ऐतिहासिक रहा किसान मोर्चे का “काला दिवस” कार्यक्रम


पुरुषोत्तम शर्मा

26 मई 2021 को दिल्ली बार्डर के मोर्चों पर किसान आंदोलन के 6 महीने पूरे होने व मोदी सरकार के 7 साल पूरे होने पर देश के किसानों के साथ ही अन्य तबकों ने भी देश भर में काला दिवस मनाया. इसके साथ ही सयुंक्त किसान मोर्चा की और से दिल्ली के बार्डरों पर बुद्ध पूर्णिमा भी मनाई गयी. पूर्व घोषित काला दिवस को देशभर से भारी समर्थन मिला. संयुक्त किसान मोर्चा ने इस दिन पूरे देशवासियों को अपने घरों, दुकानों, वाहनों और सोशल मीडिया पर काले झंडे लगाने और मोदी सरकार के पुतले जलाने का आह्वान किया था. इस आह्वान को पूरे देश से भरपूर समर्थन मिला. एक तरफ जहां देश के नागरिकों ने केंद्र की जुल्मी सरकार के खिलाफ अपना रोष प्रकट किया है, वहीं दूसरी तरफ देश के संघर्षरत किसानों का भरपूर समर्थन किया. सयुंक्त किसान मोर्चा और अखिल भारतीय किसान महासभा ने कार्यक्रम की सफलता के लिए देशवासियों को धन्यवाद करते हुए संकल्प दोहराया कि किसानों की मांगे पूरी होने पर ही आन्दोलन खत्म होगा.

दिल्ली बॉर्डर के मोर्चे

दिल्ली की सीमाओं पर किसानों ने बड़ी संख्या में विरोध दिवस मनाया और मोदी सरकार को चेतावनी दी कि जब तक किसानों की मांगे पूरी नहीं होती तब तक किसान वापस नहीं जाएंगे. सरकार चाहे जितना बदनाम करें या पुलिस बल का प्रयोग करे, पर किसान डटे रहेंगे. सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने अपनी अपनी ट्रॉलियां में, कच्चे मकानों में और अन्य वाहनों पर काले झंडे लगाए. किसानों ने अलग-अलग कई जगह पर मोदी सरकार के पुतले जलाए और नारेबाजी कर विरोध प्रदर्शन किया. टिकरी बॉर्डर पर पंजाब हरियाणा के हजारों किसानों ने पहुंचकर मोर्चे को मजबूत किया. यहाँ भी काले झंडे लहराए गए और की जगह पर प्रधानमंत्री मोदी के पुतले फूंके गए. टिकरी बॉर्डर पर आसपास के नागरिकों ने भी पहुंचकर किसानों का समर्थन किया और हरसंभव मदद का भरोसा दिया. गाजीपुर बॉर्डर पर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के किसानों ने काले झंडे लहराए और प्रधानमंत्री मोदी का पुतला फूंका. 6 महीने पूरा होने पर आंदोलन को मजबूत करने का किसानों ने संकल्प लिया. वही शाहजहांपुर बॉर्डर पर आज राजस्थान व हरियाणा के किसानों ने इकट्ठे होकर सरकार के पुतले फूंके और काले झंडे लहराए. दिल्ली मोर्चों पर आज बुद्ध पूर्णिमा भी मनाई गई और लोगों को शांतमयी विरोध करने का आह्वान किया गया. संयुक्त किसान मोर्चा का विश्वास है कि किसानों का यह आंदोलन शांतिपूर्ण रहते हुए ही जीता जा सकता है. इस कार्यक्रम की सफलता बताती है कि मोर्चे पर जमे किसानों का हौसला बरकरार है और वे लगातार लड़ते रहेंगे.

 पंजाब-हरियाणा के मोर्चे

पंजाब के हर जिले में काला दिवस कार्यक्रम को किसानों और जनता के अन्य तबकों का भरपूर समर्थन मिला. पहले की तरह पंजाब में संघर्षरत सभी किसान संगठनों ने घर-घर में काले झंडे, बाइक रैली, ट्रेक्टर रैली व छोटी बैठकें कर विरोध जताया. पूरे राज्य में बड़े पैमाने पर मोदी सरकार के पुतले जलाकर विरोध किया गया. पंजाब में पिछले 8 माह से जारी लगभग 100 मोर्चों पर काला दिवस जोश खरोश के साथ मनाया गया. अखिल भारतीय किसान महासभा और उससे संबंधित पंजाब किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं ने राज्य के 10 जिलों में 100 से ज्यादा स्थानों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुतले फूंके. किसान महासभा और पंजाब किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं ने मानसा, बठिंडा, फरीदकोट, मुक्तसर, संगरूर, बरनाला, लुधियाणा, फतेहगढ़ साहिब, अमृतसर और गुरुदासपुर जिलों में विरोध कार्यक्रम आयोजित किए. वर्तमान किसान आन्दोलन में हमारी मजबूत भूमिका के चलते अमृतसर, फतेहगढ़ साहिब और मुक्तार्सर जिलों में पंजाब किसान यूनियन की नी इकाइयों का गठन हुआ है, जिसमें बड़ी संख्या में अन्य किसान संगठनों से कार्यकर्ता पंजाब किसान यूनियन में शामिल हुए हैं. हमारे काम के पुराने जिलों में भी संगठन का काफी विस्तार हुआ है.

