर बहुत नॉलेज प्राप्त कर लेते हैं। जैसे ही किसी की नज़र लाइब्रेरी की तरफ़ पड़ती है वह खुद ब खुद मैग्नेट की तरह खींचा चला आता है। मेरी क्लास में जब कोई खाली पीरियड होता तो मैं लाइब्रेरी बुक्स पढ़ने चले जाती हूँ। वहाँ बिल्कुल शांति होती है, कोई डिस्टर्ब नहीं करता। हमारे स्कूल की लाइब्रेरी में सबको आने की परमिशन है। कोई सवाल नहीं करता कि क्लास छोड़कर लाइब्रेरी क्यों आए हो या अपनी क्लास की बुक्स क्यों नहीं पढ़ते..
कोई भी कभी भी किताबें पढ़ने आ सकता है। स्कूल के लंच ब्रेक में तो लाइब्रेरी बच्चों से भरी होती है। कुछ बच्चे लंच टाइम पर लंच करने की जगह किताबें पढ़ने आते हैं। पहले तो किताबें जैसे मेरी दुश्मन थी। पढ़ना तो दूर की बात, उन्हें देख कर ही मेरी हालत खराब हो जाती थी। लेकिन जैसे ही मैंने लाइब्रेरी में जाकर पढ़ना शुरू किया तो किताबें जैसे मेरी दोस्त बन गई हों। पढ़ने के साथ-साथ अब मैं लिखती भी हूँ, मुझे बहुत खुशी है। सबको पढ़ना चाहिए क्योंकि अगर आप पढ़ेंगे तो लिखने की काबिलियत आपमें खुद ब खुद आ जाएगी।
मिलनप्रीत कौर
कक्षा 9वीं
नानकमत्ता पब्लिक स्कूल, नानकमत्ता, उत्तराखण्ड