पंजाब में गाँव-गाँव में वाहनों और घरों पर काले झंडे लहराए गए. अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष कामरेड रुलदू सिंह मानसा और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रेमसिंह गहलावत ने मानसा और पंजाब किसान यूनियन के महासचिव कामरेड गुरुनाम सिंह भीखी ने भीखी में आयोजित विरोध कार्यक्रमों का नेतृत्व किया. भाकपा माले और उससे जुड़े मजदूर मुक्ति मोर्चे के कार्यकर्ताओं ने भी काला दिवस कार्यक्रम को जोर शोर से लागू किया. हरियाणा के अंदर जारी किसान आन्दोलन के मोर्चों पर किसानों ने जोर-शोर से काला दिवस मनाया. करनाल, कुरुक्षेत्र, अम्बाला, झज्जर, सोनीपत, गुड़गांव, भिवानी, रेवाड़ी, बहादुरगढ़रोहतकहिसार, जींद, फतेहाबाद समेत पूरे हरियाणा के किसानों ने आंदोलन के 6 महीने पूरे होने पर मोदी सरकार के पुतले जलाए व घरों में काले झंडे लगाए. आन्दोलनकारियों ने प्रण लिया कि जब तक तीन कृषि कानूनों की वापसी नहीं होती, यह आंदोलन चलता रहेगा.

बिहार

बिहार के पटना समेत अन्य जिलों में विभिन्न जगहों पर किसानों के समर्थन में लोगों ने घरों में काले झंडे लगाए और मोदी सरकार के खिलाफ विरोध प्रकट किया. संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान को संपूर्ण बिहार में एआइकेएससीसी व केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने लागू कर काला दिवस मनाया. काला दिवस पर अखिल भारतीय किसान महासभा ने पूरे बिहार में कार्यक्रम आयोजित किये. किसान महासभा के साथ भाकपा माले, एक्टू, आइसा, एपवा, आर्वाइए, इन्साफ मंच और आशा हैल्थ वर्कर भी इस विरोध दिवस के समर्थन में उतरे. एआइकेएससीसी से जुड़े अन्य किसान संगठनों ने भी काला दिवस मनाया. किसान महासभा के बैनर तले बिहार के विभिन्न जिला मुख्यालयों, प्रखंड मुख्यालयों, कस्बों और गावों में काला दिवस मनाया गया. किसानों ने नारे लगाए और नारे लिखी तख्तियां ली थी. जिनमें किसान विरोधी जनविरोधी कृषि कानून 2020 रद्द करो. 2020 बिजली बिल वापस लो. एमएसपी का कानूनी दर्जा दो. सांप्रदायिक फासीवादी कंपनी राज मुर्दाबाद. देश बेचू आदमखोर मोदी साहब गद्दी छोड़. भाजपा मोदी के 7 साल जनता कंगाल और अडानी अंबानी मालामाल, चार श्रम कोड वापस लो, के नारे लिखे गए थे. विरोध स्वरूप कई जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला दहन किया गया. किसान अपने घरों पर काला झंडा फहराए. बड़े पैमाने पर विरोध में लोगों ने अपने बाजू पर काली पट्टी बांधी.

पटना में अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय महासचिव राजा राम सिंह, किसान नेता व माले विधायक अरुण सिंह, एक्टू नेता जितेंद्र कुमार आशा नेत्री शशि यादव किसान महासभा के राष्ट्रीय नेता केडी यादव, उमेश सिंह, माले नेत्री समता राय, एक्टू के राष्ट्रीय नेता एस के शर्मा सहित कई नेता एक्टू व किसान महासभा के संयुक्त बैनर से कार्यक्रम में उतरे. दरभंगा में नैना घाट गांव में इंसाफ मंच के मकसूद आलम तथा नगरोली में नेयाज आलम काला दिवस कार्यक्रम में शामिल हुए. पटना भाकपा माले कार्यालय मैं माले राज्य सचिव कामरेड कुणाल, कामरेड प्रकाश, कुमार परवेज ने काला दिवस मनाया. वहीं आरा कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में पार्टी पोलित ब्यूरो के सदस्य स्वदेश भट्टाचार्य व किसान नेता व विधायक सुदामा प्रसाद सहित कई नेता शामिल हुए. नवादा जिला के सदर प्रखंड के जंगल बेलदारी गांव में सुदामा देवी, काशीचक में प्रफुल्ल पटेल, पकरी बरामा एवं नवादा जिला मुख्यालय में भोलाराम, पटना जिला के पालीगंज में संत कुमार, पटना सिटी में शंभू नाथ मेहता, मसौढ़ी के नाथनगर नौबतपुर प्रखंड के निसरपुर गांव में किसान महासभा के राज्य सचिव कृपा नारायण सिंह, पटना सिटी के संदलपुर में राष्ट्रीय किसान नेता राजेंद्र पटेल, अमरपुरा के भवानी चक, मसौढ़ी के नाथ नागनाथ, दुल्हन बाजार, सुपौल जिला के शिव नगर में कमलेश्वरी यादव, अरवल जिला के निगमा गांव में अखिल भारतीय किसान महासभा के राज्य सचिव रामाधार सिंह, अरवल में जितेंद्र कुमार, नालंदा जिला के बिहार शरीफ आलमगंज बाजार, हिलसा, थरथरी, कराएं पशुराय तथा चंडी में कार्यक्रम हुए. जिसमें पाल बिहारी लाल तथा मुनीलाल यादव काला दिवस मनाने में शामिल रहे.  

शेखपुरा जिले में अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिव सागर शर्मा. आरा जिला के जगदीशपुर में विनोद कुशवाहा, बेगूसराय में बैजू सिंह, जहानाबाद के सुलेमानपुर गांव में जिला अध्यक्ष शौकीन यादव, सिवान में हंस नाथ राम, मुजफ्फरपुर के गायघाट में जितेंद्र यादव, गया जिला के टिकारी प्रखंड अंतर्गत जमुआवां गांव में रोहन यादव, कैमूर में मोरध्वज तथा जम्मूई में मनोज पांडे नेतृत्व किया. वैशाली जिला में विशेश्वर यादव, सिवान में जय नाथ यादव. समस्तीपुर जिला के ताजपुर में, सुपौल के कई गांव में कार्यक्रम हुए. मुजफ्फरपुर जिला कार्यालय में माले जिला सचिव कृष्ण मोहन ने काला दिवस कार्यक्रम का नेतृत्व किया. अखिल भारतीय किसान महासभा ने पटना जिले के 13 प्रखंड में 96 जगहों पर काला दिवस मनाया गया, जिसमें कई जगह प्रधानमंत्री का पुतला भी जलाया गया. ब्योरा निम्नलिखित है- दुल्हिन बाजार-15, पुनपुन-12, मसौढी-11, धनरूआ-11, नौबतपुर-9, फुलवारी-8, संपतचक-5, मनेर-6, पुनपुन-6, पालीगंज-4, बिहटा-2, फतुहा-2, बिक्रम-2, बेलछी-1, दो जगह एक एक साथी ब्यक्तिगत रूप से काला दिवस मनाए. बिहार के वैशाली जिला में 9 प्रखंड के 70 गांव में किसानों ने अपने घरों पर काला झंडा लगाया तथा बाहो में काली पट्टी बांधकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतलादहन किया. आरा जिले के 12 ब्लॉक के 63 गांवों में आज काला दिवस मनाया गया आठ स्थानों पर मोदी का पुतला भी दहन हुआ.

मौके पर राजाराम सिंह ने कहा कि दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के 6 माह पूरा हो चुका है, अपनी मांगो को लेकर किसान लगातार संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन सरकार कॉरपोरेटों के हित में अपनी जिद पर अड़ी हुई है. हमारी मांग है कि फासीवादी केंद्र सरकार नए कृषि कानूनों को बिना शर्त रद्द करे और  C2 के आधार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाए. हमारे राज्य  बिहार में 2006 से बंद APMC मंडियों को पुनः बहाल कर खरीद शुरू की जाए तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य में शामिल कुल 23 फसलों के साथ गन्ना, आलू, प्याज, दुग्ध, मछली को भी शामिल किया जाए और बटाईदार किसानों को पहचान पत्र देते हुए सरकारी  सहायता दिया जाए. उन्होंने कहा कि कानून को रद्द किए बगैर किसान घर नहीं लौटेंगे. उन्होंने प्रस्तावित बिजली बिल भी वापस लेने की मांग की. माले राज्य कार्यालय में माले राज्य सचिव कुणाल ने काला दिवस के समर्थन में तख्ती के साथ प्रदर्शन किया और कहा कि दिल्ली के बॉर्डरों पर 6 माह से धरना पर बैठे किसानों की मांगों के प्रति सरकार का उपेक्षा पूर्ण रवैया निंदनीय है. अब तक पांच सौ से अधिक किसानों की मौत हो चुकी है, कोविड अपने विकराल रूप में है, फिर भी सरकार कॉरपोरेटों के हित में काम किए जा रही है. सरकार को देश की असली आवाज सुननी चाहिए. हमारी पार्टी पूरी तरह से किसान आंदोलन के पक्ष में है.

उत्तर प्रदेश

संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान के समर्थन में 26 मई को उत्तर प्रदेश में अखिल भारतीय किसान महासभा, भाकपा (माले) और अन्य जनसंगठनों ने काला दिवस मनाया. कई जिलों में पीएम मोदी के पुतले फूंके गए. कार्यक्रम से घबरायी योगी सरकार की पुलिस ने जगह-जगह पार्टी नेताओं को घर पर ही नजरबंद कर दिया, बावजूद इसके पूरे प्रदेश में कार्यक्रम आयोजित किए गए. भाकपा माले व किसान महासभा ने गाजीपुर, चंदौली, पीलीभीत समेत कई जिलों में काला दिवस मनाने से रोकने के लिए माले नेताओं को पुलिस भेजकर घरों में नजरबंद करने की कड़ी निंदा की और इसे योगी सरकार की चुप कराने व लोकतंत्र का गला दबाने वाली कार्रवाई बताया. काला दिवस मनाते हुए कायकर्ताओं ने सूबे के खेत-खलिहानों, घरों, कार्यस्थलों व कार्यालयों पर काले झंडे लगाए और बाहों पर काली पट्टियां बांधी. इसके अलावा कोविड नियमों का पालन करते हुए धरना दिया, नारे लगाए और मांगों के साथ सरकार को ज्ञापन भेजा.  

भाकपा (माले) की राज्य इकाई ने कहा कि किसान आंदोलन से एकजुटता व्यक्त करने के अलावा, मजदूर-विरोधी श्रम संहिता लागू करने और कोरोना महामारी से बड़ी संख्या में मौतों के लिए जिम्मेदार विनाशकारी मोदी सरकार के सात साल पूरे होने पर भी यह काला दिवस मनाया गया. लखनऊ में लालकुआं स्थित माले कार्यालय से पुलिस ने काला दिवस मना रहे कार्यकर्ताओं को बाहर निकलने से रोक दिया. बाद में, कैसरबाग थाने के इंसपेक्टर ने माले कार्यालय आकर राष्ट्रपति को संबोधित पांच सूत्री मांगों के साथ ज्ञापन लिया. ज्ञापन जिला प्रभारी रमेश सेंगर के नेतृत्व में दिया गया. इसके अलावा राजधानी में बीकेटी ब्लाक और कई घरों से काला दिवस मनाया गया. किसान आंदोलन से डरी योगी सरकार ने गाजीपुर में किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव ईश्वरी प्रसाद कुशवाहा तथा किसान महासभा के जिलाध्यक्ष गुलाब सिंह को पुलिस ने नजरबंद कर दिया. घर पर ही उन्होंने साथियों के साथ काली पट्टी बांध कर एक जुटता का इजहार किया. इसके अलावा गाजीपुर जिला कार्यालय, सेवराई कार्यालय, गहमर, बसुका, खानपुर, गैबीपुर, हथौड़ा, बघरी गांवों में काला दिवस मनाया गया. 

प्रशासन ने चंदौली के माले जिला सचिव अनिल पासवान के घर पर एक ट्रक पीएसी लगा दी. अखिल भारतीय किसान महासभा के जिला अध्यक्ष श्रवण मौर्य व सचिव किस्मत यादव को भी पुलिस ने उनके घरों पर ही नजरबंद कर दिया. चहनियां में आरआईए के जिला संयोजक अनिल यादव के घर पुलिस पहुंच गई. चकिया के ताजपुर गढ़वा में पार्टी नेता विजय राम को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. वहां सुरेश चौहान के नेतृत्व में मोदी का पुतला दहन किया गया. चहनियां कार्यालय पर पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई. सीतापुर में हरगांव ब्लाक के कैथाभारी गांव में धरना दे रहे किसानों को पुलिस ने रोकने की कोशिश की पर कार्यकर्ताओं के विरोध के चलते उसे पीछे हटना पड़ा. बाद में एसडीएम ने जाकर किसानों का ज्ञापन लिया. इसके अलावा, जिला कचेहरी में पार्टी जिला सचिव व नवनिर्वाचित जिला पंचायत सदस्य अर्जुनलाल, गया प्रसाद, किसान नेता संतराम व अनवर के नेतृत्व में धरना दिया गया. पीलीभीत के राहुल नगर में किसान आंदोलन के समर्थन में काला दिवस मना रहे माले जिला सचिव देवाशीष राय सहित आधा दर्जन कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हाउस अरेस्ट कर लिया. जिले के जदोपुर गहलुइया गांव में राज्य कमेटी सदस्य अफरोज आलम के नेतृत्व में काला दिवस मनाया गया. 

 

बलिया जिले में खेग्रामस के राष्ट्रीय अध्यक्ष कामरेड श्रीराम चौधरी के नेतृत्व में काला दिवस मनाया गया. देवरिया में जिला सचिव श्रीराम कुशवाहा के नेतृत्व में मोदी का पुतला दहन कर काला दिवस मनाया गया. गोरखपुर में बांसगांव ब्लाक के हरिहर भैंसा गांव में धरना दिया गया. कुशीनगर नगर जिले के तमकुही राज के पांडेयपुर में राज्य कमेटी सदस्य राजेश साहनी व जिला प्रभारी परमहंस के नेतृत्व में काला दिवस मनाया गया. आजमगढ़ में जिला कार्यालय पर किसान महासभा के प्रदेश अध्यक्ष जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में काला फीता बांध कर काला दिवस मनाया गया. जिले के मेंहनगर, लालगंज और कोईनहा तहबरपुर में मोदी का पुतला दहन किया गया. किसान महासभा के नेता विनोद सिंह को पुलिस ने नजरबंद कर दिया. मऊ में पार्टी जिला सचिव बसंत के नेतृत्व में काला दिवस मनाते हुए धरना दिया गया. मिर्जापुर जिले के नारायन पुर ब्लाक के रेहिया तथा हाजीपुर गांव में धरना दिया गया. सोनभद्र में राज्य कमेटी सदस्य शंकर कोल के नेतृत्व में हर्रैया गांव तथा घोरावल के चिंघौरी में जिला सचिव सुरेश कोल के नेतृत्व में मोदी का पुतला दहन किया गया. इलाहाबाद में पार्टी जिला कार्यालय पर जिला प्रभारी सुनील मौर्य तथा राज्य कमेटी सदस्य कमल उसरी के नेतृत्व में काला दिवस मनाया गया. यहां किसान महासभा ने मोदी का पुतला दहन किया.

रायबरेली जिले में एक्टू प्रदेश अध्यक्ष  विजय विद्रोही के नेतृत्व में धरना देकर काला दिवस मनाया गया. इसके अलावा पोराईकला, सलापुर, अनिरुद्धपुर व नकफुलहा गांव में काला दिवस मनाया गया. अयोध्या में जिला प्रभारी अतीक के नेतृत्व में काला दिवस मनाते हुए ज्ञापन दिया गया. लखीमपुर खीरी में जिला कार्यालय पर ऐपवा प्रदेश अध्यक्ष कृष्णा अधिकारी और पलियाकलां में किसान महासभा के नेता कमलेश राय व ऐपवा नेता आरती राय के नेतृत्व में काला दिवस मनाया गया. बरेली जिले के ग्राम कुम्भरा में काला दिवस मना कर ज्ञापन दिया गया. जालौन जिले में जिला सचिव राजीव कुशवाहा तथा खेग्रामस नेता रामसिंह के नेतृत्व जिला अधिकारी कार्यालय पर धरना देकर ज्ञापन दिया गया. कानपुर में माले जिला प्रभारी विद्या रजवार के नेतृत्व में पार्टी कार्यालय पर काला दिवस आयोजित हुआ. मथुरा जिले में किसान महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष नत्थीलाल पाठक तथा जिला प्रभारी नशीर शाह के नेतृत्व में काली पट्टी बांध कर कचहरी परिसर में काला दिवस मनाया गया. जौनपुर जिला प्रभारी गौरव सिंह के नेतृत्व में लखनीपुर में काला दिवस मनाते हुए बक्शा ब्लाक बीडीओ को ज्ञापन दिया. जिले में चुरावनपुर व तेलीतारा गांव में में अलग से कार्यक्रम हुए. भदोही में भी काला दिवस मनाया गया.

 


झारखंड

किसान संघर्ष  समन्वय समिति के अवहान पर, आज बगोदर बस पड़ाव में अखिल भारतीय किसान महासभा के नेतृत्व में काला झंडा के साथ काला दिवस मनाया गया इस मौके पर बगोदर के विधायक कामरेड विनोद कुमार सिंह अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश सचिव कामरेड पुरन महतो भाकपा माले बगोदर सचिव पवन महतो बगोदर माले कार्यालय प्रभारी राम रतन शर्मा संजय मंडल, कैलाश महतो, सोहन महतोजरमुने के मुखिया संतोष रजक  मोटर कामगार यूनियन के सेक्रेटरी योगेश्वर प्रसाद मुख्य रूप से उपस्थित थे इस मौके में तमाम लोगों को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय किसान महासभा के नेता पुरन महतो ने कहा कि आज देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है, इतनी भयावह, इतनी भयंकर मौतें हो रही है, जनता असहाय पड़ी हुई है और मोदी-शाह ,अंबानी,अडानी के हिफाजत में लगी हुई है इतनी बेदर्द हुकूमत हो गई है कि सही से  मौतों को अंतिम संस्कार कराने के बजाय गंगा नदी में फेंक दिया जा रहा है जिसको पशु- पक्षी, कीड़ा- मकोड़ा नोच नोच के खा रहे हैं .किसान छह माह से कालाकानून वापसी को लेकर आंदोलन चला रहे हैं लेकिन अभी तक इस बेदर्द मोदी-शाह,किसानों की हिफाजत, उनकी मांगों को सुनने के लिए तैयार नहीं है और समय-समय पर किसानों पर दमन उठा रहे हैं इतने दिन के आंदोलन में लगभग 400 से ज्यादा किसानों ने अपनी शहादत दी है. और यह सब मोदी के शासनकाल में हो रहा है. मोदी सरकार गद्दी छोडो़, किसानों की मांगों को पूरा करो.कोरोना से लोगों का मुफ्त इलाज कराओ, गांव-गांव में जांच कराओ, हॉस्पिटल की व्यवस्था करो, महामारी से लोगों को इलाज की व्यवस्था करो तमाम प्रवासी मजदूरों को 10,000 रुपए की आय, लोगों को 3 माह का राशन देने की गारंटी करो.

राजस्थान

संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रव्यापी प्रधानमंत्री का पुतला दहन व काला दिवस पर झुंझुंनू जिले में संयुक्त किसान मोर्चा के घटक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने तथा मजदूर संगठनों ने सैंकङों ग्रामों में प्रधानमंत्री का पुतला दहन कर व अपने घरों एवं वाहनों पर काले झंडे लगाकर रोष व्यक्त किया. जिले के किसानों मजदूरों में देश के विभिन्न भागों में किसानों मजदूरों के आक्रोश की तरह मोदी सरकार की किसान मजदूर विरोधी व कार्पोरेट परस्त नीतियों से जबरदस्त गुस्सा था. अखिल भारतीय किसान महासभा ने राज्य के झुनझुनूँ, जयपुर, चित्तौडगढ़, उदयपुर आदि जिलों में कार्यक्रम आयोजित किये. संगठन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कामरेड फूलचंद ढेवा के नेतृत्व में ग्राम ढेवा का बास, कामरेड बजरंग लाल महला के नेतृत्व में ग्राम वारिसपुराकामरेड बनवारी लाल के नेतृत्व में ग्राम तोगङा खुर्द में, रोशनलाल बेनीवाल के नेतृत्व में पुरा की ढाणी, अखिल भारतीय किसान सभा नरेंद्र के नेतृत्व में भोमपुरा, अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव कामरेड रामचंद्र कुलहरि के नेतृत्व में ग्राम ठिंचौली, कामरेड सूरत सिंह के नेतृत्व में ग्राम आर्यनगरकामरेड महावीर राव के नेतृत्व में ग्राम घरङाना खुर्दकामरेड वासुदेव शर्मा के नेतृत्व में ग्राम मोई भारु, कामरेड अशोक नेहरा के नेतृत्व में ग्राम लांबी जाट, जिलाध्यक्ष कामरेड ओमप्रकाश झारोङा के नेतृत्व में ग्राम झारोङा, जिला उपाध्यक्ष कामरेड सुरजभान सिंह के नेतृत्व में ग्राम ठोठी, कामरेड इंद्राज सिंह चारावास के नेतृत्व में ग्राम चारावास, कामरेड करण सिंह बङसरा के नेतृत्व ग्राम चरणसिंहनगरकामरेड रोतास के नेतृत्व में ग्राम लोयल, कामरेड रविंद्र पायल के नेतृत्व में ग्राम मानोता जाटान्, कामरेड सुमेर सिंह के नेतृत्व में ग्राम देवता, कामरेड सुरेश धेधङ के नेतृत्व में तातीजा, कामरेड रामोतार के नेतृत्व में ग्राम माधोगढ, अखिल भारतीय किसान सभा के जिलाध्यक्ष कामरेड विधाधर गिल, उदयपुरवाटी प्रखंड अध्यक्ष कामरेड मूलचंद खंरिटा, कामरेड नत्थूसिंह सैनी के नेतृत्व मे बालाजी स्टैंडगुढागोङजी, भोङकी, केढ, चंवरा, कामरेड सुमेर सिंह बुडानिया के नेतृत्व में धंधूरी,चैनपुरा, नाथपुरा, नुआं, लादूसर, कामरेड बजरंग मुण्ड, कामरेड कामरेड विजेंद्र कुलहरि, कामरेड अमरचंद, कामरेड ओमप्रकाश ढाका व कामरेड सुभाष बुगालिया के नेतृत्व में सांगासी, डुमरा,कोलसिया, बुगाला, चिराना, बागोरिया की ढाणी में तथा अखिल भारतीय किसान महासभा के सुरजगढ प्रखंड अध्यक्ष कामरेड प्रेम सिंह नेहरा के नेतृत्व में ग्राम किढवानाकामरेड होशियार सिंह के नेतृत्व में ग्राम बलौदा सहित सैंकङों ग्रामों में प्रधानमंत्री का पुतला दहन किया गया तथा घरों पर काले झंडें फहराये गये. जिले भर के अधिकांश ग्रामों में किसान कार्यकर्ताओं ने अपने घरों व वाहनों पर काले झंडे फहराये. राजस्थान के झुंझुनू, भरतपुर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ समेत अन्य कई जगह पर भी विरोध प्रदर्शन हुए.

 पश्चिम बंगाल

दिल्ली में 6 महीने से किसानों के विरोध प्रदर्शन और 7 साल के किसान विरोधी मोदी सरकार के कुशासन के खिलाफ 26 मई को पश्चिम बंगाल में किसानों और आम नागरिकों ने काला दिवस मनाया. यश चक्रवात और वर्षा के बावजूद पश्चिम बंगाल के विभिन्न जिलों में ब्लैक डे विरोध कार्यक्रम आयोजित किए गए. जहां भी मौसम किसी तरह अनुकूल था काला दिवस मनाया गया. मांगें थीं, तीन कृषि कानून की वापसी, एमएसपी गारंटी कानून बनाना, सरकार ग्राम क्षेत्र से धान की खरीद की गारंटी करे, महंगाई रोके, कोविड टीकाकरण-विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में परीक्षण कराए, मनरेगा नौकरियों, पीडीएस के माध्यम से 35 किलो खाद्यान्न और ग्रामीण गरीबों के लिए तालाबंदी भत्ता आदि की व्यवस्था करे. प्रदर्शनकारी पोस्टर और बैनर के साथ एकत्र हुए और उपरोक्त नारे लगाए. काले झंडे भी लहराए गए. पिछले चुनाव में पश्चिम बंगाल के भाजपा विरोधी जनादेश ने कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग का साथ दिया है. ग्रामीण बंगाल में गरीब वर्गों की एकता ने भाजपा के धार्मिक ध्रुवीकरण को नकार दिया. पश्चिम बंगाल के लोग दिल्ली के किसान आंदोलन के साथ हैं. यह एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन है, और यह भावना यहां आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों से स्पष्ट और स्पष्ट थी.

 

राज्य के विभिन्न स्थानों में अखिल भारतीय किसान महासभा और भाकपा माले ने इस काला दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किए. हुगली जिले में AIKM और AIARLA ने धनेखली में संयुक्त विरोध प्रदर्शन किया. बाची में भी कार्यक्रम आयोजित किया गया. पांडुआ प्रखंड के सचितारा गांव में AIKM नेता मुकुल कुमार और AIARLA नेता सजल अधिकारी ने एक छोटी बैठक को संबोधित किया. नदिया जिले में नकाशीपारा ब्लॉक के पटपुकुर गांव में एआईकेएम नेता जयतु देशमुख के नेतृत्व में कार्यक्रम हुआ. बैद्यपुर गांव में. एआईकेएम नेता सलिल दत्ता, रफीकुल रहमान के नेतृत्व में बर्धमान जिले के बर्धमान, जिले के कलना ब्लॉक, कुसुमग्राम के कुलुत गांव और कर्जन गेट. एन 24 पीजी पर कार्यक्रम हुए. एआईकेएम नेता कृष्ण प्रमाणिक के नेतृत्व में चांदपारा, गायघाट ब्लॉक में और अशोक नगर इलाके में मोदी का पुतला दहन किया गया. हावड़ा जिले में बगनान क्षेत्र में कार्यक्रम आयोजित किया गया जो AIARLA नेता नबीन सामंत के नेतृत्व में सम्पन्न हुआ.

 

तमिलनाडु

SKM और AIKSCC कॉल के अनुसार अखिल भारतीय किसान महासभा ने 26 मई को तमिलनाडु के 14 जिलों में 60 से ज्यादा गांवों में काला दिवस मनाया. जिसमें लगभग 500 किसानों-ग्रामीण मजदूरों ने भाग लिया. AIKM राज्य समिति द्वारा दिए गए आह्वान को AIARLA ने समर्थन दिया. AIARLA, CPIML के साथियों ने भी कार्यक्रम में भाग लिया. कार्यक्रम में स्थान व लोगों की भागीदारी इस प्रकार रही- पुदुकोट्टई - 20 स्थान 120 लोग, कल्लाकुरिची 7 स्थान 0 लोग, शिवगंगई 2 स्थान 25, तंजावुर  7 स्थान 50, मयिलादुथुराई 3 स्थान 29 लोग, सलेम 2 स्थान 15 लोग, डिंडीगुल 1 स्थान 10 लोग, विरुदुनगर 2 स्थान 13, थेनकासी 2 स्थान 5 लोग, मदुरै 8 स्थान 106 लोग, थेनी 3 स्थान 56 लोग, कुड्डालोर 1 स्थान 8 लोग, धर्मपुरी और तिरुनेलवेली में भी किसान महासभा के पदाधिकारियों ने विरोध प्रदर्शन किया. जगह-जगह काला झंडा फहराया गया. काले बैज पहनकर कोविड प्रोटोकॉल को मानकर प्रदर्शन किया गया. मोदी कुशासन के खिलाफ और कृषि कानूनों को वापस लेने के नारे लगाए. एआईकेएम के पदाधिकारियों, सदस्यों, छोटे, सीमांत किसानों ने भाग लिया. कुछ जगहों पर मीडिया ने भी इस कार्यक्रम की सूचना दी. इसके अलावा, ऐक्टू ने इस आह्वान का समर्थन किया और चेन्नई, चेंगलपत, तिरुवल्लूर, कोयंबटूर, त्रिची, नमक्कल, करूर, त्रिची, तिरुनेलवेली और कन्याकुमारी डीटीएस में 500 से अधिक कार्यकर्ताओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया. पंदुचेरी में भी अखिल भारतीय किसान महासभा और भाकपा माले कार्यकर्ताओं ने काले झंडे, काली पट्टी के साथ काला दिवस मनाया.

महाराष्ट्र

महाराष्ट्र से दिन भर पूरे देश से किसान आंदोलन के समर्थन में और मोदी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की खबरें आती रही. महाराष्ट्र के मुम्बई, अहमदनगर, नंदुरबार, धुले, नांदेड़, अमरावती, मुंबई, नागपुर, सांगली, परभणी, थाने, बीड़, सोलापुर, बुलढाणा, कोल्हापुर, नासिक, औरंगाबाद, सतारा, पालघर, जलगांव में किसानों और आम नागरिकों ने घर पर काले झंडे लगाकर और मोदी सरकार के पुतले जलाकर विरोध प्रदर्शन किया. अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और कष्टकारी सतकारी संगठना के अध्यक्ष कामरेड सुभाष काकुस्ते, राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य राजेन्द्र बी. भाउके, सत्य शोधक सेतकारी सभा के अध्यक्ष कामरेड रामसिंह गावीत, संगठक किशोर धमाल, लाल निशान पार्टी लेनिनवादी और उसके ट्रेन यूनियन संगठन के साथ ही महाराष्ट्र में जन आंदोलनों की संघर्ष समिति से जुड़े तमाम संगठनों ने भी विरोध दिवस के रूप में इस आह्वान को लागू किया.

 

मध्य प्रदेश

दिल्ली मोर्चे पर किसान आंदोलन के छह मह पूर्ण होने, मोदी सरकार के कुशासन को 7 साल पूर्ण होने के अवसर पर माले कार्यालय भिंड पर काला दिवस मनाया गया. उक्त अवसर पर किसान महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कामरेड देवेंद्र सिंह चौहान ने काला झंडा फहरा कर 26 मई को काला दिवस मनाया. शहर से 08 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम हजूरी पुरा में किसान नेता नाथू सिंह बघेल ने अपने गांव हुजूरी पूरा में ग्रामीणों एवं किसानों की मीटिंग आयोजित की. उक्त मीटिंग को कामरेड देवेंद्र सिंह चौहान, किसान सभा के नेता कामरेड डोनेरिया, किसान नेता सूरज सिंह यादव, बीके बोहरे, कामरेड सूरज रेखा त्रिपाठी, संदीप सिंह राजावत, विनोद कुमार सुमन, श्रीकृष्ण बालमिक, डॉक्टर नदीम, देवेंद्र सिंह प्रजापति आदि ने संबोधित किया. सभी ग्रामीणों ने अपने घरों पर काले झंडे फहरा कर किसानों का समर्थन किया और काला दिवस मनाया. अखिल भारतीय किसान महासभा (AIKM), AIKTU, AICCTU ट्रेड यूनियन ने भी कार्यक्रम में हिस्सा लिया. उधर बडवानी में किसान संयुक्त मोर्चा की नेत्री मेधा पाटकर के नेतृत्व में किसानों ने काला दिवस मनाया. नर्मदा बचाओ आन्दोलन और संयुक्त किसान मोर्चे के नेता डॉ. सुनीलम के नेतृत्व वाले किसान संघर्ष मोर्चे ने भी राज्य के कई हिस्सों में काला दिवस कार्यक्रम आयोजित किए. छत्तीसगढ़ में भी किसान महासभा, एक्टू सहित तमाम जन संगठनों ने काला दिवस के मौके पर काले झंडे लहराए और काली पट्टियां बाँध कर अपना विरोध दर्ज कराया.

उड़ीसा

अखिल भारतीय किसान महासभा (एआईकेएम), व्यापार संघ, एआईसीसीटीयू द्वारा रायगडा ओडिशा में श्रमिकों और किसानों की तबाही की नीति के खिलाफ काला दिवस मनाया गया. इस संबंध में गुनुपुर, गुडरी, पद्मपुर, कोलनारा, केसिंगपुर प्रखंड और विभिन्न गांवों में कोविड-19 का नियम का पालन करते हुए विरोध कार्यक्रम आयोजित किए गए. काले झंडे फहराए गए, काली पट्टी बाँध कर और मोदी सरकार के पुतले जला कर जगह जगह किसानों मजदूरों ने इस काले दिवस को मनाया. आन्दोलनकारियों की मांग थी-1. किसान विरोधी कृषि कानूनों को निरस्त किया जाना चाहिए. 2. मजदूर विरोधी श्रम कोड कानून को निरस्त किया जाना चाहिए. 3. कृषि क्षेत्र को कॉरपोरेट्स के हाथों में छोड़ना बंद करें, 4. आवश्यक वस्तु अधिनियम में बेईमानी संशोधन के लिए मोदी सरकार किसके हित में जिम्मेदार है? 5. मंडी व्यवस्था को खत्म करना बंद करो, 6. नया जनसंख्या विरोधी विधेयक, बिजली संशोधन विधेयक वापस लो,  7. कंपनी द्वारा अनुबंध कृषि प्रणाली को रद्द करें.

 असम

दिल्ली किसान मोर्चे के 6 महीने, फासीवादी मोदी सरकार के 7 साल पर असम में राज्य व्यापी विरोध दिवस मनाया गया. अखिल भारतीय किसान महासभा ने इसे काला दिवस के रूप में मनाया. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईसीएससी) ने आज असम के लोगों से काला दिवस का आह्वान किया. इस विरोध कार्यक्रम में असम के डिब्रूगढ़ के विभिन्न गांव और असम के विभिन्न जिले विरोध कार्यक्रम को लागू किए. असम के बलिंद्र सेकिया सचिव अखिल भारतीय किसान महासभा ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, "हम लाखों किसानों के 6 महीने पुराने आंदोलन का समर्थन करते हैं और हम प्रधानमंत्री के रुख का कड़ा विरोध करते हैं." उन्होंने जल्द ही भारत के कृषि क्षेत्र में कारपोरेट परस्त कृषि कानूनों को निरस्त करने और भारत में सभी किसानों को कृषि उपज के लिए समान, न्यूनतम निश्चित मूल्य का भुगतान करने की मांग की है. उन्होंने कहा जिन किसानों को मिकी बामुनी की बही मिली है, उन्हें जमीन का अधिकार दें. सांप्रदायिक रूप से लाए गए गाय संरक्षण विधेयक का असम के लोगों या समुदायों के भोजन और आजीविका पर असंवैधानिक प्रभाव पड़ेगा और अंतर-राज्यीय आपूर्ति में कटौती के परिणामस्वरूप सभी पशुपालकों पर आर्थिक प्रभाव पड़ेगा. इसलिए हम इस बिल का विरोध करते हैं. किसान की मदद के लिए सिर्फ मवेशी ही नहीं, सभी जानवरों के लिए पंचायत स्तर पर बेहतर चिकित्सा देखभाल और बीमा की स्थापना करें. आज इन मांगों के समर्थन में असम के विभिन्न गांवों जैसे कोलियाबार, राहा, तियाक, मरियानी, बिहाली, तिंगखांग, लाहौर, नहरकटिया और अन्य जगहों पर काले झंडे लहराए गए हैं. बयान में यह भी कहा गया है कि जब तक सरकार किसानों की जायज मांगें नहीं मान लेती तब तक आंदोलन जारी रहेगा.

उत्तराखंड/अन्य पर्वतीय राज्य

अखिल भारतीय किसान महासभा, एक्टू, भाकपा माले ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में काला दिवस मनाया. किसान नेता आनंद नेगी अल्मोड़ा, बहादुर सिंह जंगी, विमला रौथान, ललित मटियाली, हरीश भंडारी, कमल जोशी बिन्दुखत्ता, भाकपा माले राज्य सचिव राजा बहुगुणा, जिला सचिव कैलाश पाण्डेय हल्द्वानी, वरिष्ठ पत्रकार राजीव लोचन शाह, कैलाश जोशी, डीएस मेहता नैनीताल, गोविन्द काफलिया पिथौरागढ़, इन्द्रेश मैखुरी, केपी चंदोला, भार्गव चंदोला, गीता गैरोला देहरादून, अतुल सती जोशीमठ में काले झंडे, काली पट्टी के साथ विरोध दिवस में हिस्सा लिया. हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर और त्रिपुरा के कई हिस्सों में किसानों/नागरिकों ने संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान को सफल बनाया.   

उत्तराखंड के तराई क्षेत्र में जहां संयुक्त किसान मोर्चे के नेता व तराई किसान संगठन के अध्यक्ष तेजेंदर विर्क के नेतृत्व में किसानों ने बड़े पैमाने पर विरोध कार्यक्रमों के जरिये काला दिवस मनाया. बागेश्वर जिले में सवाल संगठन उत्तराखंड के संयोजक रमेश कृषक के नेतृत्व में काली पट्टी और प्ले कार्ड के साथ काला दिवस मनाया गया. अल्मोड़ा शहर में उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष पीसी तिवारी के नेतृत्व में काले झंडे लेकर विरोध किया गया.

आंध्र प्रदेश

आंध्र प्रदेश में विशाखापट्टनम और तेलंगाना में हैदराबाद समेत कई जगह किसानों ने विरोध प्रकट किया. आन्ध्र प्रदेश में अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कामरेड डी हरिनाथ सहित कई जगहों पर किसानों और नागरिकों ने काले झंडे फहराकर विरोध व्यक्त किया. वहीं तेलंगाना में भी अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा के कार्यकर्ताओं ने काला दिवस मनाया.